भारत क्रिकेट विश्वकप जीते यह हर भारतवासी का सपना है। टीम भारत इस सपने को यथार्थ करने में सक्षम भी है और तैयार भी। भारत के बल्लेबाजों और गेंदबाजों ने शुरुआती पांच मैंचों में जिस तरह प्रदर्शन किया है, उसे देखकर यह उम्मीद जताई जा सकती है कि भारत वर्ल्डकप जीत सकता है।
विश्व कप क्रिकेट में भारतीय टीम ने करीबन आधा सफर तय करते हुए काफी हद तक संकेत दे दिया है कि टीम में विश्व चैंपियन बनने का पूरा दमखम है। लेख लिखने तक हुए शुरुआती पांच मैचों में जीत के साथ भारतीय टीम ने इस दिशा में मजबूत कदम भी बढ़ा दिए हैं। बड़े ही नपे-तुले अंदाज में टीम भारत मैच जीत रही है। टीम इतनी संतुलित और सशक्त है कि हर प्रतिद्वंद्वी को भारत के विरुद्ध एक विशेष रणनीति बनानी पड़ रही है। फिर भी उनके लिए मेजबान टीम से पार पाना मुश्किल हो रहा है। आतिशी बल्लेबाजी और बलखाती गेंदबाजी के दम पर भारतीय टीम ने देशभर में दीपावली सा माहौल बना दिया है। वैसे भी, भारतीय टीम दीपावली के पावन मौके पर देशवासियों को शानदार तोहफा देने को तैयार है क्योंकि उसी दिन (12नवंबर) भारत को अपना अंतिम राउंड रोबिन लीग मैच नीदरलैंड से खेलना है। जब दिग्गज टीमों की भारत के सामने नहीं चली तो नीदरलैंड से मेजबान टीम को कोई खतरा नहीं होना चाहिए।
उम्मीद जताई जाने लगी है कि भारतीय टीम में 2011 के बाद आईसीसी विश्व कप जीतने का पूरा सामर्थ्य है। यही नहीं, एक उम्मीद और जग गई है कि भारतीय टीम देशवासियों को दो बार दीपावली मनाने का मौका जरूर देगी। पहला तो 12 नवंबर को नीदरलैंड के विरुद्ध मुकाबले में जयघोष के साथ नॉकआउट दौर में प्रवेश कर देशवासियों को तोहफा देती दिख रही है। दूसरा, टीम भारत 19 नवंबर को विश्व कप जीतकर भी देशवासियों को एक बार फिर आतिशबाजी का मौका दे सकती है। वैसे तो क्रिकेट मुकाबले में अंतिम गेंद फेंकी जाने से पहले भविष्यवाणी करना जोखिम भरा काम है, लेकिन भारतीय टीम की सफलता के प्रति काफी हद तक आश्वस्त होने के पीछ टीम का दमदार प्रदर्शन है। भारतीय टीम का हर एक सदस्य अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी जानता है और जरूरत पड़ने पर अंतिम एकादश में शामिल ज्यादातर खिलाड़ियों ने इसे साबित भी करके दिखाया है। लेख लिखे जाने तक भारतीय टीम ने अपने शुरुआती पांच मैचों में ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड जैसी धुरंधर टीमों को पटखनी देने के अलावा बांग्लादेश व अफगानिस्तान जैसी टीमों को लगभग एकतरफा मुकाबले में मात दे चुकी है। अब भारत के पास जो चार मुकाबले बचे हुए हैं उनमें से इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध रोमांचक संघर्ष की उम्मीद है, जबकि श्रीलंका और नीदरलैंड के विरुद्ध ज्यादा चिंता की कोई बात नहीं है।
वैसे भी आईसीसी विश्व कप के इतिहास पर नजर डालें तो इसके साथ एक रोचक संयोग जुड़ गया है। 2011 में भारत के विश्वकप जीतने से पहले कोई भी मेजबान टीम अपनी धरती पर विश्वकप की प्रतिष्ठित ट्रॉफी पर कब्जा नहीं कर पाई थी। जब भारत ने एक नई परंपरा की शुरुआत की तो उसके बाद मेजबान टीमों ने ही विश्व कप जीता है। जाहिर है, टीम भारत उस स्वस्थ परंपरा को बनाए रखने की हर संभव कोशिश करेगी। शुरुआती पांच मैचों में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन देखा जाए तो शीर्षस्थ बल्लेबाजों में दूसरे नंबर पर विराट कोहली (विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया 85, विरुद्ध अफगानिस्तान ना. 55, विरुद्ध बांग्लादेश ना. 103, विरुद्ध न्यूझिलैंड 95,) ने 118 की औसत से 354 रन बनाए थे। इसी तरह गेंदबाजी में जसप्रीत बुमराह 11 विकेट लेकर चौथे नंबर पर हैं। उदाहरण के तौर पर ये जो तथ्य पेश किए गए हैं, इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की शायद ही कोई ऐसी सूची है जिसमें भारतीय खिलाड़ियों के नाम दर्ज न हों। भारतीय जीत के कर्णधार रोहित व विराट के अलावा शुभमन गिल, ईशान किशन, के.एल. राहुल और श्रेयस अय्यर सभी शीर्षस्थ बल्लेबाजों ने धमाकेदार प्रदर्शन किये हैं। इसी तरह गेंदबाजी में बुमराह व जडेजा सहित हार्दिक पांड्या और कुलदीप यादव ने भी विपक्षी टीमों की नाकों में दम कर रखा है। हां, इस दौरान मोहम्मद सिराज और ऑलराउंडर शार्दुल ठाकुर का प्रदर्शन साथी खिलाड़ियों की तुलना में ज्यादा उत्साहवर्धक नहीं रहा। सिराज असरहीन कतई नहीं दिखे, लेकिन विकेट झटकने के मामले में अपने साथियों से पीछ रहे। इसी तरह, शार्दुल गेंदबाजी में औसत प्रदर्शन करते नजर आए, जबकि बल्लेबाजी का उन्हें कोई मौका ही नहीं मिला। हालांकि ये कोई बड़ी चिंता का विषय नहीं है क्योंकि इन खिलाड़ियों के विकल्प के तौर पर रविचंद्रन अश्विन और मोहम्मद शमी जैसे धुरंधर टीम में मौजूद हैं। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और न्यूजीलैंड पर दमदार जीत के बाद तो काफी हद तक यह तय हो गया कि टीम के सशक्त संयोजन, अपने घरेलू मैदानों पर विश्व कप के मुकाबले खेलना, हजारों की संख्या में स्टेडियम के अंदर और करोड़ों की संख्या में क्रिकेटप्रेमियों का भरपूर समर्थन, लगभग एकतरफा मुकाबलों में विपक्षी टीमों को हराना और खिलाड़ियों में जीत की प्रबल इच्छाशक्ति के दम पर भारत ने विश्व कप जीतने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। भारतीय टीम की जबरदस्त तैयारी पूरी तरह से रंग लाती दिख रही है।
इतिहास दर्शाता है कि टीम की तैयारी के अलावा विश्व कप के लिए भारतीय टीम के चयन पर सवाल उठाए जाते रहे। लेकिन ऐसा पहली बार है कि टीम चयन पर किसी विशेषज्ञ या क्रिकेट प्रशंसकों को ऊंगली उठाने का मौका नहीं मिला। हिटमैन रोहित शर्मा के नेतृत्व में 15 सदस्सीय भारतीय दल में सात बल्लेबाज, तीन ऑलराउंडर और पांच गेंदबाजों को शामिल किया गया है। सबसे अच्छी बात है कि ये सभी खिलाड़ी पूरी लय में हैं और जब भी टीम को इनकी जरूरत पड़ेगी, शत-प्रतिशत प्रदर्शन करने में सक्षम भी। इनमें से रोहित शर्मा, शुभमन गिल, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर और के.एल. राहुल के रूप में पांच विशुद्ध बल्लेबाजों का खेलना काफी हद तक तय है। इसके बाद ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या व रविन्द्र जडेजा बल्ले व गेंद से कभी भी मैच का रुख बदलने का माद्दा रखते हैं। जडेजा और हार्दिक पांड्या शुरुआती मैचों में गेंद के साथ अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप प्रदर्शन कर चुके हैं। हां, बल्लेबाजी में इन्हें जौहर दिखाने का मौका मिला नहीं, लेकिन इन दोनों की आतिशी बल्लेबाजी से हर विपक्षी टीम वाकिफ है। इसलिए, इन शुरुआती सात खिलाड़ियों की ज्यादातर मैचों में खेलने की पूरी संभावना है। हां, परिस्थति या विपक्षी टीम को देखते हुए टीम प्रबंधन अगर कोई बदलाव करने की सोचता है तो फॉर्म में चल रहे ईशान किशन, सूर्यकुमार यादव और शार्दुल ठाकुर को अंतिम एकादश में शामिल किया जा सकता है। आठवें नंबर से चार विशेषज्ञ गेंदबाजों को अंतिम एकादश में मौका मिलेगा। उनमें ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन (जो तरूप का इक्का साबित हो सकते हैं), कुलदीप यादव, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और मोहम्मद शमी जैसे धुरंधर टीम में शामिल हैं। ये पांचों गेंदबाज मैच विनर की भूमिका निभा सकते हैं और चोट के बाद दमदार वापसी करने वाले जसप्रीत बुमराह की अगुआई में भारतीय टीम आग उगलने को तैयार है। तीनों तेज गेंदबाज अनुभवी और परिस्थितियों को भांपने में माहिर हैं, जबकि विश्वास मानें अश्विन और कुलदीप यादव की फिरकी को पढ़ पाना किसी भी विपक्षी टीम के लिए कभी भी आसान नहीं होगा।
– प्रवीण सिन्हा