मुचकुंद की काल यात्रा

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पुराणों का रचनाकाल अट्ठारह सौ से दो हज़ार वर्ष पूर्व का रहा होगा ऐसा अनुमान लगाया जाता है। प्रस्तुत राजा मुचकुंद की कथा का उल्लेख विष्णु पुराण के पंचम अंश के तेईसवें अध्याय व श्रीमद्भागवत के दशम स्कंद के इक्यावनवें अध्याय में है। टाइम डाइलेशन जैसी जटिल विज्ञान अवधारणा पर आधारित इस विज्ञान कथा को पढ़कर हम अपने पूर्वजों की प्रखर मेधा से चमत्कृत हो उठते हैं।

नई हिन्दी कविता के विविध रंग

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तुकांत-अतुकांत, छंदयुक्त-छंदमुक्त, हायकू इत्यादि कविता के कई रूप हैं। कम शब्दों में भावों की अभिव्यक्ति ही कविता की पहचान रही है। समय के साथ इसमें कई धाराएं बनीं और कई धाराएं मिली परंतु कविता रूपी भागिरथी निरंतर प्रवाहमान है।

काव्य वैविध्य

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कम शब्दों में अपनी भावनाओं को दूसरों तक पहुंचाने का सबसे सशक्त माध्यम है कविता। कविता ने जहां युद्ध में साहस बढ़ाने का काम किया, वहीं दर्द में राहत देने का भी काम किया। वेदों से लेकर आज की नई कविता तक ने हमें काव्य से सराबोर कर रखा है।

पोथी तुम कितनी गुणवती हो

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साहित्य में अब पाठकों की रुचि नहीं रही यह मानकर अच्छा साहित्य लिखा जाना बंद नहीं हो जाना चाहिए। पाठकों की रुचि और उनके दिशादर्शन का ध्यान रखकर साहित्य का निर्माण करना साहित्यकारों का दायित्व है और साहित्यकारों की रचनाओं को उचित प्रतिसाद देना पाठकों का।

तलाक

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तुम पुलिस, कचहरी कहीं भी जाओ, मैं डरने वाला नहीं हूं। तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। शुक्र मनाओ कि रुकईया के कहने पर मैं तुम्हें जिंदा छोड़ दे रहा हूं, नहीं तो अब तक तुम्हारी लाश किसी नदी-नाले में सड़ रही होती। अब मैं तुम्हारे साथ एक पल नहीं रह सकता। मैं तुम्हें अभी तलाक़ देता हूं। इतना कहकर रहमान ने कहा- तलाक़ तलाक़ तलाक़।

खेल ‘खेल’ न रहा 

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कुछ साल पहले तक भारत में प्रोफेशनल खेलों के नाम पर केवल क्रिकेट ही था जहां ‘नेम और फेम’ दोनों मिलता था परंतु ये सिर्फ महानगरों के लोगों तक ही सीमित था। आज जब अन्य खेलों के लीग मैच इतनी बड़ी संख्या में हो रहे हैं तो एक परिवर्तन यह भी दिखाई देता है कि देश के छोटे-छोटे खिलाड़ियों को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिल रहा है।

गजब के हैं ये अजब मंदिर

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अगर कोई पूछे कि मंदिर किसके लिए प्रसिद्ध है तो उत्तर होगा भगवान के लिए परंतु भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो केवल भगवान के लिए नही अपितु कुछ अलग ही कारणों से प्रसिद्ध हैं। कुछ मंदिरों के तो भगवान भी बंदर या मोटरसाइकल हैं। ऐसे अजब-गजब मंदिरों की जानकारी दे रहा है यह लेख।

मंदिर आस्था से समृद्धि की ओर

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मंदिर हमारी सामाजिक-धार्मिक आस्था के केंद्र रहे हैं। सनातन संस्कृति में मंदिर से कई क्रिया-कलाप संपादित होते रहे हैं। बीते दशक में मंदिरों का विश्लेषण किया जाए, तो यह कहने में दिक्कत नहीं है कि मंदिर से हमारी अर्थव्यवस्था को भी बहुत लाभ मिल रहा है।

धार्मिक पर्यटन का केंद्र है भारत

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धार्मिक पर्यटन का एक पहलू यदि धार्मिक और आध्यात्मिक सरोकार हैं तो दूसरा पहलू धार्मिक स्थलों का आर्थिक और सामाजिक विकास भी है। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पर्यटन उद्योग भारत के कुल कार्यबल का लगभग 6 प्रतिशत रोजगार देता है।

रोमांचक यात्राओं को लेकर जागता जुनून

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युवा मन कभी भी ‘रिस्क’ लेने से नहीं कतराता। साहस उसे आकर्षित करता है। यही कारण है कि आजकल साहसी पर्यटन का ‘क्रेज’ बढ़ता जा रहा है। बाइकिंग, बंजी जम्पिंग, रिवर राफ्टिंग जैसे साहसी पर्यटन आज युवाओं की पहली पसंद बन रहे हैं। 

रंगमंच हमेशा जिंदा रहेगा

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रंगमंच को जीवित रखना केवल रंगकर्मियों का ही नहीं दर्शकों का भी कर्तव्य है क्योंकि इसमें होने वाले नित नए प्रयोगों के कारण रंगमंच वह प्रयोगशाला बन जाता है जिसके उत्पाद दर्शकों को बड़े पर्दों, टीवी या ओटीटी पर दिखाई देते हैं।

खबरों की तात्कालिकता और सिनेमा की शाश्वतता

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हिन्दी सिनेमा चूंकि सबसे कम खर्च कहानियों पर करता है, इसीलिए रेडीमेड कहानियों की तलाश उसकी मजबूरी हो जाती है। यह जरूरत मसालेदार सत्य घटनाएं आसानी से पूरी कर देती हैं। खबरों के प्रति सिनेमा की इस सहजता की एक वजह उसके दर्शकों के सामने अचानक से आया खबरों का विस्फोट भी है।

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