भारत आज विश्व के कई देशों को विभिन्न क्षेत्रों में राह दिखाता नजर आ रहा है। अभी हाल ही में भारतीय शेयर (पूंजी) बाजार, नैशनल स्टॉक एक्स्चेंज, ने 4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के पूंजीकरण के स्तर को पार कर लिया है।विदेशी निवेशक एवं विदेशी संस्थान जो माह सितम्बर 2023 तक भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे थे, अब अचानक भारी मात्रा में भारतीय शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं। आज कई बार तो एक दिन में 5000 करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि का निवेश इन विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार में किया जा रहा है।
नैशनल स्टॉक एक्स्चेंज पर लिस्टेड समस्त कम्पनियों (निफ्टी) का कुल बाजार पूंजीकरण 4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर अथवा 335 लाख करोड़ रुपए के स्तर को पार कर गया है।पिछले 10 वर्षों के दौरान इन कम्पनियों का पूंजीकरण 17.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की संयोजित (कंपाऊडेड) दर से बढ़ा है। भारतीय शेयर बाजार के विकास की यह रफ्तार अभी भी जारी है और कलेंडर वर्ष 2023 के अभी तक के कार्यकाल के दौरान निफ्टी पर रजिस्टर्ड कम्पनियों के पूंजीकरण, 55 लाख करोड़ रुपए (11 प्रतिशत) से बढ़ चुका है। पिछले केवल 3 माह के दौरान भारतीय कम्पनियों का निफ्टी पर पूंजीकरण 8.82 प्रतिशत की दर से बढ़ा है, जो कि विश्व के 10 सबसे बड़े शेयर बाजार में सबसे अधिक तेज गति से बढ़ा है। आज भारत विश्व के शेयर बाजार के पूंजीकरण में 3.61 प्रतिशत का योगदान कर रहा है जो जनवरी 2023 में 3.37 प्रतिशत था।
नैशनल स्टॉक एक्स्चेंज पर लिस्टेड समस्त कम्पनियों के कुल बाजार पूंजीकरण का स्तर 2 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर जुलाई 2017 में पहुंचा था और लगभग 4 वर्ष पश्चात अर्थात मई 2021 में 3 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया था तथा केवल लगभग 2.5 वर्ष पश्चात अर्थात दिसम्बर 2023 में यह 4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को भी पार कर गया है।भारत शेयर बाजार पूंजीकरण के मामले में आज पूरे विश्व में पांचवे स्थान पर आ गया है।
प्रथम स्थान पर अमेरिकी शेयर बाजार है, जिसका पूंजीकरण 47.78 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। पूरे विश्व में अमेरिकी शेयर बाजार का योगदान, शेयर के पूंजीकरण के मामले में, 44.74 प्रतिशत है और अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद का अमेरिकी शेयर बाजार का पूंजीकरण 188 प्रतिशत है। द्वितीय स्थान पर चीन का शेयर बाजार है जिसका पूंजीकरण 9.73 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। इस वर्ष 2023 में चीन के शेयर बाजार ने अपने निवेशकों को रिणात्मक प्रतिफल दिए हैं। पूरे विश्व में चीन के शेयर बाजार का योगदान 9.12 प्रतिशत है और चीन के सकल घरेलू उत्पाद का चीनी शेयर बाजार का पूंजीकरण केवल 54 प्रतिशत है। तीसरे स्थान पर जापान का शेयर बाजार है जिसका पूंजीकरण 6.02 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। पूरे विश्व में जापान के शेयर बाजार का योगदान 5.64 प्रतिशत है और जापान के सकल घरेलू उत्पाद का जापान के शेयर बाजार का पूंजीकरण 142 प्रतिशत है। चौथे स्थान पर हांगकांग का शेयर बाजार है जिसका पूंजीकरण 4.78 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। पूरे विश्व में हांगकांग के शेयर बाजार का योगदान 4.48 प्रतिशत है और हांगकांग के सकल घरेलू उत्पाद का हांगकांग शेयर बाजार का पूंजीकरण 1329 प्रतिशत है। जबकि भारत, फ्रान्स एवं ब्रिटेन के शेयर बाजार को पछाड़कर पांचवे स्थान पर आ गया है। आज भारत के शेयर बाजार का पूंजीकरण 4.10 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। पूरे विश्व में भारत के शेयर बाजार का योगदान 3.61 प्रतिशत है और भारत के सकल घरेलू उत्पाद का भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण 114 प्रतिशत है। जिस तेज गति से भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण आगे बढ़ रहा है, अब ऐसी उम्मीद की जा रही है कि शीघ्र ही भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण हांगकांग शेयर बाजार के पूंजीकरण को पीछे छोड़ते हुए पूरे विश्व में चौथे स्थान पर आ जाएगा।
केंद्र सरकार पर विपक्षी दलों द्वारा कई बार यह आरोप लगाया जाता है कि भारत में सरकारी उपक्रमों को समाप्त किया जा रहा है।जबकि पिछले 27 माह के खंडकाल के दौरान सरकारी उपक्रमों का पूंजीकरण शेयर बाजार में दुगना होकर 46.40 लाख करोड़ रुपए का हो गया है। सरकारी उपक्रमों ने अपने बाजार पूंजीकरण में इस अवधि में अतुलनीय वृद्धि दर्ज की है। बॉम्बे स्टॉक एक्स्चेंज का सेन्सेक्स पिछले 27 माह में 60,000 के स्तर से 70,000 के स्तर को पार कर गया है। इन सरकारी उपक्रमों के कोरपोरेट गवर्नन्स में भारी सुधार हुआ है, जिसके चलते न केवल विदेशी निवेशकों का बल्कि भारत के संस्थागत निवेशकों एवं खुदरा निवेशकों का भी विश्वास इन सरकारी उपक्रमों पर बढ़ा है।
केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक क्षेत्र में लगातार लागू किए जा रहे विभिन्न सुधार कार्यक्रमों के चलते विदेशी संस्थागत निवेशक, विदेशी खुदरा निवेशक एवं विदेशों में निवास कर रहे भारतीय मूल के नागरिक भी भारतीय कम्पनियों में भारी मात्रा में शेयर बाजार के माध्यम से निवेश कर रहे हैं। हालांकि हाल ही के समय में भारतीय कम्पनियों की लाभप्रदता में भी अतुलनीय वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है जिससे इन कम्पनियों के विभिन वित्तीय रेशीओ बहुत आकर्षक बन गए हैं। जबकि चीन, हांगकांग, जर्मनी, जापान जैसे शेयर बाजार अपने निवेशकों को रिणात्मक अथवा बहुत कम रिटर्न दे पा रहे हैं। कई विदेशी संस्थान निवेशक तो चीन, हांगकांग आदि देशों से अपना पूंजी निवेश निकालकर भारतीय शेयर बाजार में कर रहे हैं। इससे आगे आने वाले समय में भी भारतीय शेयर बाजार में वृद्धि दर आकर्षक बनी रहेगी, इसकी भरपूर सम्भावना व्यक्त की जा रही है।
ऐसा कहा जाता है कि शेयर बाजार में निवेशक अपनी जमापूंजी का निवेश बहुत सोच विचार कर करता है एवं जब निवेशकों को यह आभास होने लगता है कि अमुक कम्पनी का भविष्य बहुत उज्जवल है एवं निवेशक द्वारा किए गए निवेश पर प्रतिफल अधिकतम रहने की सम्भावना है, तभी निवेशक अपनी जमापूंजी को शेयर बाजार में उस अमुक कम्पनी में निवेश करते है।इस प्रकार, जब किसी भी देश की अर्थव्यवस्था पर निवेशकों का भरोसा बढ़ता हुआ दिखाई देता है तो विशेष रूप से विदेशी निवेशक एवं विदेशी निवेशक संस्थान उस देश में विभिन्न कम्पनियों के शेयर में अपनी निवेश बढ़ाते हैं। चूंकि विदेशी संस्थानों को आगे आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था पर एवं भारतीय कम्पनियों की विकास यात्रा पर भरपूर भरोसा है अतः भारतीय शेयर बाजार में निवेश भी रफ्तार पकड़ रहा है।
– प्रहलाद सबनानी