महिलाएं अब हाशिए पर नहीं है। फर्श से उठकर वो अर्श पर पहुंचकर अपने सपनों को ऊंची उड़ान दे रही हैं। जल, थल, नभ और यहां तक कि अंतरिक्ष तक में एक नया इतिहास रच रही हैं। ये महिला सशक्तिकरण नहीं तो और क्या है?
बीते दिनों दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चियों को संबोधित करते हुए कहा कि कभी बेटियों की भागीदारी केवल सांस्कृतिक आयोजनों तक सीमित रहती थी लेकिन आज भारत की बेटियां जल, थल, नभ और अंतरिक्ष में भी अपना क्षमता का लोहा मनवा रही हैं, वह वर्तमान का यथार्थ भी है और बदलते भारत की नई तस्वीर भी।
प्रधान मंत्री के इस कथन की झलक इस बार के 75 वें गणतंत्र दिवस पर भी देखने को मिला जिसका विषय था, ‘विकसित भारत और भारत: लोकतंत्र की मातृका’। इसमें नारी शक्ति या महिला सशक्तिकरण पर विशेष जोर देने के साथ पहली बार सभी महिलाओं की त्रि-सेवा टुकड़ी ने परेड में भाग लिया। जब कर्तव्य पथ पर नारी शक्ति द्वारा अपना सामर्थ्य का परिचय दिया जा रहा था, तब सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर के रूप में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु परेड की सलामी ले रही थीं। गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार ऑल वुमेन ट्राई सर्विस टीम शामिल हुई, जिसका नेतृत्व कैप्टेन शरण्या राव कर रही थीं। कर्तव्य पथ पर महिला सशक्तीकरण पर केंद्रित 26 झांकियां प्रदर्शित की गईं जिनमें समाजिक-आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका से लेकर महिला वैज्ञानिकों के योगदान की झलक देखने को मिली। ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों तक हरेक क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी सराहनीय है। शासन प्रशासन के साथ उद्योग, व्यापार जगत और तकनीक एवं विज्ञान के क्षेत्र में भारत की महिलाएं अपने कदम आगे बढ़ा रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां स्वयं सहायता समूहों के द्वारा उद्योग धंघों में अपनी पकड़ मजबूत बना रही हैं तो दूसरी तरफ इसरो के चंद्रयान और सूर्ययान में महिला वैज्ञानिकोें की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, ज्ञान, विज्ञान, साहित्य, सिनेमा, संगीत, खेलकूद से लेकर देश की प्रहरी बनकर महिलाएं निरंतर अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन कर अमिट इतिहास रच रही हैं।
पहले से चले आ रहे मैटरनिटी लीव के अलावा केंद्रीय महिला कर्मियों को 60 दिनों की स्पेशल मैटरनिटी लीव देने का फैसला किया है जिनके बच्चे की जन्म के बाद मौत हो जाती है या गर्भपात हो जाता है। यह कदम उन्हें होने वाले संभावित मानसिक तनाव के मद्देनजर उठाया गया है।
इसके अलावा चाइल्ड केयर लीव में बच्चे के पालन पोषण के लिए 730 दिनों की छुट्टी के साथ रियायती यात्रा की अनुमति शामिल है। कर्मचारी उचित प्राधिकार की पूर्वानुमति लेकर विदेश भी जा सकती है।
इसके अलावा कार्य स्थल पर यौन हिंसा के मामले की जांच के दौरान सर्वाइवर कर्मी 90 दिनों की छुट्टी ले सकती है, यह छुट्टी जांच लंबित रहने के दौरान दी जाएगी और यह अन्य छुट्टियों से नहीं काटी जाएगी।
दिव्यांग महिला कर्मियों को 3000 प्रत्येक माह बच्चों की देखरेख के लिए भत्ता दिया जाएगा।
वर्ष 2019 में सेना ने शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अधिकारियों को स्थायी आयोग का विकल्प चुनने की अनुमति देते हुए अपने नियमों में बदलाव किया, जो अन्यथा चौदह साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हो जाती थीं। वर्ष 2020 के सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले द्वारा महिला अधिकारियों के लिए पूर्वव्यापी प्रभाव से स्थायी आयोग की व्यवस्था की गई। भारतीय सेना ने महत्वपूर्ण पहल करते हुए पहली बार 108 महिला अधिकारियों को उनके सम्बंधित सैन्य दल और सेवाओं में यूनिक एवं सैनिकों को कमांड करने हेतु मंजूरी प्रदान की, जो कि लैंगिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम था। यह निर्णय अधिक से अधिक महिलाओं को भारतीय सेवा में शमिल होने के लिए प्रोत्साहित किया और संगठन के भीतर विविधता एवं समावेशिता को बढ़ावा देने में मददगार रहा। 2023 के अगस्त माह में लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने बताया, सबसे ज्यादा महिलाएं सेना में कार्यरत हैं, कुल मिलाकर तीनों सेनाओं में 11414 महिलाएं तैनात हैं।
बीते वर्ष प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में महिला आरक्षण बिल पेश किया गया। इस बिल के माध्यम से अब देश की संसद में महिलाओं को 33% आरक्षण प्रदान किया जाएगा। प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद महिलाओं के लिए आवंटित सीटों का चक्रण संसदीय कानून द्वारा नियंत्रित किया जाएगा। वर्तमान में 17वीं लोकसभा (2019-2024) के कुल सदस्यों में से लगभग 15% महिलाएं हैं। लोकसभा और राज्यसभा दोनों में महिला आरक्षण विधेयक 2023 (128 वां संवैधानिक संशोधन विधेयक) अथवा नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित कर दिया। यह विधेयक लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करता है। यह लोकसभा और राज्य विधान सभाओं, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर भी लागू होगा। संसद के अलावा भी महिलाओं को सरकारी नौकरियों में भी आरक्षण प्रदान किया गया है। महिला आरक्षण के जरिए महिलाओं को हर क्षेत्र में पुरूषों के बराबर लाने का प्रयास किया जा रहा है जिससे महिलाएं भी देश के विकास में बराबर की भूमिका निभा पाएं।
भारत में आय अर्जन करने वाले कार्यबल में महिलाओं की संख्या 22% से भी कम थी। सरकारी क्षेत्र में तो यह सिर्फ 18% थी। अभी हाल में मिले आरक्षण के बाद यह 37% हो गई है। आरक्षण के जरिए समावेशी सशक्तिकरण की कोशिश की गई है। जिसके जरिए हरेक वर्ग, समुदाय, जाति, धर्म, क्षेत्र की महिलाओं को सशक्त करने की कोशिश की जा रही हैं।
आरक्षण के अलावा केंद्र सरकार ने अपनी नौकरियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए ठोस कोशिश की है। उन्हें प्रोफेशनल और पारिवारिक जीवन में संतुलन देने की कोशिश की गई है। कर्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग उन्हें लागू कर रहा है।
इन सब के अलावा कार्यस्थल पर बच्चों की देखभाल के लिए पालनाघर जैसी सुविधाओं ने महिलाओं को नौकरी में आने और बने रहने के मार्ग प्रशस्त किया है। केंद्र सरकार की बजट से लेकर योजनाओं तक सब के केंद्र में महिला हित, महिला लाभ समाहित है जो हमारे देश के नारी शक्ति को और अधिक सामर्थ्यवान बनाएगी।
अनुपमा कुमारी