पिछले 10 वर्षों के कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार ने अपने उल्लेखनीय कार्यों से इतनी उपलब्धियां प्राप्त कर ली हैं कि उनका आत्मविश्वास चरम पर है और वे अपने इसी लोकाभिमुख कामकाज के बूते चुनाव में अभूतपूर्व विजय सुनिश्चित करने की ओर अग्रसर हैं।
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन तीसरी बार प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे करके चुनाव लड़ रहा हैं। आगामी डेढ़ महीने तक मोदी का व्यस्त राष्ट्रव्यापी दौरे का कार्यक्रम बनकर तैयार हैं। एक पल गंवाए बिना प्रधान मंत्री मोदी अपने काम में व्यस्त हैं। मोदी देश के विभिन्न राज्यों का लगातार दौरा कर रहे हैं। मोदी का धुआंधार प्रचार विपक्ष पर फिलहाल काफी भारी पड़ता दिख रहा है। मोदी ने इस बार भाजपा को 370 और एनडीए को 400 पार सीटों से जिताने का लक्ष्य तय किया है। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर भाजपा अपनी चुनावी रणनीति को जमीन पर उतारकर प्रचार कर रही है।
मोदी सरकार के पिछले 10 साल के कामकाज पर नजर डाली जाए तो साफ दिखता है कि उसके पास जनता के बीच जाकर वोट मांगने के लिए उपलब्धियों का भंडार है। देश के मर्मस्थल में कांटे की तरह चुभ रहे धारा-370, अयोध्या राम मंदिर जैसे ज्वलंत राष्ट्रीय मुद्दों का सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान हो चुका है। आतंकवाद बीते दिनों की बात हो गया है।
भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के बीच भय का माहौल मजबूत हुआ है और इनके विरुद्ध लगातार कार्रवाई से देश का मध्यम व गरीब वर्ग खुश है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिमों को नागरिकता देने वाला सीएए कानून भी लागू हो गया है। जो लोग इसे पहली बार लागू करने के विरोध में जामिया नगर में इकट्ठा होकर इसका विरोध कर रहे थे और दिल्ली में दंगे तक करवाए थे, वे आज गायब हैं।
मोदी सरकार ने कोरोना महामारी के समय गरीबों को अनाज देने की योजना को अभी भी जारी रखा है। पीएम किसान योजना के माध्यम से देश के करोड़ों किसानों के बैंक खातों में हर साल 6 हजार रुपए सीधे पहुंच रहे हैं। किसानों को सस्ते उर्वरक मिलें इसके लिए न सिर्फ सब्सिडी दी जा रही है, बल्कि देश में सालों से बंद पड़े कारखानों को भी चालू कर दिया गया है। खेती में महिलाओं को ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण देकर देश में तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने की योजना तेजी से आगे बढ़ रही है। गांवों की आबादी वाली जमीनों का सर्वेक्षण जारी है, जिससे कि गांव के लोग इन जमीनों पर आसानी से कम दर पर बैंकों से ॠण लेकर अपना काम काम कर सकें। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों को पक्के मकान मिल रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में रेरा कानून को कड़ाई से लागू करके और आवास की बेतहाशा बढ़ती जा रही कीमतों पर लगाम लगाकर मध्यम वर्ग को राहत दी है। समाज के गरीब वर्ग को बैंकों से ॠण मिलना आसान हो गया है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है।
मोदी सरकार की नीतियों की बदौलत रेहड़ी-पटरी वाले भी अब बैंकों से ॠण लेकर अपने काम-धंधे को आगे बढ़ा रहे हैं। उज्जवला योजना से देश के करोड़ों गरीबों को रसोई गैस सिलिंडर मिले हैं। इसी तरह आयुष्मान भारत योजना से भी गरीबों को 5 लाख रुपए के मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई है। इसका असर देश के गरीब के चेहरे पर आई मुस्कान से दिख रहा है। मोबाइल विनिर्माण, सूचना तकनीकी, सेमी कंडक्टर, हाइड्रोजन ऊर्जा, सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भारत दुनिया को टक्कर देने की तैयारी में है। चांद के दक्षिणी धु्रव पर पहुंचकर भारत ने दुनियाभर में अपनी अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रतिभा का लोहा मनवाया है। आज नासा भी इसरो के साथ मिलकर काम करने को उत्सुक है। अंतरिक्ष क्षेत्र निजी निवेशकों के लिए खोल दिया गया है। कुल मिलाकर यह साफ दिख रहा है कि मोदी सरकार ने हर क्षेत्र में सकारात्मक पहल करके देश के विकास की गति को तेज किया है। मुस्लिम महिलाओं को एक बार में तीन तलाक की कुप्रथा से मुक्ति देकर सरकार ने इस समाज की आधी आबादी को राहत दी है। सड़कों और राजमार्गो के विकास के साथ-साथ रेल और हवाई सेवा क्षेत्र का भी तेजी से विकास हो रहा है। सरकार ने 2047 तक देश के विकास का खाका तैयार करने का जो काम शुरू किया है, लोगों को विश्वास है कि उसे पूरा करके भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने का सपना पूरा किया जा सकता है।
भाजपा के पास पिछले 10 साल की उपलब्धियों का स्पष्ट लेखा जोखा है। सत्रहवीं संसद के आखिरी सत्र में मोदी सरकार की ओर से लोकसभा में प्रस्तुत किया गया श्वेतपत्र जनता के सामने आ चुका है। इस श्वेतपत्र में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2014 के पहले की भारतीय अर्थव्यवस्था का ब्योरा प्रस्तुत किया। श्वेतपत्र में यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की गई है। यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में श्वेत पत्र में बताया गया है कि तत्कालीन सरकार आर्थिक क्रियाकलापों को सुचारु रूप से चलाने में विफल रही। उसकी जगह पर सरकार की ओर से लिए गए निर्णय देश को और पीछे की ओर ले गए। सरकार ने कहा कि यूपीए सरकार की आर्थिक नीतियां, जब वे सत्ता में आए, औसत दर्जे की थीं, जैसे-जैसे दशक बीतता गया वे और खराब होती गईं।
सरकार ने श्वेत पत्र में बताया कि यूपीए काल के शासक न केवल अर्थव्यवस्था में गतिशीलता लाने में विफल रहे, बल्कि उन्होंने अर्थव्यवस्था को इस तरह लूटा कि हमारे उद्योगपतियों ने रिकॉर्ड पर कहा कि वे भारत के बजाय विदेश में निवेश करना पसंद करेंगे। श्वेत पत्र में कहा कि तत्कालीन यूपीए सरकार को एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी और उन्होंने 10 साल बाद हमें एक कमजोर अर्थव्यवस्था दी। 2024 में आत्मविश्वास और उद्देश्य ने 2014 के अविश्वास और नकारात्मकता की जगह ले ली है।
इस श्वेतपत्र के उत्तर में कांग्रेस ने ब्लैक पेपर जारी किया है। जनता के बीच उसके ब्लैक पेपर का कोई विशेष असर दिखाई नहीं दे रहा है। कांग्रेस के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि जमीनी स्तर पर उसका जनाधार गायब है। सहयोगी दलों के साथ गठजोड़ करने का सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस को ही उठाना पड़ रहा है। जिन सीटों को कांग्रेस सहयोगी दलों के लिए छोड़ रही है वहां कांग्रेस के कार्यकर्ता मजबूरी में भाजपा की तरफ झुके नजर आ रहे हैं।
इतना ही नहीं, कांग्रेस के कई राज्यों के दिग्गज नेता ऐन वक्त पर पार्टी का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं। यह देखना दुखद है कि कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अपने नेताओं की नाराजगी को दूर करके उन्हें अपने पाले में बनाए रखने को भी तैयार नहीं है। इस तरह के माहौल में अगर 18वीं लोकसभा के चुनाव में विपक्ष का सफाया हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा।
संजय राय