ईसाई बहुल राज्यों में बढ़ रहा भाजपा का प्रभाव

पूर्वोत्तर के राज्यों में किसी समय भाजपा का जनाधार न के बराबर था पर नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने तथा उनकी सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों के कारण वहां भाजपा बहुत तेजी से अपने पांव मजबूत कर रही है। उम्मीद है कि मार्च में होने जा रहे चुनावों में भाजपा और मजबूत पकड़ बनाएगी।

पूर्वोत्तर के तीन राज्यों- मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में चुनावी गतिविधियां जोर पकड़ रही हैं। इन राज्यों के विधानसभा का कार्यकाल मार्च माह के पहले सप्ताह में पूरा हो रहा है। तीनों राज्यों के विधानसभा के सदस्यों की संख्या 60-60 है। बहुमत के लिए 31 सीट चाहिए। इस वक्त त्रिपुरा में भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में है। लेकिन मेघालय और नगालैंड में मित्र दलों की सरकार है। जिसे भाजपा का समर्थन प्राप्त है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत सम्पूर्ण भाजपा नेतृत्व का जोर इस वक्त त्रिपुरा पर है। त्रिपुरा में वामपंथी दलों के उखड़ जाने के बाद से तृणमूल कांग्रेस सत्ता पाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। कांग्रेस भी प्रयास कर रही है। ममता बनर्जी प.बंगाल की तरह त्रिपुरा में भी सत्ता पाने की कोशिश कर रही है। इसलिए भाजपा नेतृत्व कोई चूक नहीं करना चाहता है। भाजपा नेताओं का दौरा बढ़ गया है। गत 18 दिसम्बर को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने वहां का दौरा किया और कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। त्रिपुरा में भाजपा ने बिपल्व कुमार देब की जगह माणिक शाह को कुछ समय पहले मुख्य मंत्री का दायित्व सौंपा है। पिछली बार भाजपा ने स्थानीय राजनीतिक दल इंडेजेनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।

पिछले विधानसभा चुनाव में मेघालय में भाजपा को मात्र एक सीट मिली थी। लेकिन वह करनाड संगमा की अगुवाई वाली सरकार में शामिल हो गई। लेकिन पिछले एक वर्ष से संगमा की पार्टी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) से भाजपा का रिश्ता ठीक नहीं है। भाजपा इस विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत बढ़ाना चाहती है। क्योंकि कांग्रेस मुकाबले में नहीं है। कांग्रेस के अधिकांश विधायक पूर्व मुख्य मंत्री डा मुकुल संगमा की अगुवाई में  तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। उनमें से दो विधायक कुछ दिन पहले भाजपा में शामिल हो गए। एक निर्दलीय विधायक भी भाजपा में शामिल हो गया है। अब तक अन्य दलों के कुल चार विधायक भाजपा में शामिल हुए हैं।

इसमें दो राय नहीं है कि मेघालय जैसे ईसाई बहुल राज्य में भाजपा की ताकत लगातार बढ़ रही है। कुछ वर्ष पहले तक मेघालय में भाजपा का कोई नाम लेने वाला नहीं था। भाजपा के टिकट पर कोई चुनाव लड़ने को तैयार नहीं होता था। लेकिन अब वहां पर भाजपा के पास हजारों कैडर हैं। टिकट के दावेदारों की लम्बी लाइन है।  भाजपा के मिलने वाले मतों का प्रतिशत भी बढ़ा है। अगले विधानसभा में भाजपा को कितनी सीटें मिलेंगी, यह कहना मुश्किल है। लेकिन इतना तो साफ है कि मेघालय में भाजपा मजबूत हो रही है। त्रिपुरा जाने के पहले प्रधान मंत्री और गृह मंत्री ने शिलोंग का दौरा किया था। संगठन को मजबूत देने के लिए अमित शाह एक दिन पहले ही वहां पर पहुंच गए थे। प्रधान मंत्री ने मेघालय को कई सौगातें दीं।

मेघालय के मुख्य मंत्री करनाड संगमा खुद मानते हैं कि  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नॉर्थ-ईस्ट बदल रहा है। पहले राज्य में सिर्फ 500 करोड़ रुपए आवंटित होते थे, आज उनके राज्य के लिए 1500 करोड़ आवंटित होते हैं। इसका लाभ हर गांव को मिल रहा है। उन्हें विश्वास है कि प्रधान मंत्री मोदी के नेतृत्व में नॉर्थ-ईस्ट एक दिन बदलेगा।

यह अलग बात है कि एनडीए का घटक दल होने के बावजूद एपीपी और भाजपा के बीच कटुता बढ़ रही है और प्रदेश स्तर पर दोनों दलों के नेता एक-दूसरे पर राजनीतिक हमले कर रहे हैं।

नेडा के संयोजक और असम के मुख्य मंत्री डा हिमंत विश्व शर्मा सत्ताधारी दलों के विधायकों को भाजपा में लाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। उन्होंने दावा कि भाजपा इस बार वहां पर शानदार प्रदर्शन करेगी।

नगालैंड में भी कांग्रेस मुकाबले में नहीं दिखती है। नगालैंड पूर्वोत्तर का दूसरा ईसाई बहुल राज्य है, जहां पर भाजपा का प्रभाव तेजी से बढ़ा है। वहां पर भाजपा सरकार में शामिल है और उसके पास 12 विधायक तथा चार मंत्री हैं। नगालैंड से भाजपा का एक सांसद राज्यसभा के लिए भेजा गया है। वहां पर अभी भी नेफ्यू रियों की नेतृत्ववाली नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक  प्रोग्रेसिव पार्टी का दबदबा है। उम्मीद है कि इस बार भी भाजपा के साथ चुनाव तालमेल होगा।

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