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विकास के पथ पर भारतीय रेल

विकास के पथ पर भारतीय रेल

by पीयूष गोयल
in भारत विकास विशेषांक - जुलाई २०१८, विशेष, सामाजिक
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रेलवे एक सेवाभाव वाला मंत्रालय है, जो जनता और उद्योगों को अपनी सेवा देता है। यह सेवा सुरक्षित, सुविधाजनक, क्षमताजनक होने के साथ-साथ देश की आर्थिक, तकनीकी, सांस्कृतिक पहचान और रोजगार देनेवाले साधन के रूप में भी उपयोगी है। सरकार इस दिशा में भरसक प्रयास कर रही है और उसके परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं।

भारतीय रेल देश की जीवन रेखा कही जाती है। यह एक ऐसा माध्यम है, जो जनता और उद्योग दोनों से सीधा जुड़ा हुआ है, चाहे यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाना हो या फिर उत्पादों को। रेलवे इन सब गतिविधियों में एक रीढ़ की हड्डी की तरह कार्य करती है। पिछले 7 दशकों से रेलवे बढ़ती आवश्यकताओं के अनुसार अपने को बदलने में असफल रही थी और ऐसा होने पर जान-माल की हानि होने के साथ-साथ उद्योगों के  विकास की गति भी धीमी हुई है।

रेलवे एक सेवाभाव वाला मंत्रालय है, जो जनता और उद्योगों को अपनी सेवा देता है और यह सेवा सुरक्षित, सुविधाजनक, क्षमताजनक होने के साथ-साथ देश की आर्थिक, तकनीकी, सांस्कृतिक पहचान और रोजगार देने वाले साधन के रूप में भी उपयोगी हो, तो ये सब चीजें मिलकर इस मंत्रालय को विशेष बना देती हैं।

कोई दुर्घटना होती है तो सिर्फ जान-माल की ही हानि नहीं होती, यह तो पूरे तंत्र को और लोगों के विश्वास को भी क्षति पहुंचाती है। सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए, सरकार ने ‘जीरो एक्सीडेंट’ का लक्ष्य सामने रखते हुए कार्य किया है। ट्रैक के नवीनीकरण, 5,000 से अधिक मानव रहित फाटकों को हटाना, सीसीटीवी और वीडियो सर्विलेंस सिस्टम लागू करना, ट्रेन में अधिक सुरक्षित LHB सवारी डिब्बे लगाने के निर्णय और उनके क्रियान्वयन से आशाजनक परिणाम प्राप्त होने लगे हैं। दुर्घटनाओं में हताहतों की संख्या में 63% की गिरावट आई है। साथ ही वर्ष 2017-18 रेलवे के इतिहास में पहला ऐसा वर्ष रहा, जब दुर्घटनाओं की संख्या 100 से कम रही। मुझे विश्वास है कि आने वाले वर्षों में हम ऐसा समय लाएंगे, जब पूरे भारत में एक भी रेल दुर्घटना नहीं होगी और किसी परिवार को अपने प्रियजनों को खोना नहीं पड़ेगा।

रेल सेवा का दूसरा पक्ष इसकी क्षमता का है। जैसा मैंने पहले कहा कि रेलवे, यात्रियों और औद्योगिक उत्पादों के लिए जीवन रेखा का काम करती है। इसलिए क्षमता में बढ़ोत्तरी के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास करना आवश्यक है। आखिरकार यह इन्फ्रास्ट्रक्चर ही यात्रियों और उद्योगों की सेवा एवं विकास के लिए आधार का काम करता है। अप्रैल 2014 से मार्च 2018, इन चार वर्षों में 9,528 किमी ब्रॉडगेज लाइन का कार्य हुआ। इसके साथ ही नई लाइनें बिछाने, दोहरीकरण और तीसरी व चौथी लाइन के प्रोजेक्ट्स की कमीशनिंग औसतन 4.1 किमी प्रति दिन से बढ़कर 6.53 किमी प्रति दिन हो गई है।

हमारा देश विविधता से भरा हुआ है। यह एक ऐसा देश है, जहां रेगिस्तान, बर्फ से ढंके पहाड़, प्राकृतिक सुंदरता से भरी घाटियां, समुद्र तट, नदियों के मैदान सहित सभी प्रकार की विविधताएं मिल जाएंगी और इन सबके बीच हमारे नागरिकों का अटूट संबंध है। गुजरात के सोमनाथ को देखने की ललक असम के निवासी को रहती है और कश्मीर का रहनेवाला कोई व्यक्ति रामेश्वरम के दर्शन करने की इच्छा रखता है। रेलवे इन सबको आपस में मिलाने का एक साधन है। देश का पूर्वोत्तर क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों और सुंदरता से भरा प्रदेश है। रेलवे ने इस क्षेत्र को शेष भारत से जोड़ा है। वहां के सभी रेलवे नेटवर्क को ब्रॉडगेज में बदला गया है। मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम जैसे राज्यों के बीच में रेल संपर्क स्थापित हुआ है और देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में इससे विकास हो रहा है।

मुझे कई बार बहुत दुख होता था कि सभी संसाधनों से संपन्न होने के बाद भी, हम विश्व के अन्य देशों से पीछे क्यों हो जाते हैं। जापान में बुलेट ट्रेन 1964 में शुरू हो गई थी और हम 21वीं सदी में भी उस तकनीक से अछूते क्यों रहे? माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयासों से जब जापान के साथ बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट ने भारत में कदम रखा, तो मेरी ये पीड़ा कम हुई। यह शिकानसेन तकनीक विश्व में अब तक जीरो एक्सीडेंट का रिकार्ड रखे हुए हैं और भारत में अब इसका आगमन हुआ है, तो इस तकनीक से हमें भी लाभ होगा और इसके साथ ही देश भी तेज गति की ट्रेन वाले एक नए युग में प्रवेश करने जा रहा है। और मात्र  तकनीक ही नहीं, यह हमारे युवाओं के लिए रोजगार का सृजन भी कर रही है।

मैं राजनीति में आने से पहले एक बिजनेसमैन रहा हूं, बिजनेस में अपने उत्पाद को एक स्थान से दूसरे स्थान पर सुरक्षित और समय पर पहुंचाना कितना महत्त्वपूर्ण होता है, इसको अच्छे से समझता हूं। अभी तक यात्रियों और माल ढुलाई के लिए एक ही रेलवे लाइन का उपयोग होता आ रहा है और इसके कारण कई प्रकार की कठिनाइयां पैदा होती हैं। औद्योगिक इकाइयों की सुविधा और आर्थिक विकास के लिए देश में दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। ये कॉरिडोर तेज गति से माल ढुलाई को सुनिश्चित करेंगे और मुझे विश्वास है कि सामान को समय से और सुरक्षित ढंग से भेजने की जिस चिंता को मैंने व्यापारियों की आंखों में देखा है, सरकार का यह प्रयास उस पीड़ा को समाप्त करने में सहायक होगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश के विकास के लिए ‘Make In India’  का जो दूरदर्शी निर्णय लिया, उसे मेरे द्वारा शब्दों में बताना संभव नहीं है। यह एक ऐसा निर्णय है, जो देश में तकनीक के साथ-साथ उपभोक्ता वस्तुओं को सस्ता करेगा और रोजगार का सृजन भी करेगा। यह निश्चित है कि इस निर्णय के दूरगामी प्रभाव होंगे। इस पहल का लाभ उठाने के लिए सरकार ने Alstom के साथ इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री, मधेपुरा में लगाने का समझौता किया है। इससे निकले पहले लोकोमोटिव का माननीय प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन भी किया जा चुका है।

रेलवे देश के यात्रियों के सेवा के साथ-साथ देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी बखूबी समझाती है। स्वच्छता अभियान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हुए 34,400 सवारी डिब्बों में 1,25,000 बॉयो टॉयलेट लगाए गए, और स्वच्छता मात्र सवारी डिब्बों तक ही सीमित नहीं है। पर्यावरण सुरक्षा भी एक प्रकार का स्वच्छता अभियान ही है और मार्च 2018 तक सभी स्टेशनों पर एलईडी लाइटें लगा चुके हैं। साथ ही अक्षय ऊर्जा उत्पादन में 14 गुना बढ़ोत्तरी हुई है। ये सभी कार्य हमारी आनेवाली पीढ़ी को एक स्वच्छ पर्यावरण देने में सहायक होंगे। मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि हमें ऐसे कार्यों को करना चाहिए, जिसमें हमारी आनेवाली पीढ़ी को हमसे शिकायत ना हो, और उन्हें हमसे अधिक बेहतर सुविधा और संसार मिले।

सरकार ने पिछले 4 वर्षों में एक ईमानदार, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन दिया और जनकल्याण के अनेक कदम उठाए, अपनी नीतियों, योजनाओं द्वारा समाज के पिछड़े और वंचित वर्ग के लिए कार्य किया है। सरकार का प्रयास है कि समाज के सभी वर्गों के साथ-साथ देश का विकास हो और इस क्रम में मेरा मंत्रालय अपनी ओर से किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रखेगा, इस बात को मैं पूरे यकीन और दृढ़ता के साथ कह सकता हूं।

 

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Comments 2

  1. Anil Shukla says:
    7 years ago

    Ye to thik ha sabse jaruri timing ha

    Reply
  2. Bhagwat Singh negi says:
    7 years ago

    Sach mein bahut accha laga padh ke.

    Reply

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