देश की सबसे अधिक विश्वसनीय महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न कम्पनियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया है और वैश्विक पहचान बनाकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। भारत को विश्व की आर्थिक महाशक्ति बनाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान होगा।
भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। स्वतंत्रता के समय भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2.7 लाख करोड़ रूपए था, जो वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में बढ़कर 41.74 लाख करोड़ रुपए का हो गया। इस उल्लेखनीय उपलब्धि को प्राप्त करने में मिनी रत्न, नवरत्न और महारत्न कम्पनियों की अहम भूमिका रही है।
1947 में देश की आधारभूत संरचना अत्यधिक कमजोर थी। दरअसल एक लम्बे विदेशी शासनकाल ने देश की अर्थव्यवस्था और दूसरे सभी महत्वपूर्ण विकास के मानकों को कमजोर बना दिया था, जिसे मजबूत बनाने की आवश्यकता थी।
स्वतंत्रता से पहले देश में निजी कम्पनियों की भरमार थी, लेकिन वे खुद का विकास करने में ही लगी थीं। देश में कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों का अपेक्षित विकास नहीं हुआ था। ऐसे में जरूरत महसूस की गई कि इन क्षेत्रों को मजबूत बनाया जाए। इसलिए सरकार ने पंचवर्षीय योजनाओं को मूर्त रूप दिया और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की स्थापना की, ताकि इनके माध्यम से एक निश्चित समयसीमा के अंदर देश में समावेशी विकास की संकल्पना को साकार किया जा सके।
इस आलोक में अग्रतर कार्रवाई करते हुए देश में मिनीरत्न, नवरत्न और महारत्न कम्पनियों की स्थापना की गई और इनकी वित्तीय जरूरतों को पोषित करने, आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने, वित्तीय समावेशन की संकल्पना को साकार करने, आमजन को आत्मनिर्भर बनाने और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया।
जनवरी 2023 तक भारत में 12 महारत्न और 13 नवरत्न कम्पनियां और 62 मिनीरत्न कम्पनियां थीं। आर्थिक रूप से मजबूत और मुनाफे वाली कम्पनियां होने के कारण मिनीरत्न, नवरत्न और महारत्न कम्पनियां शेयर बाजार में सूचीबद्ध होती हैं। इन कम्पनियों की प्रति शेयर कमाई, शुद्ध पूंजी, शुद्ध लाभ आदि सामान्य कंपनियों से बेहतर होता है और इनकी उधारी का स्तर भी कम होता है।
सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (सीपीएसई), सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) और राज्य स्तरीय सार्वजनिक उद्यम के रूप में वर्गीकृत किया गया है। सीपीएसई को भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय नियंत्रित करता है और सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई), सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों सीपीएसई के लिए नोडल विभाग के रूप में काम करता है। डीपीई, सीपीएसई को लेकर नीतियां भी तैयार करता है, जो मुख्य तौर पर सीपीएसई के प्रदर्शन में सुधार, उनका सतत मूल्यांकन, उनकी वित्तीय स्वायत्तता, कार्मिक प्रबंधन आदि से सम्बंधित होता है।
महारत्न दर्जे के लिए पात्रता आवश्यकताएं
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महारत्न कम्पनियों की सूची में पदनाम उन सीपीएसई को प्रदान किया जाता है जो निम्नलिखित योग्यता मानदंडों को पूरा करते हैं:
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नवरत्न का दर्जा प्राप्त।
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पिछले तीन वर्षों में सालाना 15,000 करोड़ रुपये से अधिक की शुद्ध सम्पत्ति।
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पिछले तीन वर्षों में कर पश्चात औसत वार्षिक शुद्ध लाभ 5,000 करोड़ रुपये से अधिक है।
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सेबी नियमों के अनुसार न्यूनतम 10% सार्वजनिक स्वामित्व के साथ भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध।
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पिछले तीन वर्षों में औसतन 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक कारोबार हुआ था।
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दुनिया भर में मजबूत उपस्थिति और अंतरराष्ट्रीय गतिविधियां होनी चाहिए।
नवरत्न कम्पनी बनने के लिए पात्रता मानदंड
- कम्पनी को पहले से ही मिनीरत्न श्रेणी ख का दर्जा प्राप्त होना चाहिए और सीपीएसई की अनुसूची ए के तहत सूचीबद्ध होना चाहिए।
- इसे पिछले पांच वर्षों में से कम से कम तीन वर्षों के लिए समझौता ज्ञापन प्रणाली के तहत लगातार उत्कृष्ट रेटिंग प्राप्त होनी चाहिए।
- इसके अतिरिक्त, कम्पनी को छह प्रमुख क्षेत्रों में विशिष्ट मानदंडों को पूरा करने की आवश्यकता है, जिसमें शुद्ध लाभ से शुद्ध मूल्य, नियोजित पूंजी के लिए पीबीडीआईटी, पूंजीगत व्यय के रूप में सकल मार्जिन, उत्पादन या सेवाओं की लागत के लिए जनशक्ति लागत, टर्नओवर के रूप में सकल लाभ और प्रति शेयर आय शामिल है।
मिनीरत्न कंपनी पात्रता मानदंड
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- भारत में मिनीरत्न पीएसयू को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है : श्रेणीख, जिसमें 62 मिनीरत्न कम्पनियां शामिल हैं, और श्रेणी खख, जिसमें 12 मिनीरत्न पीएसयू शामिल हैं। मिनीरत्न का दर्जा हासिल करने के लिए, कम्पनियों के पास निम्नलिखित आवश्यकताएं होनी चाहिए:
- मिनीरत्न कम्पनियां, श्रेणीख : आवेदन करने से पहले, किसी कम्पनी ने पिछले तीन वर्षों में लगातार लाभ कमाया हो। इसके अतिरिक्त किसी कम्पनी को पिछले तीन वर्षों में से कम से कम एक में कम से कम 30 करोड़ रुपये का कर-पूर्व लाभ होना चाहिए या उसका तीन साल का औसत वार्षिक कारोबार कम से कम 120 करोड़ रुपये होना चाहिए।
- मिनीरत्न कम्पनियां, श्रेणी खख : कम्पपनियों ने पिछले तीन वर्षों में से प्रत्येक में लाभ कमाया हो, उन वर्षों में से एक में कम से कम 20 करोड़ रुपये का कर-पूर्व लाभ कमाया हो, या कम से कम 80 करोड़ रुपये का औसत वार्षिक राजस्व बनाए रखा हो।
वित्त वर्ष 1996-97 में सार्वजनिक क्षेत्र की वैसी कम्पनियों को नवरत्न का दर्जा दिया गया, जो पहले से मिनी रत्न कम्पनियों में वर्गीकृत थीं और उनके प्रदर्शन में निरंतर सुधार हो रहा था और सरकार को लग रहा था कि अगर इन्हें नवरत्न का दर्जा देकर कुछ और विशेष अधिकार एवं वित्तीय स्वायत्तता दी जाए तो इनके प्रदर्शन में और भी बढ़ोत्तरी हो सकता है। देश में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड, नेशनल एल्युमिनियम कम्पनी लिमिटेड, एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड, एनएमडीसी लिमिटेड, एनएलसी इंडिया लिमिटेड, ऑयल इंडिया लिमिटेड, राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड, रेल विकास निगम लिमिटेड, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड आदि नवरत्न कम्पनियां हैं।
नवरत्न स्थिति के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए, कम्पनी को नीचे उल्लिखित क्षेत्रों में 60 या उससे अधिक का समग्र स्कोर प्राप्त करना होगा
पैरामीटर अधिकतम वजन
- प्रति शेयर आय 10
- टर्नओवर के लिए ब्याज और करों से पहले लाभ (पीबीआईटी)। 15
- निवल लाभ से निवल मूल्य 25
- नियोजित पूंजी के लिए मूल्यह्रास, ब्याज और करों से पहले लाभ (ईबीआईटीडीए)। 15
- उत्पादन या सेवाओं की कुल लागत में जनशक्ति लागत 15
- अंतर-क्षेत्रीय प्रदर्शन 20
सरकार की समीचीन नीतियों को लागू करने के कारण जल्द ही नवरत्न कम्पनियों के प्रदर्शन में और भी सुधार दर्ज किया गया। इस बीच सरकार ने 4 फरवरी 2010 को महारत्न योजना लेकर आई और बंपर मुनाफा, पर्याप्त पूंजी की उपलब्धता, कम उधारी, तरलता, वित्तीय स्वायत्तता आदि मानकों पर खरा उतरने वाली नवरत्न कंपनियों को महारत्न कम्पनी का दर्जा दिया गया। मौजूदा समय में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड (गेल), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी), तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल), पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन और रुरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आरईसी) 12 महारत्न कम्पनियां हैं।
महारत्न कम्पनियों को निवेश का विकल्प चुनने में स्वतंत्रता होती है। वे किसी परियोजना में अपनी कुल संपत्ति के 15 प्रतिशत तक निवेश कर सकते हैं। इन कम्पनियों की निवेश सीमा 5,000 करोड़ रूपए होती है, क्योंकि उनके परिचालन की लागत अधिक होती है। कारोबार का व्यापक फलक और वित्तीय स्वायत्तता होने की वजह से इन कम्पनियों को वैश्विक स्तर पर बढ़ने और वैश्विक कम्पनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सहायता मिलती है।
किसी भी देश के विकास को सुनिश्चित करने में उद्योग, ऊर्जा, जैसे गैस, कच्चा तेल, कोयला, अक्षय ऊर्जा, स्टील, सीमेंट आदि की अहम भूमिका होती है, लेकिन ये क्षेत्र स्वत: विकसित नहीं हो सकते हैं। इन क्षेत्रों को सबल बनाने के लिए निवेश, तकनीकी सहायता और कुशल कामगारों की जरूरत होती है। अमूमन निजी क्षेत्र आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए आगे नहीं आते हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में निवेश लम्बे समय के लिए किया जाता है, जिसके कारण पूंजी भी लंबी अवधि तक के लिए फंसी रहती है। इसलिए सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का गठन किया, ताकि देश की आधारभूत संरचना को मजबूत बनाया जा सके।
आज मिनीरत्न, नवरत्न, महारत्न कम्पनियां और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराने का काम कर रहे हैं। साथ ही इनकी वजह से देश में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है। निजी क्षेत्र को आगे बढ़ने में सहायता मिल रही है। आधारभूत संरचना मजबूत हो रही है। आमजन की पहुंच बुनियादी सुविधाओं तक हो पा रही है और विकास को गति मिल रही है।