लौह पुरुष सरदार पटेल की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा को देखना और उनके चरणों में शीश नवाना एक अद्भुत प्रसंग है। गुजरात सरकार ने देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए बेहतरीन सुविधा उपलब्ध कराई है।
जब से हमने मोबाइल में यू-ट्युब पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की तसवीर देखी तभी हमने तय कर लिया कि हमें उसे देखने जाना ही है। किंतु जाए कैसे? कहां से जाए? वहां भीड़ होगी तो हमारे जैसे बुजुर्गों की नैया कैसे पार होगी? बहुत सारे विचार मन में उभर रहे थे। पर जाने का निर्णय पक्का किया।
हमारी यह यात्रा सुखद तो रही किंतु अविस्मरणीय भी रही। हम अहमदाबाद से बड़ौदा केवडिया कालोनी स्वागत कक्ष में पहुंचे। हमें लगा कि टिकट के लिए लंबी कतार होगी, किन्तु वहां महिलाओं और पुरूषो के लिए अलग कतारें थीं। लेकिन लंबी कतार नहीं थी। संयोग से कतार में मेरा नम्बर ही प्रथम था। हर व्यक्ति के लिए 350/- की टिकट थी और 30/- बस चार्ज था। कुल 380-। प्रत्येक टिकट के पीछे पर्यटक क्या-क्या देख सकेंगे इसकी सूची थी। जैसे, स्टैेच्यू ऑफ यूनिटी, स्टैेच्यू के आसपास का नजारा, फ्लावर ऑफ वैली, सरदार सरोवर बांध, नर्मदा नदी, लाइटिंग – म्यूजिक शो आदि।
टिकट लेकर हम चल पड़े बस की ओर। सामने बस मानो हमारा ही इंतजार कर रही थी। हम बैठे और पांच मिनट में हम स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास थे। दूर से भी कितनी सुंदर प्रतिमा दिखाई दे रही थी। हम स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के नजदीक जा रहे थे तब पता चला कि केवल भारत के लगभग तमाम राज्यों से नहीं, बल्कि विदेश से भी बहुत सारे पर्यटक आए थे। कतार में हमारे पीछे कई मराठी भाषी पर्यटक थे। उन्हें मराठी में बोलते सुन कर मैंने पूछा, “आपण मराठी माणसं आणि आम्ही मुंबईकर।” सुन कर वे खुश हो गए। हमारी बातचीत शुरू हुई। मैंने फिर से पूछा,“ आपण कशासाठी आलात?” “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बघायला.” “कोणी बनवलं?” “पंतप्रधानांनी?” मैंने मजाक करते हुए फिर से पूछा, “हे पंतप्रधान कोण आहेत?” “नरेन्द्र मोदी। किती छान बनवला आहे। सरदार पटेलची खरी ओळख आता विश्वा-मधे झाली। हा आपल्यासाठी अभिमानाचा विषय आहे.”
बाद में उन्होंने मुझे गुजराती में पूछा, “तमे गुजराती छो?” लेकिन इन सब लोगों के चेहरे पर न गुजराती, न मराठी किन्तु हम भारतवासी है यह भाव उभरकर आया। यह है सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का प्रभाव, जिन्हें हम स्पंदन कहते हैं। आगे चलते ही चारों दिशाओं से सरदार पटेल का पूरा स्टैच्यू दिखाई रहा था। कितना प्रभावी और विनम्र देशभक्त! लेकिन हमें तो सरदार पटेल के चरणों में हमारी कृतज्ञता की भावना समर्पित करनी थी। आगे कूच जारी रखी। एस्केलेटर पर आगे बढ़ते ही मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र इत्यादि राज्यों से आए युवाओं का दल अपनी मस्ती में झूम रहा था, एकसाथ फोटो खिंचवा रहे थे। मैंने इन सबसेे मजाक में कहा, “चलो अब आगे बढ़ो नहीं तो मैं आपको धक्का मार कर भगाऊंगी।” सब हंसने लगे। “चलो चलो दादी का हुक्म हुआ है; लेकिन पहले दादी का फोटो तो खींचे।” फोटो खींचा। आगे बढ कर बोले, “चलो दादी के साथ सेल्फी लेते हैं।” मैंने पूछा,“क्यों?” तो बोले, “अब सरदार पटेल का स्वप्न पूरा हो गया?” “कैसे?” “हमारे ग्रुप में गुजराती की कमी थी वह दादी आपने पूरी कर दी। हम भारतदेश के वासी हैं।” तो यह है यहां के वातावरण का प्रभाव। मानो सरदार वल्लभाई पटेल सबके दिल में अखंड भारतप्रेम की भावना जगा रहे थे।
यहां की व्यवस्था भी लाजवाब थी। वहां लिफ्ट द्वारा सरदार के स्टैच्यू की करीब छाती तक पर्यटकों को ले जाते हैं। एक लंबी कतार थी लेकिन पर्यटकों के ग्रुप में से कोई एक व्यक्ति कतार में खड़ा रहें। जो बुझुर्ग हैं वे पास में थियेटर में बैठ कर स्वतंत्रता की फिल्म देख सकते हैं। जब ग्रुप का प्रतिनिधि लिफ्ट की ओर बढता है तब ग्रुप के शेष बुजुर्गों को बुला लेते हैं। वहां न शोर, न हंगामा। शांति से सब लोग लिफ्ट की ओर आगे बढ़ रहे थे। लिफ्ट से हम पहुंचे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के मध्यभाग तक। वहां से चारों ओर का खूबसूरत नजारा देखने के बाद फिर लिफ्ट द्वारा सरदार पटेल के चरणों में पहुंचे। पूरे लोहे पर तांबे की कोटिंग से तैयार हुए इस शिल्प की खूबसूरती सचमुच में मनभावन थी। श्री रामवणजी सुतार की शिल्पकला का उत्तम बेहतरीन नमूना है।
सभी पर्यटक सरदार वल्लभभाई पटेल के शिल्प के चरणों के पास अपनी फोटो खींचवा रहे थे। मैंने लगभग सभी पर्यटकों सेे पूछा, “आजकल मोबाइल पर फोटो खींचने का फैशन है। तो क्या आप भी इसलिए फोटो खींच रहे हैं?” सभी का लगभग एक ही जवाब था, “हमने सरदार को नहीं देखा, किन्तु उनकी प्रतिमा के चरणों तक जाने का अवसर मिला यही हमारे लिए गौरव की बात है। आज हम इस लौहपुरूष को हमारी भावांजलि समर्पित करने के लिए आए हैं। फोटो तो हमारे लिए एक स्मृतिचिह्न है।”
हमने भी अंत:करणपूर्वक लौहपुरूष को आदरंजलि दी और चल पड़े। नीचे उतरने के लिए भी एस्केलेटर था। वहां कुछ अंतर पर पेड़ के आसपास चबूतरा बनाया था ताकि किसी को थोड़ा आराम करना हो तो कर सके और आगे के सफर के लिए ताजगी मिले। इतनी थकान के बाद भूख तो लगेगी ही। इसका भी इंतजाम था। वहां दायीं ओर फूडकोर्ट था। वहां बिलकुल किफायत दाम में गुजराती वानगी खमण ढोकळा, हरी तुवर की दाल की कचोरी, जिसे गुजराती में लीलवा कचोरी कहते हैं और समोसा केवल 50/- रूपये में। इसके बगल में अहमदाबाद की विख्यात होटल की पाव-भाजी केवल 100/- रूपये में। इसकी बगल में चाय-कॉफी, कोल्डड्रिंक्स और आइसक्रीम की व्यवस्था भी थी। सब काउन्टर पर जाकर अपना मनभावना खाना प्लेट में लेकर टेबल कुर्सी पर बैठ कर आराम से सब लोग खाते हैं। प्रशंसनीय बात यह कि वहां का माहौल पूरा स्वच्छ था।
बगल में एक स्टाल था। वहां स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की छाप वाले टी शर्ट वगैरे किफायती दाम में मिल रहे थे। तत्पश्चात् पर्यटकों के लिए सरदार सरोवर बांध और नर्मदा नदी की ओर जाने के लिए बस की व्यवस्था भी थी। सरदार बांध पहुंचते ही थोड़ी ऊंचाई पर चढ़ना होता है। युवा वर्ग मौजमस्ती करते हुए वहां तक पहुंच गया, किन्तु बुजुर्गों को बस में बैठे-बैठे सरदार बांध का पूरा नजारा देख सकते थे। आगे नर्मदा नदी का कलकल बहते पानी की गूंज कान में आज भी गूंज रही है। लाइटिंग- साउन्ड सिस्टम शो रात में होता है। लेकिन फ्लावर वैली और आसपास की हरियाली का सौंदर्य भी कम नहीं था।
विश्व की सब से ऊंची प्रतिमा/ शिल्प सूर्यास्त में मानो स्वर्णिम दिखता है। सुवर्ण और तांबे से जगमगाता हुआ। किन शब्दों में बयान करूं? केवल अद्भुत! अद्भुत!! अद्भुत!!!
लौहपुरूष सरदार पटेल के चरणों में अपनी राष्ट्रभक्ति, उनके प्रति आदरांजलि समर्पित करने से सब पर्यटक धन्य हो गए यह भाव इन सबके चेहरे पर दिखाई देता था। यही सच्ची देशभक्ति!! सारांश हमारी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की यात्रा अत्यंत सुखद और अविस्मरणीय रही। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी जाना है तो गुजरात सरकार ने क्या-क्या सुविधाएं पर्यटकों के लिए उपलब्ध की हैं वह भी जानना जरूरी है :
1) कार की पार्किंग की व्यवस्था।
2) वहां से ही बस की सुविधा जो पर्यटकों को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक ले जाती है।
3) ऑनलाइन या कतार में खड़े रह कर टिकट लेने की सुविधा।
4) हरेक व्यकित के लिए 350/- +बस चार्ज 30/- कुल 380/- टिकट और बच्चों के लिए टिकट कम।
5) वहां खाने के लिए फूडकोर्ट और रहने के लिए होटल की सुविधा भी की गई है।
6) पर्यटक Hello Travels PACKTOGO HOLIDAYS Mob. +91 8048734627 / +91 8048735151 के माध्यम से भी अपना सफर तय कर सकते हैं।