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मुलायम नहीं चाहते  कठपुतली प्रधानमंत्री

मुलायम नहीं चाहते कठपुतली प्रधानमंत्री

by अमोल पेडणेकर
in राजनीति, विशेष
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हाल की भारतीय राजनीतिक उठापटक पर नजर डाले तो ज्ञात होता है कि राजनीति में कोई किसी का हमेशा के लिए शत्रु नहीं होता और न सदा के लिए मित्र ही होता है। राजनीति में राजनैतिक टीका-टिप्पणियों का विशेष महत्व तब होता है, जब सही समय पर निशाना साधा जाए। इसका उत्तम उदाहरण वर्तमान समय में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव हैं, जिन्होंने 16वीं लोकसभा के समापन के दौरान धुर विरोधी होने के बावजूद भाजपा के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कार्यों से प्रभावित होकर उनकी तारीफ की और मोदी के फिर से प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जाहिर की।उन्होंने कहा कि मोदी जी ने बिना भेदभाव के विपक्षी पार्टियों के सभी नेताओं के साथ तालमेल बिठाकर और सभी को साथ लेकर राज्यों के विकास कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अनेक दशकों से भाजपा के कट्टर विरोधी के रूप में परिचित मुलायम सिंह यादव का उक्त बयान पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।

धीर-गंभीर व्यक्तित्व वाले मुलायम सिंह यादव ने समय-समय पर राजनीति को नई दिशा दी है। उनके व्यक्तव्य का विश्लेषण करना जरूरी है कि किन कारणों से उन्होंने यह टिप्पणी की है? बीते डेढ़ दशक के इतिहास पर नजर डालें तो मुलायम सिंह यादव के इस बयान का अर्थ निकालना हमारे लिए संभव होगा। 2004 के चुनाव उपरांत सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने की चर्चा जोरों पर थी। उस समय कांग्रेस पार्टी बहुमत में थी और सोनिया गांधी को 272 सांसदों का समर्थन प्राप्त था। इसलिए सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान करने हेतु कांग्रेस का प्रतिनिधि-मंडल राष्ट्रपति से मिलने गया था। उसी समय मुलायम सिंह यादव ने घोषणा की थी कि हमारी समाजवादी पार्टी का सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनने के लिए समर्थन नहीं है। इसी घोषणा के कारण सोनिया गांधी प्रधानमंत्री की कुर्सी पाने में असफल हो गई थीं। मुलायम यादव की यह घोषणा अप्रत्यक्ष रूप से कह रही थी कि कोई भी विदेशी व्यक्ति भारत देश के प्रधानमंत्री पद पर विराजमान नहीं हो सकता। 2004 में मुलायम सिंह यादव ने देशहित में बड़ी भूमिका निभाई थी। सही समय पर योग्य भूमिका निभाने और उसे परिणाम तक ले जाने के लिए मुलायम सिंह यादव प्रसिद्ध हैं तथा यही उनकी खासियत है।

     16वीं लोकसभा के समापन दिन पर कांग्रेस सहित अन्य विरोधी पार्टियों को निर्बल करार देते हुए उन्होंने कहा कि हम सभी मिलकर भी बहुमत नहीं ला सकते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देश के सभी राज्यों के विकास कार्यों में निष्पक्ष रूप से उल्लेखनीय कार्य किया है। जब कभी हम कुछ काम लेकर प्रधानमंत्री जी के पास गए तब उन्होंने तत्काल आदेश देकर कार्यों को पूर्ण रूप प्रदान किया। मोदी जी ने सभी को साथ लेकर काम किया है इसलिए मैं उनका सम्मान करता हूं। इन शब्दों में मुलायम सिंह यादव ने मोदी और भाजपा सरकार के कार्यों को लोकसभा में बयान किया।

राजनीति में मंजे हुए खिलाड़ी मुलायम सिंह यादव जैसे व्यक्तित्व जब मुखर होते हैं तब उनके बयानों में बहुत गहरा अर्थ छुपा होता है। लोकसभा में उनके भाषण से व्यक्त भावना भी बहुत कुछ बोल रही थी, जिसके कई मायने निकलते हैं।

कांग्रेस सहित सभी विरोधी पार्टियां केवल मोदी हटाओ का नारा बुलंद कर एकजुट हो रही हैं। कोलकाता में ममता बनर्जी के नेतृत्व में कुल 22 राजनीतिक पार्टियां मंच पर एकसाथ आई थीं। कांग्रेस के साथ अन्य सभी पार्टियां किसी भी हाल में मोदी को सत्ता से हटाना चाहती है। आज की परिस्थिति में सभी विरोधी पार्टियां यदि दुर्घटनावश जीत जाए तो वह फिर से गांधी परिवार के किसी कठपुतली को सत्ता सौंप देंगी। प्रियंका आए या राहुल आए, भारतीय राजनीति से कोई भी आए, अपनी-अपनी ढपली बजाए लेकिन गांधी परिवार का कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री पद पर विराजित न होने पाए। मुलायम सिंह यादव के भाषण से यही अर्थ निकलता प्रतीत होता है। कांग्रेस के आशीर्वाद से बने मनमोहन सिंह जैसे कठपुतली प्रधानमंत्री की पुनरावृत्ति देश में फिर न हो, यही संदेश देने का प्रयास मुलायम सिंह यादव ने किया है।

    विरोधी पार्टियों के महागठबंधन द्वारा मोदी सरकार को सत्ता से दूर करने का जो पूरा  प्रयास किया जा रहा है, उसकी पूरी हवा मुलायम ने अपने व्यक्तव्य से निकाल दी है।

राजनीतिक पंडितों के अनुसार लोकतंत्र को कमजोर करने वाले विपक्षी नेताओं के षड्यंत्र का करारा जवाब मुलायम सिंह यादव ने दिया है और लोकतंत्र को मजबूती प्रदान की है। केवल वाहवाही के लिए नहीं अपितु देशहित में गंभीर विचार करके उन्होंने अपना व्यक्तव्य दिया है। देश की जनता सब देख रही है। विदेशी, परिवारवादी एवं भ्रष्टाचारी कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए तथा बिना एजेंडे के महागठबंधन को जनता अवश्य सबक सिखाएगी। बहरहाल, मुलायम सिंह यादव के व्यक्तव्य से क्या परिणाम आएगा यह तो आने वाला कालखण्ड ही बताएगा।

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Tags: hindi vivekhindi vivek magazineselectivespecialsubjective

अमोल पेडणेकर

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दयालु शेर

दयालु शेर

Comments 3

  1. Gdgupta says:
    6 years ago

    अभी तक कोई साक्ष कभी पढ़ने को नहीं मिला कि समाजवादी पार्टी का सोनिया गांधी को 2004 में प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के लिए उनका समर्थन नहीं था लेकिन डॉ सुब्रमण्यम स्वामी का एक पत्र उस समय के तत्कालीन राष्ट्रपति के पास गया तब उन्होंने सोनिया गांधी को दूसरे दिन सुबह 10:00 बजे मिलने को कहा अतः प्रधानमंत्री नपुंसक की और झूठ बोल करके जनता को बताया गया कि उन्होंने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया जाना पसंद किया और पद का त्याग किया यदि आपके पास कोई इसका साक्ष्य है तो प्रस्तुत करें मेरे ईमेल पर धन्यवाद वंदे मातरम

    Reply
  2. RAM ABHILASH GUPTA says:
    6 years ago

    Bahut sundar laga

    Reply
  3. योगेश says:
    6 years ago

    अगर मुलायम द्वारा पावन अयोध्या नगरी में कारसेवक रामभक्तों पर किये गए जघन्य हत्याकांड को छोड़ दिया जाए तो हो सकता है उन्होंने कोई काम देशहित में किया हो पर यह अकेला पाप सबसे भारी है शेष तो राजनीति है। हां, परंतु लेखक ने लेख के माध्यम से भाजपा को मजबूत करने का सराहनीय प्रयास किया है।

    Reply

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