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राजनीतिक नेताओं का “देशद्रोही” चेहरा

राजनीतिक नेताओं का “देशद्रोही” चेहरा

by अमोल पेडणेकर
in राजनीति, विशेष
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वर्तमान स्थिति में दो प्रकार के दृश्य दिखाई दे रहे हैं। एक दृश्य जिसमें देश की 125 करोड़ जनता अत्यानंद का अनुभव कर रही है, और दूसरी ओर एक दृश्य ऐसा भी है जिसमें भारतीय राजनीतिक पटल पर मोदी विरोधी खेमे में अत्यंत उदासी से भरा वातावरण का माहौल दिखाई दे रहा है। पुलवामा हमले के बाद आतंकवादियों और उन आतंकवादियों को पालपोस कर भारत पर आतंकवादी हमला करने  के लिए तैयार करने वाले पाकिस्तान के प्रति भारतीय जनता में  आक्रोश था। पूरे देश की एक ही चाहत थी कि पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाई जाए। हमले के 12 वे दिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय हवाई दल ने पाकिस्तान में घुसकर जबरदस्त हमला बोला। भारतीय हवाई दल के  हमले और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखाए गए दांवपेंचों के आगे पाकिस्तान को झुकना पड़ा। भारत की सीमा में घुसकर मिसाइल चलाने के उद्देश्य से पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों ने भारतीय सीमा पर हमला करने का प्रयास किया था। पाकिस्तान के F-16 एयर फाइटर विमान का पीछा करके उसे मार गिराते वक्त भारतीय फाइटर मिग विमान पाकिस्तान सीमा में जाकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस विमान के पायलट को पाकिस्तान सेना ने पकडा। पाकिस्तान को भारतीय विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को  3 दिन के अंदर ही ससम्मान छोड़ना पड़ा।

भारत ने नियोजन के साथ  पाकिस्तान के बालाकोट क्षेत्र में हमला किया। उस हमले में जैश-ए-मोहम्मद के दहशतवादियों का खातमा हुआ। पाकिस्तान के एक भी सैनिक अधिकारी या सामान्य नागरिक को जरा भी नुकसान पहुंचाए बिना भारतीय वायु सेना ने अत्यंत बेहतरीन ढंग से बम वर्षा करते हुए इस कार्रवाई को अंजाम दिया। संपूर्ण भारत के साथ विश्व को भी  भारत के नए रूप का दर्शन हो गया। भारतीय वायु सेना के इस साहस की भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन प्रतिक्रिया आई। यह अत्यंत आश्चर्य की बात थी, क्योंकि आज तक कभी ऐसी बात घटित नहीं हुई थी। इस बात का सारा श्रेया भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिया जाता है।

हमने  पुलवामा हमले का पूरा पूरा बदला ले लिया, भारत के इस कदम की पूरे विश्व के द्वारा सराहना की गई. विश्व के सभी देशों ने पाकिस्तान को दोषी करार दिया। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी  ठिकानों को नेस्तनाभूत करने का आवाहन पाकिस्तान को किया गया। इस पूरे घटनाक्रम के बाद नरेंद्र मोदी की विरोधी राजनीतिक पार्टियां पूर्णतय हताश हो गई। पाकिस्तान में घुसकर भारत के जांबाजों ने हमला किया है। हर एक सच्चा भारतीय खुशी से फूला नहीं समा रहा था। ऐसे समय में मोदी के इन कारनामों को गलत करार देने वाले मोदी विरोधी राजनीतिक नेताओ का स्वार्थी चेहरा भी दिखाई दिया। वायु सेना ने बालाकोट में किए हवाई हमले के बाद कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, टीएमसी और अन्य मोदी विरोधी  गुटो ने विशेष बैठक का आयोजन किया। आयोजन का उद्देश्य क्या था?   उद्देश्य था भारत ने  पाकिस्तान में घुसकर किये हवाई  हमले के बाद निर्माण हुई राष्ट्रीय स्थिति पर विचार विनिमय करना। लेकिन प्रत्यक्ष बैठक में एक ही एजेंडा था प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध आक्रोष करना। इस बैठक में मोदी सरकार पर  प्रखर टीका की गई। सत्ताधारी भाजपा पर आरोप किए गए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी के इस कदम के संदर्भ में अपना मुंह खोलते हुए कहा, मोदी ने पुलवामा हमले का अपनी राजनीति चमकाने के लिए उपयोग किया है। भारतीय हवाई सेना के शौर्य का राजनीतिक लाभ लिया जा रहा है। राहुल गांधी के यह शब्द कम प्रभावी हो रहे होंगे, इसी कारण  कांग्रेस प्रवक्ता  सुरजेवाला, चंद्रबाबू नायडू, शरद यादव, ममता बनर्जी जैसे मोदी विरोधी नेताओं ने अपनी सप्लीमेंट जोड़ दी। पाकिस्तान को अपनी औकात दिखाने के कारण संपूर्ण भारत देश के करोड़ों नागरिक और  विश्व  के सभी देश भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दे रहे थे। ऐसे समय  मोदी विरोधी  २१ राजनैतिक गठबंधन के नेताओं ने मोदी सरकार के समर्थन में एक शब्द का भी उच्चारण नहीं किया। समय कौन सा है, प्रसंग कौन सा है इस बारे में कोई भी विचार ना करते हुए मोदी विरोधी राजकीय गठनबंधन ने सारी नीतिमत्ता, साधन शुचिता, विधि निषेधों को अपने कदमों तले रोंदने का प्रयास हो रहा था। मोदी सरकार के नेतृत्व में भारतीय हवाई दल ने जो कार्रवाई की है उनके परिणामों का डर इन सभी मोदी विरोधी गठबंधन को सता रहा है। अब लोकसभा चुनाव में अपना कुछ होने वाला नहीं है। मोदी के इस कदम से बेहद खुश होनेवाली भारतीय जनता चुनाव में मोदी पर मेहरबान होगी और आने वाले मोदी त्सुनामी में अपना बह जाना अब तय है। पूर्ण बहुमत लेकर आने वाले 5 साल के लिए मोदी का आना निश्चित है. अपने भविष्य का क्या होगा? अपना अस्तित्व रहेगा या नहीं? इस भय के कारण मोदी विरोधी राजनीतिक नेता सिर धुन रहे हैं।

कुछ मोदी विरोधी  नेताओं ने तो कहर ढा दिया है। भारतीय वायू सेना ने हवाई हमले में जैश-ए- मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण अड्डे नेस्तेनाबूत किए इस दावे पर सार्वजनिक रूप से शंका जताई जा रही है। विरोधियों का भय,  उनकी पगलाती मानसिकता और उनकी बेचैनी  को देखते हुए यह मोदी विरोधी गुट घिनोनेपन की हद पार करने तक पहुंच चुका है। पुलवामा का आतंकवादी हमला  कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह को दुर्घटना लगती है और  बालाकोट का हवाई हमला झूठा लगता है। मोदी विरोध के अंधेपन के चलते इन मोदी विरोधी गुट ने देश हित को भी तिलांजलि दे दी है। इस प्रकार का माहौल उनकी भयग्रस्त राजनीति से स्पष्ट हो रहा है। ऐसे समय में मोदी सरकार ने सिर्फ और सिर्फ देश हित को सर्वोच्च स्थान देकर अत्यंत नियोजन बद्ध रणनीति से मगरूर पाकिस्तान को घुटनो के बल चलने को मजबूर किया। किसी को कुछ भी लगे देशहित और सिर्फ देश हित,  इसमें कोई भी समझौता नहीं। नरेंद्र मोदी की इस  नीति का भारतीय जनता समर्थन ही कर रही है।

पाकिस्तान की सभी मोर्चों पर  नाकाबंदी करने का नियोजन भारत की ओर से इसके पहले कभी भी अनुभव नहीं किया गया था। सच कहे तो पाकिस्तान को लेकर एक हताशा की भावना भारत के मन में थी। इस पाकिस्तान का क्या किया जाय? यह प्रश्न भारत के सम्मुख  हमेशा होता था। 26 /11  के मुंबई आतंकवादी हमले के बाद  पाकिस्तान पर सीधी कार्रवाई करने का साहस हमने नहीं दिखाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता पर आने के बाद भारत की   नीति में बदलाव दिखाई दिया। अब तक पाकिस्तान के संदर्भ में  बचावात्मक नीति का और लंबा करने वाले भारत ने पाकिस्तान पुरस्कृत आतंकवाद का मुद्दा डट कर विश्व के सामने रखा। नरेंद्र मोदी ने सत्ता ग्रहण करने के बाद 40 से अधिक देशों में प्रवास किया। उनके विदेश प्रवास पर विपक्ष ने जमकर टीका टिप्पणी की। यह टीका टिप्पणी करते वक्त राहुल गांधी, केजरीवाल, दिग्विजय सिंह,  ममता बनर्जी जैसे अनेक मोदी विरोधी खेमे के नेताओं ने  नरेंद्र मोदी के इस विदेश प्रवास का ना तो मूल्यमापन किया ना विश्लेषण किया। पाकिस्तान को दुनिया के सामने अकेला खड़ा करने में और दक्षिण एशियाई राजनीति में करवट बदलने में मोदी के प्रवास का बहुत उपयोग हो गया।  राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में  पाकिस्तान अकेला पड़ता है, इस्लामी राष्ट्र सहकार परिषद में भारत को सम्मान मिलता है। बहुसंख्य इस्लामी देश भारत की ओर से खड़े होते हैं। पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी मसूद अज़हर के 2 आतंकवादी भाइयों के साथ 44 आतंकवादियों को गिरफ्तार करने का दावा किया है।  सैनीकी और राजनीतिक स्तर पर  भारत पाकिस्तान पर भारी पड़ा है। भारतीय सैनिकों को बधाई देनी चाहिए। 125 करोड़ आबादी वाले इस देश में सभी के सभी भारतीय नागरिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्य पर 101%  प्रतिशत खुश होंगे ऐसी कोई बात नहीं है। देश से जुड़े हुए विभिन्न घटक मोदी सरकार पर नाखुश हो सकते हैं। पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाने के कार्य में मोदी ने जो साहस दिखाया है। उस साहस का भारतीय जनता ने अभिनंदन किया है। यह नया भारत है,  दुश्मन के घर में घुसेगा भी और मारेगा भी। इस बात को भारत ने अपने कृति से सिद्ध करके  दिखाया। इस बात का श्रेय भारतीय सेना को जाता है साथ ही जिनके नेतृत्व में यह बात हो गई उन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी जाता है। जिन्होंने भारतीय सैनिकों को फ्री हैंड दिया। 1971 के युद्ध में  पाकिस्तान को भारत ने परास्त किया था। पाकिस्तान के दो टुकड़े किए थे। इसके बाद भी पाकिस्तान को पूरी तरह से काबू में लाना भारत के लिए संभव नहीं हुआ था। उस समय भारत को अंतरराष्ट्रीय सहयोग ना होने के कारण यह बात संभव नहीं हुई थी। लेकिन आज संपूर्ण विश्व आतंकवाद के विरोध में भारत के साथ खड़ा है। संयुक्त राष्ट्र से लेकर विश्व के सभी देशों ने भारत का सहयोग देने की भूमिका इस समय व्यक्त की है। इस बात को अत्यंत गंभीर रूप से देखा जाए तो  मोदी सरकार की रणनीति काम आ गई ऐसा ही कहा जा सकता है। वर्तमान स्थिति में देखा जाए तो पाकिस्तान की राजनीति आर्थिक व्यवस्था अत्यंत कमजोर स्थिति में आ गई है।  पाकिस्तान सरकार का उनके ही लश्कर की गतिविधियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। आतंकवादी  पाकिस्तानी लश्कर  का सहयोग लेकर और कोई बड़ी बात को अंजाम देने का दु:साहस कर सकते हैं। भविष्य में  पाकिस्तान में लश्कर और आतंकवादियों  पर नियंत्रण लाने के लिए अमेरिका और भारत को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है। मोदी बार-बार अपने वक्तव्य में यह पायलट प्रोजेक्ट है। इसके बाद बड़ी तैयारी होने का दावा करते हैं। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री होने के बाद हम भले हमारा काम भला इस प्रकार की भारत की  तटस्थ भूमिका को त्याग दिया है। विश्व की राजनीति में भारत ने अपना सहयोग देना प्रारंभ किया है। आतंकवाद के मुद्दे पर विश्व के प्रमुख राष्ट्र को भी भारत का सहयोग अपेक्षित है। ऐसी स्थिति में विश्व की राजनीति में भारत का सक्रिय  सहभाग होना अत्यंत आवश्यक है। इस बात को नरेंद्र मोदी ने बखूबी समझ लिया है।

आज पाकिस्तान के प्रधान मंत्री  इमरान खान ने शांति की भाषा बोलना प्रारंभ किया है फिर भी पाकिस्तान लश्कर को भारत साथ संबंध सुधारने में कोई रस नहीं है। आज चारों ओर से इस पाकिस्तान की नाकाबंदी हुई है। सामाजिक और आर्थिक स्थिति अत्यंत नाजुक बनी हुई है। इस कारण थोड़ी नरमाहट की भूमिका ली है। लेकिन इतिहास बताता है कि जब जब पाकिस्तान पर भरोसा किया गया पाकिस्तान ने भारत के पीठ में खंजर मार दिया है। पाकिस्तानी लश्कर फिर से आतंकवादियों का सहारा लेकर कश्मीर में कोई बड़ी कार्रवाही कर सकता है। चुनावी कार्यकाल में भारत पाक सीमा पर अशांत माहौल पाकिस्तान की ओर से रखा जा सकता है। ऐसे समय में   पाकीस्तान और उनके लश्कर के संदर्भ में  दीर्घाकालीन योजना करनी अत्यंत आवश्यक है। पाकिस्तान में कार्यरत जैश ए मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा,  हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे और कई आतंकवादी संगठनो को  हमेशा के लिए खत्म करना अत्यंत आवश्यक है। यह बात किये बिना भारत-पाकिस्तान में शांति नहीं बहाल हो सकती। वर्तमान में मोदी जो कर रहे है वह भविष्य में भारत को समर्थ भारत की दिशा में ले जाने का एक अनोखा प्रयास है। यह प्रयास चुनाव को सामने रखकर नहीं किये जा रहे है।  सिर्फ राष्ट्रहित को सामने रखकर नरेंद्र मोदी सरकार अपना कार्य कर रही है। ऐसे समय में आज देश में एक ऐसा वर्ग तैयार हो गया है जिन को लग रहा है कि मोदी ने जो निर्णय लिए हुए हैं। उसका श्रेय पीएम मोदी को नहीं मिलना चाहिए। और मोदी ने उस बात का कोई भी फायदा लेना भी नहीं चाहिए। इस प्रकार की मोदी विरोधी गुटों की भावना है। मोदी ने लिए हुए निर्णय पर अमल यदि ठीक तरह से नहीं होता तो ,100 प्रतिशत नरेंद्र मोदी  को दोषी करार दिया जाएगा। कहीं सर्जिकल स्ट्राइक 2 में नरेंद्र मोदी ने लिया हुआ निर्णय गलत हो जाता तो ,100% मोदी को यह लोग दोषी मानते। लेकिन इस सर्जिकल स्ट्राइक में मोदी ने जो अपनी नियोजन क्षमता दिखाइ हैं उसके लिए मोदी को बधाई देने के लिए कोई भी विरोधी गुट तैयार नहीं है। मोदी विरोध के अंधेपन में सभी बातों को राष्ट्र विरोध की धारा में देखने वाले मोदी  विरोधी नेताओं की पूर्वाग्रह दूषित बातें आज देश की जनता समझ रही है। जनता आने वाले 2019 के चुनाव में  पाकिस्तान की मस्ती मिटाने के लिए मोदी के हाथों को बल देगी ही। साथ ही मोदी के हाथों को मजबूत करते वक्त इस बात का भी पूरा पूरा ध्यान रखेगी यह 21 मोदी विरोधी गठबंधन वाले पक्ष को उनकी सही औकात भी भारत की जनता इस चुनाव में दिखाएगी।

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