विश्व के अद्वितीय संगठन का सरल परिचय
हमारा भारत देश अपने आप में एक अद्वितीय देश है| विश्व के किसी भी देश को, अर्थात् उस देश के समाज के मन में अपनी राष्ट्रीयता के बारे में कोई संदेह नहीं होता है|
हमारा भारत देश अपने आप में एक अद्वितीय देश है| विश्व के किसी भी देश को, अर्थात् उस देश के समाज के मन में अपनी राष्ट्रीयता के बारे में कोई संदेह नहीं होता है|
भारतीय जीवन रचना के अनुसार हर ग्राम की एक देवता होती है। ग्राम का जो निर्धारित क्षेत्र है, उस पर इस देवता का अधिकार चलता है। यह देवता स्त्री या पुरुष दोनों हो सकती है। भारतीय परंपरा कहती है कि, हमारे देश का सबसे प्राचीन ग्राम या नगर है वाराणसी। अब इस वा
ऐसी एक धारणा है कि प्राचीन भारतीय विचारसंपदा याने संसार से दूर भागना, सक्रिय जीवन की अपेक्षा निवृत्त जीवन बिताना, मृत्यु का- मोक्ष का विचार करना, निष्क्रियता को प्रधानता देने वाला तत्त्वज्ञान है| वास्तव में यह गलत धारणा है| सक्रियता, उद्यमशीलता,दीर्घोद्योग, पुरुषार्थ एवं पराक्रम इन गुणों का समर्थन तो प्राचीन भारतीय विचारकों ने न केवल किया ही वरन वैसा जीवन प्रत्यक्ष में जी कर दिखाया|
हमारे पुराणों में रक्तबिंदु नामक राक्षस का वर्णन आता है। देव-असुर संग्राम के बीच जब देव इस रक्तबिंदु राक्षस को मारने का प्रयास करते हैं, तब वह मरता तो नहीं, बल्कि उसके रक्त की एक-एक बिंदु से एक नया राक्षस जन्म लेता है। राक्षसों की एक पूरी नई टोली विकट हास्य करते हुए देवों पर टूट पड़ती है।
अति प्राचीन काल से भारत में ज्ञान के छह दर्शन माने गए हैं। ये हैं सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, पूर्व मीमांसा और उत्तर मीमांसा। परंपरा इसका उल्लेख ‘षट्दर्शन’ शब्द से करती है। भारत में हजारों वर्षों से योग दर्शन प्रचलित है। वर्तमान काल में योग का जो ज्ञान उपलब्ध है वह पतंजलि ऋषि द्वारा प्रवर्तित किया गया है।
१५ जनवरी यह दिन प्रति वर्ष ‘सेना दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। सन १९४९ में १५ जनवरी को जनरल करिअप्पा ने अंतिम अंग्रेज सेनापति से सेना के सूत्र स्वीकार किए। स्वतंत्र भारत के वे पहले भारतीय सेना प्रमुख थे। इस घटना की स्मृति में दि. १५ जनवरी को ‘सेना दिवस’ मनाया जाता है।
गणित शास्त्र पश्चिम से नहीं आया। यह हिंदुस्तान की देन है। हिंदुओं से अरबों ने और उनसे यूनानियों ने गणित सीखा। यह बात अविवादित है। इसी ज्ञात-अज्ञात कड़ी के अंग हैं श्रीनिवास रामानुजम, जिनके जन्म दिवस 22 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पर केवल रामानुजन् इस व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरी गणितीय परंपरा का स्मरण जगाना आवश्यक है।