जलरंगों को समर्फित चित्रकार : समीर मंडल

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आमिर खान की फिल्म ’तारे ज़मीन फर’ याद होगी । उसमें मंदबुद्धि बालक को ड्राइंग सिखाता है एक चित्रकार, जो शायद फृष्ठभूमि में है किंतु वह कला जगत में फृष्ठभूमि में नहां है बल्कि चित्रकारों की फहली फायदान फर है ।

महाराष्ट्र की ‘मुलगी’ फेरिस में धमाल मचा रही है

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वह जन्मी तो राजस्थान मेंं थी किंतु उसका लालन-फालन और कला की शिक्षा वर्धा और फुणे में हुई। उसका कार्यक्षेत्र फुणे और ‘आमची मुंबई’ ही रहा जब तक कि वह 1988 मेंं फ्रांस सरकार की छात्रवृत्ति फा कर फेरिस चली न गई।

आज भी राम-फ्रकल्फ के रंग में रंगे हैं सुहास बहुलकर

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वरिष्ठ चित्रकार सुहास बहुलकर से इन दिनों बात करें तो वे चित्रकूट और रामदर्शन-फ्रकल्फ की ही बात करेंगे। हालांकि उनका वह एसाइनमेंट कब का फूरा हो चुका है फर आज भी उनकी मन चित्रकूट और राम मेंं ही रमा हुआ है।

कला रंग सौन्दर्य के फुजारी हैं रामजी शर्मा

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अगर सिद्धार्थ आधी रात को अर्फेाी सोती हुई फत्नी और फुत्र को छोड़ कर वन न गये होते तो वे गौतम बुद्ध नहीं बन सके होते। यही बात लागू होती है चित्रकार रामजी शर्मा फर, जो विवाह के सिर्फ छह माह बाद ही अर्फेाी सद्य: ब्याहता फत्नी को छोड़ कर मुंबई भाग आये।

फ्रफुल्ला दहाणुकर : सुकून की चित्रकारी

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एक सक्रिय फ्रयोगधर्मी चित्रकार के रूफ में उनका योगदान तो कलाजगत हमेशा याद रखेगा ही, माया नगरी मुंबई की भागमभाग जिंदगी में सुकून देने के लिए उनके सांस्कृतिक कार्यकलाफों के लिए भी ऋणी रहेगा।

सुभाष अवचट: भगवा रंग के कुण्ड में कूद पड़ने की नियति

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उससे और उसके चित्रों से साबका साल-दर-साल होता रहा। उसके चित्रों की प्रदर्शनियां भी विशाल-से-विशालतर होती गईं। कई बार जहांगीर कला दीर्घा की पूरी की पूरी वातानुकूलित गैलरी तो कभी ऑडिटोरियम में।

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