डॉक्टर हेडगेवार जी का हिंदुत्व..!

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किसी व्यक्ति के कार्य का मूल्यांकन करना है, या उस व्यक्ति ने किये हुए कार्य का यश - अपयश देखना हैं, तो उस व्यक्ति के पश्चात, उसके कार्य की स्थिती क्या है, यह देखना उचित रहता हैं. उदाहरण हैं - छत्रपती शिवाजी महाराज. मात्र पचास वर्ष का जीवन. लगभग तीस…

हम में शिथिलता आ गयी और विघटन प्रारंभ हुआ !

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विश्वविख्यात अर्थशास्त्री प्रो. अंगस मेडिसन ने अपने “The History of World Economics” में प्रमाणों के आधार पर यह लिखा हैं की सन १००० में भारत विश्व व्यापार में सिरमौर था. पूरे दुनिया में व्यापार का २९% से ज्यादा भारत का हिस्सा था (यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं की आज विश्व…

गूढ़ार्थ के पर्यायवाची – भगवान शिवशंकर !

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सृष्टि में असीम आनंद का वातावरण हैं. वसंत की उत्फुल्लता चहुं ओर दृष्टिगोचर हो रही हैं. ऋतुओं के संधिकाल का यह महापर्व अपने पूरे यौवन पर हैं. वातावरण में बाबा भोलेनाथ के जयकारों की गूंज हैं. ‘कंकर – कंकर में शंकर’ की उक्ति पर दृढ़ श्रध्दा रखनेवाला हिन्दू समाज, उत्सव…

स्वामी विवेकानन्द जी की राष्ट्रीय प्रेरणा

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सन १८६३ के प्रारंभ में, १२ जनवरी को स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ हैं. उस समय देश की परिस्थिति कैसी थी? १८५७ के क्रन्तियुध्द की ज्वालाएं बुझ रही थी. यह युध्द छापामार शैली में लगभग १८५९ तक चला. अर्थात स्वामी विवेकानंद के जन्म के लगभग ४ वर्ष पहले तक. इस…

तकनीकी के साथ – योगी आदित्यनाथ !

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१९ मार्च, २०१७ को रविवार था।  भारतीय तिथि के अनुसार चैत्र कृष्ण सप्तमी थी।  इस दिन लखनऊ के काशीराम स्मृति उपवन में, एक भगवे वस्त्र पहने हुए ४४ वर्ष का युवा, भारत के सबसे बड़े राज्य, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहा था। भारतीय जनता पार्टी का,…

धरती आबा : जनजातीय गौरव

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बिरसा मुंडा जी के पिताजी जागरूक और समझदार थे. बिरसा जी की होशियारी देखकर उन्होने उनका दाखला, अंग्रेजी पढ़ाने वाली, रांची की, ‘जर्मन मिशनरी स्कूल’ में कर दिया. इस स्कूल में प्रवेश पाने के लिए ईसाई धर्म अपनाना आवश्यक होता था. इसलिए बिरसा जी को ईसाई बनना पड़ा. उनका नाम बिरसा डेविड रखा गया. किन्तु स्कूल में पढ़ने के साथ ही, बिरसा जी को समाज में चल रहे, अंग्रेजों के दमनकारी काम भी दिख रहे थे. अभी सारा देश १८५७ के क्रांति युध्द से उबर ही रहा था. अंग्रेजों का पाशविक दमनचक्र सारे देश में चल रहा था. यह सब देखकर बिरसा जी ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. वे पुनः हिन्दू बने. और अपने वनवासी भाइयों को, इन ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण की कुटिल चालों के विरोध में जागृत करने लगे.

पहचान हिंदुत्व की..! भाग – १

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संक्षेप में कहा जाए, तो यह बात वह समझ चुका था कि भले ही वह अमेरिकन हो, तथा भारत से पूरी तरह कट चुका हो, परन्तु फिर भी ‘हिन्दू’ के रूप में ही उसकी सच्ची पहचान है. आगे चलकर अरोरा ने भगवद्गीता खरीदी. उसने गीता पढ़ने का प्रयास किया. परन्तु गीता का अंग्रेजी अनुवाद उसे ठीक से समझ में नहीं आया. फिर वह वहां की स्थानीय विश्व हिन्दू परिषद् की शाखा के संपर्क में आया और वहीं से संघ की शाखा से. जब मेरी उससे भेंट हुई, तब वह प्रथम वर्ष शिक्षित संघ का स्वयंसेवक बन चुका था.

फेक न्यूज, वामियों की वैचारिक विफलता

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मुंबई पत्रकार संघ सहित अनेक पत्रकार संघों ने इस घटना पर विरोध जताया, जो स्वाभाविक था। यह लोग 'द वायर' के प्रबंधन जैसे अपने ही पत्रकार को तोप के मुंह मे थोड़े ही जाने देते? पर हां, ये सब पत्रकार संघ किंकर्त्तव्यमूढ़ की स्थिति में थे। आखिर सटिक विरोध किसका किया जाय? क्योंकि 'द वायर' के प्रबंधन ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए वे तीनों ही लेख वापिस ले लिए थे. अर्थात अनजाने ही क्यों न हो, पर किसी षडयंत्र का हिस्सा बनना उन्होंने स्वीकार किया था और अपने ही एक पत्रकार को बलि का बकरा बनाया था। तब उनपर पुलिस कार्यवाही सही या गलत ? इस संभ्रम में अनेक पत्रकार संघ थे / हैं. 

मध्य प्रदेश के जबलपुर का अनूठा दुर्गोत्सव

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जबलपुर यह भारत की सारी संस्कृतियों को समेटता हुआ शहर हैं. ये सारे लोग बडे उत्साह से, उमंग से, उर्जा से और गर्व से दुर्गोत्सव और दशहरा मनाते हैं. यह सभी का उत्सव हैं. इसलिये एक ओर जहां गरबा चलता रहता हैं, तो दुसरी ओर सिटी बंगाली क्लब और डी बी बंगाली क्लब मे बंगाली नाटकों का मंचन चलता हैं. छोटा फुआरा, गढा, घमापुर, सदर, गोकलपुर, रांझी आदी स्थानों पर रामलीला का मंचन होता रहता हैं, तो दत्त मंदिर मे मराठी समाज अष्टमी का खेल खेलता हैं. सैंकडो देवी पंडालों मे देवी पूजा, सप्तशती का पाठ, होम-हवन होता रहता हैं, तो जगह - जगह सडकों पर भंडारा चलता रहता हैं.  ये जबलपुर हैं. एम पी अजब हैं, तो हमारा जबलपुर गजब हैं. इस उत्सव के रंग मे रंगने के लिये अगले वर्ष, इन दिनों जबलपुर अवश्य आइये..!

वीर सावरकर के प्रखर विचारों की स्वीकार्यता

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निर्भयता, निडरता, निर्भीकता इन सब का पर्यायवाची शब्द हैं – वीर सावरकर। इस सामान्य कद – काठी के व्यक्ति में असामान्य और अद्भुत धैर्य था। अपने ८३ वर्ष के जीवन में वे किसी से नहीं डरे। २२ जून, १८९७ को, जब चाफेकर बंधुओं ने अत्याचारी अंग्रेज़ अफसर रॅंड को गोली…

चीन के कर्जजाल से हलकान श्रीलंका

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श्रीलंका बुरे दौर से गुजर रहा हैं। कितना बुरा ? पूरे देश के पास सिर्फ आज के लिये पेट्रोल - डीजल हैं। आज १७ मई से देश मे ८०% से ज्यादा निजी बसे चलना बंद हो जाएंगी। श्रीलंका के समुद्री क्षेत्र मे पिछले चालीस दिनों से ३ बडे जहाज, जिनमे…

डॉ. आंबेडकर जी से गद्दारी करने वाली कांग्रेस

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आज १४ अप्रैल  डॉ. बाबासाहब आंबेडकर जी की जयंती। कांग्रेस के नेता आज डॉ. आंबेडकर जी की प्रतिमा पर माला डालने अवश्य आएंगे। उन्हें रोकिये। उनका कोई अधिकार नहीं हैं बाबासाहब जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने का। जिस कांग्रेस ने जीते जी आंबेडकर जी को जलील किया, उनकी उपेक्षा…

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