स्वावलम्बी
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स्वावलम्बी
पति के रोज -रोज के तानों से शाश्वती तंग आ चुकी है। वाकई वैवाहिक जीवन दोधारी तलवार की तरह है। कहां पिता के राज में अमन- चैन भरी जिंदगी और कहां यहा बात-बात पर ताने-उलाहनें, अपमान, तिरस्कार। क्या हर ‘हाऊस वाईफ’ के जीवन में ‘अर्थ’ को