धुंधलाता दादा साहेब फालके का स्वप्न

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भारतीय फिल्मों के पितामह दादासाहब फालके भारतीय संस्कृति धर्म, परम्परा के संवाहक थे। उनकी पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। उन्होंने भारत को सिनेमा के सशक्त माध्यम का परिचय कराया। उस समय उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि, आगे चलकर बॉलीवुड फिल्में हमारी संस्कृति पर…

अभिनय में भी झंडे गाड़ रहे कास्टिंग डायरेक्टर अभिषेक बनर्जी

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"वन्स अपॉन ए टाइम इन मुम्बई"। फ़िल्म में उनके काम को सराहा गया और बतौर कास्टिंग डायरेक्टर उन्होंने पहली फ़िल्म की विद्या बालन, नसीरुद्दीन शाह और इमरान हाशमी जैसे सितारों से सजी "डर्टी पिक्चर"। अपनी टीम के साथ उन्होंने कई फिल्मों की कास्टिंग की। एक अभिनेता के रूप में..

रुपहले परदे पर बरकरार फैशन की चमक

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गुजरे ज़माने की फिल्मों में फैशनेबल कपड़ों का चलन काफी कम था और कलाकारों की ड्रेस कम बजट और स्थिति को देखते हुए तय की जाती थी, लेकिन आज ब्राण्ड का दौर है, कंपनियों की लाइन लगी हुई है और हर शुक्रवार यहां फैशन बदलता है।

बड़े परदे से फिसलती कॉमेडी

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नो एंट्री,no entry दे दनादन,de danadan, गे्रट ग्रैंड मस्ती, great Grand masti परेश रावल, paresh rawal, राजपाल यादव,Rajpal yadav, विजय राज, vijay Raj,ब्रजेश हीरजी

भंसाली, पद्मावती और विवाद

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आम दर्शक सोलहवीं सदी के सूफी फकीर मलिक मोहम्मद जायसी के महाकाव्य ‘पद्मावत’ के पन्नों में चित्रित महारानी पद्मावती के सौंदर्य, वीरता और जौहर को सत्तर एमएम के पर्दे पर जरूर देखना चाहता है| लेकिन फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी के स्वप्न में रानी पद्मावती के आने  के कथित दृश्य को लेकर विवाद उपजा है| इस संबंध में जनभावनाओं को ध्यान में रखना जरूरी है|

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