राजधर्म
महाभारत के शांति पर्व में राजधर्मानुशासन का एक उपपर्व है। भारत में जब जब ‘राजधर्म’ की चर्चा होती है तब तब महाभारत के शांति पर्व का उल्लेख किया जाता है।
महाभारत के शांति पर्व में राजधर्मानुशासन का एक उपपर्व है। भारत में जब जब ‘राजधर्म’ की चर्चा होती है तब तब महाभारत के शांति पर्व का उल्लेख किया जाता है।
हमारे देश में जिस प्रकार उत्तर प्रदेश धर्म के विषय में, महाराष्ट्र संतों के लिए, बंगाल सुधार एवं संस्कृति के दृष्टिकोण के लिए, शौर्य के लिए पंजाब उसी प्रकार इतिहास के दृष्टिकोण से बिहार का स्थान है।
अगर वास्तव में देश मेंं धर्मनिरपेक्ष समाज व्यवस्था होनी हो तो हिंदू विचार ही इसको बल दे सकता है, ऐसा हमारा मानना है। आज अनावश्यक रूप से सेक्यूलरिज्म शब्द का प्रयोग करते हुए हिंदुओं की सभी बातों का विरोध करने की जो राजनीति चल रही है, जो देश के लिए, समाज के लिए घातक होगी।
आदि भाषा संस्कृत का अथाह शब्दभंडार है। हजारों वर्षों से इन शब्दों ने असीमित विश्वयात्राएं की हैं। उनके देश-देशांतर की यात्रा इनके जन्म, शैशव, यौवन, रूप-स्वरूप, प्रवृत्ति में परिवर्तन, अर्थ-संकोच अर्थ-विस्तार, उनके जीवन में हुई उथल-पुथल की अंतरंग झांकी बहुत रोमांचक है। कुछ शब्द अपने चारित्रिक पतन के स्वयंसाक्षी हैं। इस संक्षिप्त आलेख में पेश है उसकी रोचक बातमी