समर्पित सामाजिक जीवन का विश्वविद्यालय : गणेश नाईक

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नवी मुंबई की विकासगाथा गणेश नाईक का नाम लिए बिना पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने नवी मुंबई शहर के विकास एवं समाज के उत्थान के लिए अपना समूचा जीवन खपा दिया। उन्हें लोगों के उत्थान की प्रेरणा अपनी मां से मिली थी। उनकी बताई राह पर अगली पीढ़ी भी चल रही है।

उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड में कमाल करेगी भाजपा!

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2024 लोकसभा चुनाव की दृष्टि से भाजपा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सभी सीटों पर शत-प्रतिशत जीत सुनिश्चित करने हेतु अपनी ओर से पूर्व तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों सहित स्थानीय प्रभावी नेताओं को दायित्व देकर नियुक्त कर दिया गया है। यदि फीडबैक के आधार पर पार्टी में अपेक्षित सुधार एवं परिवर्तन किया गया तो निश्चित ही भाजपा अपने लक्ष्य तक पहुंच सकती है।

2019 से शुरू हुए नाटक का पटाक्षेप

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जनादेश को अनदेखा कर जनभावनाओं का अनादर करने के कारण उध्दव ठाकरे के बाद अब शरद पवार को भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी है और महाराष्ट्र में इन दोनों क्षेत्रीय पार्टीयों का पतन यही दर्शाता हैं कि यदि अब भी इससे सीख लेकर परिवारवादी पार्टियों ने लोकतंत्र का सम्मान नहीं किया तो उनका भी पतन होना निश्चित है।

एनडीए को कितनी बड़ी चुनौती देगा इंडिया

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कुल 26 विपक्षी दलों ने एकजुटता का संदेश देते हुए बेंगलुरू बैठक के दौरान अपने गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रख दिया तो उनके समानांतर प्रतिउत्तर में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए में 38 राजनीतिक दलों को साथ लाकर एक बड़ी लकीर खींच दी है और एनडीए का मतलब भी समझा दिया है। वैसे इंडिया नाम विदेशियों द्वारा दिया हुआ है और हमारे देश का असली नाम तो भारत ही है।

विश्व में भारतीय विदेश-नीति की धमक

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मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान भारतीय विदेश नीति में आमूलचूल परिवर्तन आया है, उसी का सुखद परिणाम है कि आज पूरा विश्व भारत की विदेश नीति और उसकी प्रभावी कार्यप्रणाली का लोहा मान रहा हैं। विदेश मंत्रालय पूर्ण निष्ठा एवं समर्पण के साथ राष्ट्रीय हितों को संरक्षित करने में प्रमुख भूमिका निभा रहा हैं।

भारत-अमेरिका सम्बंध और साझी चुनौतियां

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा उपलब्धियों से भरी रही है। भारत-अमेरिका के बीच हुए समझौते देश को तकनीक, उद्योग, आर्थिक, सामरिक, रक्षा, आदि क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिध्द होंगे। भारत-अमेरिका सम्बंध, चीन की विस्तारवादी नीति को नियंत्रित करने के साथ ही विश्व के शक्ति संतुलन में अहम भूमिका निभाएगा।

‘इंडिया’ नाम देकर फंसा विपक्ष 

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2019 में बीजेपी की सीटें 282 से बढ़कर 303 हो जाने के बाद विपक्षी दलों को भविष्य नहीं, अस्तित्व का ही संकट महसूस होने लगा है। इसलिए तमाम दल आपसी एकता बनाने की ओर बढ़े। लेकिन परस्पर विश्वास और सम्मान के बिना राजनीतिक गठबंधन कैसे बने? अपने विपक्षी गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखकर इंडिया बनाम मोदी संघर्ष निर्माण करना चाहते हैं। ‌जो विरोधी दल अपनी दोनों बैठकों को 'ऐतिहासिक' बता रहे है, वह डरे सहमें  विरोधियों का जमावड़ा है।‌ अपने गठबंधन का नाम रखते हुए भी बहुत बड़ी चूक उन्होंने की है। अपने भ्रमित संगठन को इंडिया नाम देकर विपक्षियों ने बहुत बड़ी गलती की है। ‘इंडिया’ यानी भारत के साथ विपक्षी संगठन के प्रत्येक नेता और पक्ष ने कितना  छल किया है, यह देश की जनता भलीभांति जानती है इसलिए  इसका उत्तर देश की जनता जरूर देगी।

उदयपुर में जनजाति समाज की हुंकार डीलिस्टिंग महारैली

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जो व्यक्ति अपने पूर्वजों की आस्था, संस्कृति, परम्परा, भाषा, व्यवहार छोड़कर अन्य धर्म में जा रहा है, तब उसे जनजाति के रूप में प्रदत्त अधिकार भी छोड़ना ही चाहिए क्योंकि उसे जनजाति होने का अधिकार उसके पूर्वजों और उसकी संस्कृति के आधार पर ही मिला है। इसी आधार पर संविधान में एससी के लिए आर्टिकल 341 में प्रावधान है, लेकिन यह बात एसटी के लिए आर्टिकल 342 में नहीं लिखी गई। इसका फायदा धर्मान्तरण कराने वाली ताकतें उठा रही हैं। धर्मान्तरण जनजाति समाज की संस्कृति को खत्म करने का षड़यंत्र है। धर्मान्तरण राष्ट्र के लिए भी खतरा है। धर्म बदलने वाले अपनी चतुराई से दोहरा लाभ उठा रहे हैं, जबकि मूल आदिवासी अपनी ही मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहा है।

आपातकाल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

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आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे विवादास्पद एवं अलोकतांत्रिक काल कहा जाता है। आपातकाल को 48 वर्ष बीत चुके हैं, परन्तु हर वर्ष जून मास आते ही इसका स्मरण ताजा हो जाता है। इसके साथ ही आपातकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका भी स्मरण हो जाती है। संघ ने आपातकाल का…

भारत में किसानों की आय हो रही है दोगुनी

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केंद्र सरकार द्वारा किए गए उक्त वर्णित कई उपायों के चलते फसलों और पशुधन की उत्पादकता में वृद्धि हुई है, संसाधनों के उपयोग में दक्षता आने से उत्पादन लागत में कमी आई है, फसल की सघनता में वृद्धि दर्ज हुई है, उच्च मूल्य वाली खेती की ओर विविधिकरण हुआ है, किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिल रहा है एवं अतिरिक्त श्रमबल को कृषि क्षेत्र से हटाकर गैर कृषि क्षेत्र के पेशों में लगाया गया है। इस सबका मिलाजुला परिणाम यह हुआ है कि किसानों की शुद्ध आय में वृद्धि दृष्टिगोचर हो रही है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूप से किसानों की आय बढ़ती हुई दिखाई दे रही है।

कांग्रेस की हिंदू धर्म विरोधी मानसिकता उजागर

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गीता प्रेस के इस अत्यंत उदार व्यवहार के बाद भी कांग्रेस गीताप्रेस को सम्मान मिलने की तुलना गोडसे को सम्मान मिलने से करके अपनी ओछी और विकृत मानसिकता का परिचय दे रही है। इस सन्दर्भ में कांग्रेस नेता जयराम रमेश का ट्वीट आने के बाद सोशल मीडिया पर कांग्रेस की खूब आलोचना हो रही है। जनमत कह रहा है कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। एक यूजर ने लिखा कि, ”जब कभी भविष्य में भारत में कांग्रेस की वर्तमान राजनैतिक दुर्गति पर शोध ग्रंथ लिखे जायेंगे तब उसमें जयराम रमेश जैसे स्वनामधन्य नेताओं के योगदान पर पूरा चैप्टर होगा।“मोर कैथोलिक देन द पोप” शिरोमणि जो वैयक्तिक रूप से एक म्युनिसीपैलिटी का चुनाव जीतने की भी हैसियत नहीं रखते।”

भारत के समृद्धशालियों एवं प्रतिभाओं का पलायन क्यों?

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धनाढ्य परिवारों का भारत से पलायन कर विदेशों में बसने का सिलसिला चिन्ताजनक है। ऐसे क्या कारण है कि लोगों को देश की बजाय विदेश की धरती रहने, जीने, व्यापार करने, शिक्षा एवं रोजगार के लिये अधिक सुविधाजनक लगती है, नये बनते भारत के लिये यह चिन्तन-मंथन का कारण बनना चाहिए। हेनले प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन रिपोर्ट 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुमानित 6,500 हाई- नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (एचएनआई) के 2023 में भारत से बाहर जाने की संभावना है, पिछले वर्ष की तुलना में यह करोड़पतियों के देश छोड़कर जाने की 7500 की संख्या भले ही कुछ सुधरी है, लेकिन नये बनते, सशक्त होते एवं आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर भारत के लिये यह चिन्तन का विषय होना ही चाहिए कि किस तरह भारत की समृद्धि एवं भारत की प्रतिभाएं भारत में ही रहे।

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