वीरमाता गौरादेवी : ‘चिपको आंदोलन’ की जननी

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आज पूरी दुनिया लगातार बढ़ रही वैश्विक गर्मी से चिन्तित है। पर्यावरण असंतुलन, कट रहे पेड़, बढ़ रहे सीमेंट और कंक्रीट के जंगल, बढ़ते वाहन, ए.सी, फ्रिज, सिकुड़ते ग्लेशियर तथा भोगवादी पश्चिमी जीवन शैली इसका प्रमुख कारण है।  हरे पेड़ों को काटने के विरोध में सबसे पहला आंदोलन पांच सितम्बर,…

सूखती नदियां, मिटते पहाड़ हमें कहां ले जाएंगे?

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प्रदूषित होती नदियां जितनी चिन्ता का विषय हैं उससे बड़ी चिन्ता वो मानव निर्मित कारण हैं जो इनका मूल हैं। निदान ढूंढ़े बिना नदियों के प्रदूषण से शायद ही मुक्ति मिल पाए। भारत में अब इसके लिए समय आ गया है जब इसके लिए जागरूक हुआ जाए। लोग स्वस्फूर्त इस…

जलवायु परिवर्तन परिषद परिणाम नेट जीरो ?

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  इस परिषद में पर्यावरणविदों को एक नया शब्द मिला है, नेट जीरो। इसकी संकल्प पूर्ति के लिए आधी सदी शेष है। यूरोप का ‘नेट जीरो’ लक्ष्य 2050 है तो चीन का 2060 अपेक्षित है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सन 2070 तक ‘नेट जीरो’ के रूप में कार्बन मुक्त करने का उद्देश्य सामने रखा है। नेटजीरो की संकल्पना क्या वास्तविकता में परिवर्तित हो सकती है? या यह मात्र स्वप्न देखने जैसा ही रहेगा? इस पर भी चर्चा हो रही है। 

जलवायु परिवर्तन पर अतिवादी विचारों से बाहर आने की जरूरत

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ब्रिटेन के ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्रसंघ के पर्यावरण सम्मेलन या काॅप 26 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेता भाग ले रहे हैं । सबकी नजर यहां नेताओं के भाषणों तथा होने वाले निर्णयों पर होगी । पिछले कम से कम 40 वर्षों से पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन संपूर्ण…

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