प्रजा परिषद आन्दोलन के साठ साल

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जम्मू-कश्मीर के पिछले छह दशकों के इतिहास में दो आन्दोलन सर्वाधिक महत्वपूर्ण आन्दोलन कहे जा सकते हैं। मुस्लिम कान्फ्रेंस/नैशनल कान्फ्रेंस का 1931 से लेकर किसी न किसी रूप में 1946 तक चला, महाराजा हरि सिंह के शासन के खिलाफ आन्दोलन, जिसका अन्तिम स्वरूप ‘डोगरो कश्मीर छोडो’ में प्रकट हुआ।

संघ के आंदोलन और उनके परिणाम

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संघ यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। अर्फेाी माँगों की फूर्ति के लिये आंदोलन करना यह ना तो उसका प्रकृति धर्म है, ना स्वीकृत कार्य सिद्धि के लिये उफयुक्त औजार।

भारत जागरण का दूसरा दौर

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बाबा के आंदोलन को तोड़ने की लगातार कोशिश जारी है। बाबा के फास तो कोई धन नहीं मिला, उनके सहयोगी बालकृष्ण को घेरने की कोशिशें जारी हैं। उनके फतंजलि योगफीठ व उनकी दवा कम्फनियों का कच्चा-चिट्ठा खोजने के काम में सरकारी एजेंसियां जी-जान से जुटी हैं।

दूसरी आजादी की लड़ाई – जुलाई २०११

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जीवन का आधार जल, गुरु महिमा, श्रवण कुमार अब कहां ? वर्षा ऋतु के व्यंजन, सम्पादकीय सहित राज्यों के समाचार, कहानी आदि विषय वस्तु पत्रिका को सम्पूर्ण व समृद्ध बनाती है.

श्वेत-श्याम तसवीर

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लोग कहते हैं श्वेत-श्याम चित्रों का जमाना अब लद चुका है। चारों तरफ रंगीनी ही रंगीनी है। लेकिन चित्र रंगीन होते-होते कब श्वेत-श्याम में फरिवर्तित हो जाए इसे कौन जानता है? अब दक्षिण के ही दो चैनलों को देख लीजिए। कन्निमोझी कैसे चैनल को खड़ा करने के चक्कर में खुद फंस गईं। चैनल रंगीन बना रहा, लेकिन कन्निमोझी की छवि श्वेत-श्याम हो गई।

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