बाज़ारवाद के इस दौर में क्या ग्राहक वाकई राजा है?

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आज हम जिस दौर में जी रहे हैं वो है बाज़ारवाद और उपभोक्तावाद का दौर। अब पहला प्रश्न यह कि इसका क्या मतलब हुआ? परिभाषा के हिसाब से यदि इसका अर्थ किया जाए तो वो ये होगा कि आज उपभोक्ता (यानी किसी भी वस्तु का उपयोग करने वाला) ही राजा…

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस: ग्राहक जानें अपना अधिकार

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  इस दुनिया में इस्तेमाल करने योग्य लाखो सामान है जिसे कंपनी या फिर कारखानों में तैयार किया जाता है और फिर उसे आम जनता अपने इस्तेमाल के लिए खरीदती है। सामान को तैयार करने वाले की लागत और लाभ से लेकर दुकानदार के लाभ के साथ सभी पैसे खरीदने…

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस

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विश्व स्तर पर काम करनेवाले जागतिक संगठनों में ग्राहकों का प्रतिनिधित्व करनेवाले स्वैच्छिक संस्थाओं के एक विश्व संगठन की जरूरत महसूस की जाने लगी।

उपभोक्ता कानून के तहत न्याय व्यवस्था

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उपभोक्ताओं को शीघ्र और सस्ते में न्याय दिलाने के लिए उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 के तहत तीन स्तर पर न्यायिक मशीनरी यानी उपभोक्ता अदालतें स्थापित की गई हैं।

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