बॉलीवुड के बेशर्म रंग

Continue Readingबॉलीवुड के बेशर्म रंग

‘बेशर्म रंग’ वैसे तो शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण अभिनीत नई फिल्म पठान का एक गीत मात्र है, जिसे लेकर पिछले कई दिनों में कई चर्चाएं हुई हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड का ही रंग ‘बेशर्म’ हो चला है। एक समय था जब फिल्मों को समाज का आईना कहा जाता था, फिल्म बनाने वालों…

प्रोपोगेंडा की साधक बनती जा रही पत्रकारिता

Continue Readingप्रोपोगेंडा की साधक बनती जा रही पत्रकारिता

"ना कलम बिकती है, ना कलमकार बिकता है। लिख लिख कर थक जाती है ये उंगलियां तब जाकर कहीं अख़बार बिकता है।" आज पत्रकारिता का दौर बदल गया है। टीआरपी के चक्कर में अब खबरें बनाई और बेची जाने लगी है। एक समय था जब पत्रकार की कलम से अंग्रेजी…

क्या कार्टूनों की आड़ में अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रहार किया जा रहा है?

Continue Readingक्या कार्टूनों की आड़ में अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रहार किया जा रहा है?

पहले उस कार्टून के बारे में थोड़ा जान लिया जाय। जादबपुर विश्वविद्यालय के प्रो. अंबिकेश महापात्र ने ममता बनर्जी पर बनाये गये अपने कुछ कार्टूनों को इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइट ‘फेसबुक’ पर लगाया और उन्हें अपने कुछ मित्रों को भी पोस्ट किया।

End of content

No more pages to load