चंद्रशेखर आजाद के साथी डॉ. भगवानदास माहौर

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देश की स्वतन्त्रता के लिए अपना सर्वस्व दाँव पर लगाने वाले डा. भगवानदास माहौर का जन्म 27 फरवरी, 1909 को ग्राम बडौनी (दतिया, मध्य प्रदेश) में हआ था। प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में पूरी कर ये झाँसी आ गये। यहाँ चन्द्रशेखर आजाद के सम्पर्क में आकर 17 वर्ष की अवस्था में ही इन्होंने क्रान्तिपथ स्वीकार कर लिया।

महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस

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भारत के महान सपूत महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। नेता जी आजीवन स्वाधीनता संघर्ष ,युद्ध तथा सैन्य संगठन में रत रहे। सुभाष बाबू के जीवन पर स्वामी विवेकानंद, उनके गुरू स्वामी रामकृष्ण परमहंस तथा महर्षि अरविंद के गहन दर्शन  और उच्च भावना…

स्वाभिमान को जागृत करने वाली वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई

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विरला ही कोई ऐसा होगा जो महारानी लक्ष्मीबाई के साहस, शौर्य एवं पराक्रम को पढ़-सुन विस्मित-चमत्कृत न होता हो! वे वीरता एवं संघर्ष की प्रतिमूर्त्ति थीं। उनका जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी में हुआ था। मात्र 29 वर्ष की अवस्था में अँग्रेजों से लड़ते हुए 18 जून, 1858 को…

खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी

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भारतीय इतिहास वीर गाथाओं से भरा पड़ा है और आज जब  देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तब इन गाथाओं को स्मरण कर इतिहास को जीवंत करना समीचीन है । महारानी लक्ष्मीबाई की गाथा ऐसी ही एक अनुपम वीरगाथा है । महारानी लक्ष्मीबाई उन महान क्रांतिकारी योद्धाओ में…

सशस्त्र क्रांतिकारी व मानवकल्याण के विचारों के संवाहक महर्षि अरविंद

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‘कारागार में मुझे एक संदेश प्राप्त हुआ है। ईश्वर ने मुझे यह बताया है कि सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए मेरा जीवन है। मेरा आगे का जीवन स्वयं के लिए नहीं तो अपितु विश्व के कल्याण के लिए है। सनातन धर्म में चैतन्य निर्माण करने के लिए मेरा जीवन समर्पित करना है।’                                                                                                                                 -महर्षि अरविंद

सावरकर और गांधी के संबंधों पर प्रश्न उठाने वाले सच्चाई देखें

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वीर सावरकर या उनके जैसे दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों ने कल्पना भी नहीं की होगी कि उनके देश के लोग ही कभी उनके शौर्य, वीरता और इरादे पर प्रश्न उठाएंगे। वीर सावरकर के साथ त्रासदी यही है कि वैचारिक मतभेदों के कारण एक महान स्वतंत्रता सेनानी, योद्धा, समाज सुधारक, लेखक ,कवि…

कविता में आंदोलन की गूंज

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एक लंबे संघर्ष और बलिदान के पश्चात ही भारत स्वधीन हो सका और देश मेंं गणतन्त्र कि स्थापना हुई । इसके पूर्व सुल्तानों और अंग्रेजों का शासन कैसा था, यह सर्वविदित है ।

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