बदलती आबोहवा और जल संकट
अनुमान है कि इस सदी के मध्य तक अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर अधिक वर्षा होगी। यह अतिरिक्त पानी बह कर सागर में चला जाएगा। कुछ जगह बेहद बारिश होगी तो अन्य जगह बारिश का अभाव होगा। इससे 2050 तक पानी का संकट बढ़ने की संभावना है।
अनुमान है कि इस सदी के मध्य तक अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर अधिक वर्षा होगी। यह अतिरिक्त पानी बह कर सागर में चला जाएगा। कुछ जगह बेहद बारिश होगी तो अन्य जगह बारिश का अभाव होगा। इससे 2050 तक पानी का संकट बढ़ने की संभावना है।
गुजरात की प्रसिध्द सामाजिक सांस्कृतिक संस्था मसमस्त महाजनफ ने सामाजिक, सांस्कृतिक और मूल्याधारित शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम किया है। जीवदया और गोसेवा के क्षेत्र में संस्था का अतुल्य काम है। संस्था के कार्यों पर संस्थापक योगेश शाह से हुई भेंटवार्ता के कुछ महत्वपूर्ण अंश पेश हैं-
पृथ्वी पर आने वाली छहों ऋतुओं में प्रकृति छह बार नूतन शृंगार करती हैं। यों तो ऋतु चक्र में प्रकृति के सभी रूप मनोहर होते हैं, किंतु झुलसते ग्रीष्म के बाद उमड़-घुमड़ कर आने वाले मेघों को देखकर मन विशेष आह्वाद व शीतलता का अनुभव करता है। वर्षा की फुहारें मनुष्य ही नहीं, जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों और वनस्पितयों तक नवजीवन का संचार कर देती हैं।