नयी कविता के प्रमुख हस्ताक्षर भवानी प्रसाद मिश्र

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साहित्य के क्षेत्र में कविता सबसे प्राचीन एवं लोकप्रिय विधा है, चूँकि इसमें कम शब्दों में बड़ी बात कही जा सकती है। काव्य को अनुशासित रखने हेतु व्याकरण के आचार्यों ने छन्द शास्त्र का विधान किया है; पर छन्द की बजाय भावना को प्रमुख मानने वाले अनेक कवि इस छन्दानुशासन…

कहानियों में आंसू, प्रेम-संघर्ष लिखने वाले नवनीत

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जैसे मां का मीठा दूध। वैसी ही मीठी कहानियां। जब हम विद्यार्थी थे , हम उन्हीं की तरह बनना चाहते थे। उन्हीं की तरह बोलना और लिखना चाहते थे। तब के दिनों वह गोरखपुर में स्टार हुआ करते थे । लखनऊ से गए थे लेकिन आकाशवाणी , गोरखपुर की समृद्ध…

आपको प्रारंभ से अंत तक जोड़े रखेगी ‘छूटते किनारे’

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'छूटते किनारे' युवा लेखक सुयश त्यागी का दूसरा उपन्यास है। एक युवा के जीवन की कहानी पर केंद्रित इस उपन्यास में उम्र के सभी पड़ावों पर खड़े किरदारों की बात की गई है। उपन्यास का कथानक इतना सहज है कि कुछ पृष्ठ पढ़ते ही आप इसकी कहानी और किरदानों के…

साहित्यकार सांसद डॉ. रघुवीर सिंह

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ऐसा प्रायः कम ही होता है कि राजपरिवार में जन्मे व्यक्ति को सत्तामद न हो; पर 23 फरवरी, 1908 को सीतामऊ (मध्य प्रदेश) रियासत के महाराजा श्री रामसिंह के घर में जन्मे महाराज कुमार रघुवीर सिंह इसके अपवाद थे। प्रारम्भिक शिक्षा घर पर होने के बाद ये इन्दौर के डेली…

विश्व हिंदी सम्मेलन या अंग्रेजी की गुलामी ?

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फिजी में 15 फरवरी से 12 वाँ विश्व हिंदी सम्मेलन होने जा रहा है। यह सम्मेलन 1975 में नागपुर से शुरु हुआ था। उसके बाद यह दुनिया के कई देशों में आयोजित होता रहा है। जैसे मोरिशस, त्रिनिदाद, सूरिनाम, अमेरिका, ब्रिटेन, भारत आदि! पिछले दो सम्मेलनों को छोड़कर बाकी सभी…

हिन्दी साहित्य के अमिट हस्ताक्षर रांगेय राघव

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यों तो हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि में अनेक लेखकों ने योगदान दिया है; पर 17 जनवरी, 1923 को जन्मे रांगेय राघव का स्थान उनमें विशिष्ट है।  वे तमिलभाषी पिता और कन्नड़भाषी माँ की सन्तान थे; पर उन्होंने अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम हिन्दी को बनाया। 15 वर्ष की छोटी अवस्था से…

गुनाहों का देवता डॉ. धर्मवीर भारती 

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सत्तर और अस्सी के दशक में हिन्दी साहित्याकाश में साप्ताहिक पत्रिका ‘धर्मयुग’ सूर्य की तरह पूरे तेज से प्रकाशित होती थी। उसमें रचना छपते ही लेखक का कद रातोंरात बढ़ जाता था। उस समय के सैकड़ों ऐसे लेखक हैं, जिन्होंने धर्मयुग से पहचान और प्रसिद्धि पाई। छपाई की पुरानी तकनीक…

महामहिम राष्ट्रपति को प्रथम प्रति भेंट 

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मुंबई विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर करुणाशंकर उपाध्याय ने अपना सद्य: प्रकाशित ग्रंथ जयशंकर प्रसाद महानता के आयाम की प्रथम प्रति भारत गणराज्य के माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को भेंट की। इस अवसर पर भारत सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री और वरिष्ठ साहित्‍यकार डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक और हिमालयन विश्वविद्यालय…

एक भारतीय आत्मा माखनलाल चतुर्वेदी

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श्री माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अपै्रल, 1889 को ग्राम बाबई, जिला होशंगाबाद, मध्य प्रदेश में श्री नन्दलाल एवं श्रीमती सुन्दराबाई के घर में हुआ था। उन पर अपनी माँ और घर के वैष्णव वातावरण का बहुत असर था। वे बहुत बुद्धिमान भी थे। एक बार सुनने पर ही कोई…

कुबेरनाथ राय : साहित्य जगत के विशाल वट वृक्ष

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ललित निबंध हिन्दी साहित्य की एक अनुपम विधा है। इसमें किसी विषय को लेखक अपनी कल्पना शक्ति के आधार पर आगे बढ़ाता है। इन्हें पढ़ते हुए ऐसा लगता है मानो पाठक नदी के प्रवाह में बिना प्रयास स्वयमेव बह रहा हो। गद्य को पढ़ते हुए पद्य जैसे आनन्द की अनुभूति…

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