‘पय्योली एक्सप्रेस’ पी.टी. उषा

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पी.टी. उषा पहली महिला खिलाड़ी है, जिन्होंने अन्तरराष्ट्रीय खेल जगत् में भारत का नाम ऊँचा किया। उनका पूरा नाम पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा है। उनका जन्म 20 अप्रैल, 1964 को केरल में कालीकट के निकट पय्योली नामक गाँव में हुआ।  उनका बचपन घोर गरीबी में बीता। खेलना तो बहुत दूर पढ़ने…

युवा बलिदानी अनंत लक्ष्मण कान्हेरे

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भारत माँ की कोख कभी सपूतों से खाली नहीं रही। ऐसा ही एक सपूत थे अनंत लक्ष्मण कान्हेरे, जिन्होंने देश की स्वतन्त्रता के लिए केवल 19 साल की युवावस्था में ही फाँसी के फन्दे को चूम लिया। महाराष्ट्र के नासिक नगर में उन दिनों जैक्सन नामक अंग्रेज जिलाधीश कार्यरत था।…

तपस्वी शिक्षाविद महात्मा हंसराज

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भारत के शैक्षिक जगत में डी.ए.वी. विद्यालयों का बहुत बड़ा योगदान है। विद्यालयों की इस शृंखला के संस्थापक हंसराज जी का जन्म महान संगीतकार बैजू बावरा के जन्म से धन्य हुए ग्राम बैजवाड़ा (जिला होशियारपुर, पंजाब) में 19 अप्रैल, 1864 को हुआ था। बचपन से ही शिक्षा के प्रति इनके मन में…

समाजसेवी महर्षि धोण्डो केशव कर्वे

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महर्षि कर्वे का जन्म 18 अप्रैल, 1858 को महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में हुआ था। उनका पूरा नाम धोण्डो केशव पन्त था और वे अण्णा साहब कर्वे के नाम से भी जाने जाते थे। बचपन से ही उनकी पढ़ाई में बहुत रुचि थी।  कक्षा छह की परीक्षा देने के लिए…

राष्ट्रीय पटल पर हिमाचल का उदय

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सन 1965 में पंजाब के पुनर्गठन के प्रश्न पर पुनर्विचार हुआ। इसके कारण पंजाब और हिमाचल के पहाड़ी लोगों को अपनी उस चिर-पोषित मांग पर फिर से बल देने का मौका मिल गया जिसे उन्होंने राज्य पुनर्गठन आयोग के समक्ष रखा था। अन्तत: उनका संघषर्र् रंग लाया और 1 नवम्बर 1966 को हिमाचल प्रदेश को विस्तृत आकार दिया गया।

जयप्रकाश नारायण की धर्मपत्नी प्रभावती जी

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जयप्रकाश नारायण के नाम से तो प्रायः सभी परिचित हैं, क्योंकि 1975 में इन्दिरा गांधी द्वारा लगाये गये आपातकाल के विरोध में उनके द्वारा किया गया संघर्ष अभी बहुत पुराना नहीं हुआ है। इससे पूर्व उन्होंने गांधी जी और बाद में विनोबा भावे के साथ सर्वोदय आन्दोलन में भी काफी…

वीर खाज्या एवं दौलतसिंह नायक

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खाज्या नायक अंग्रेजों की भील पल्टन में एक सामान्य सिपाही थे। उन्हें सेंधवा-जामली चैकी से सिरपुर चैक तक के 24 मील लम्बे मार्ग की निगरानी का काम सौंपा गया था। खाज्या ने 1831 से 1851 तक इस काम को पूर्ण निष्ठा से किया।  एक बार गश्त के दौरान उन्होंने एक…

समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले

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महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल, 1827 को पुणे (महाराष्ट्र) में हुआ था। इनके पिता श्री गोविन्दराव फूलों की खेती से जीवनयापन करते थे। इस कारण इनका परिवार फुले कहलाता था। महाराष्ट्र में उन दिनों छुआछूत की बीमारी चरम पर थी। अछूत जाति के लोगों को अपने चलने से अपवित्र हुई…

बाबू जगजीवनराम और सामाजिक समरसता

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हिन्दू समाज के निर्धन और वंचित वर्ग के जिन लोगों ने उपेक्षा सहकर भी अपना मनोबल ऊंचा रखा, उनमें ग्राम चन्दवा (बिहार) में पांच अप्रैल, 1906 को जन्मे बाबू जगजीवनराम का नाम उल्लेखनीय है। उनके पिता श्री शोभीराम ने कुछ मतभेदों के कारण सेना छोड़ दी थी। उनकी माता श्रीमती बसन्ती देवी…

नयी कविता के प्रमुख हस्ताक्षर भवानी प्रसाद मिश्र

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साहित्य के क्षेत्र में कविता सबसे प्राचीन एवं लोकप्रिय विधा है, चूँकि इसमें कम शब्दों में बड़ी बात कही जा सकती है। काव्य को अनुशासित रखने हेतु व्याकरण के आचार्यों ने छन्द शास्त्र का विधान किया है; पर छन्द की बजाय भावना को प्रमुख मानने वाले अनेक कवि इस छन्दानुशासन…

सिख पंथ के सेवक संत अतरसिंह

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संत अतरसिंह जी का जन्म 28 मार्च, 1866 को ग्राम चीमा (संगरूर, पंजाब) में हुआ था। इनके पिता श्री करमसिंह तथा माता श्रीमती भोली जी थीं। छोटी अवस्था में वे फटे-पुराने कपड़ों के टुकड़ों की माला बनाकर उससे जप करते रहते थे। लौकिक शिक्षा की बात चलने पर वे कहते…

भगवान विश्वनाथ के आराधक भारतरत्न बिस्मिल्ला खां

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भगवान विश्वनाथ के त्रिशूल पर बसी तीन लोक से न्यारी काशी में गंगा के घाट पर सुबह-सवेरे शहनाई के सुर बिखरने वाले उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म 21 मार्च, 1916 को ग्राम डुमराँव, जिला भोजपुर, बिहार में हुआ था। बचपन में इनका नाम कमरुद्दीन था। इनके पिता पैगम्बर बख्श भी संगीत…

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