रानी गाईदिन्ल्यू: स्वतंत्रता संग्राम में पूर्वोत्तर की प्रतिनिधि यौद्धा 

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पूर्वोत्तर के जनजातीय क्षेत्रों में एक लोकोक्ति बड़ी ही प्रचलित है -  “सोत पो, तेरह नाती ; तेहे करीबा कूँहिंयार खेती।” अर्थात स्त्री यथेष्ट संख्या में जब बच्चों को जन्म देगी तब ही समाज में खेती सफल होगी। पूर्वोत्तर के हाड़तोड़ श्रम करने वाले समाज में यह कहावत परिस्थितिवश ही जन्मी…

रानी कमलापति – भोपाल की रूह में बसी एक रानी

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अतीत की आँख से भोपाल के आँचल में गिरे आँसू का नाम है-रानी कमलापति। न वह किसी बड़े साम्राज्य की साम्राज्ञी थीं, न ही किसी प्रसिद्ध राजवंश से उनका नाता था और न ही वे अपने समय की कोई विकट योद्धा थीं। भोपाल से बाहर इंदौर या ग्वालियर में भी…

सहरिया जनजाति की गौरव गाथा

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ग्वालियर-चंबल अंचल में रहने वाली बहुसंख्यक जनजाति 'सहरिया' की गौरव एवं शौर्य गाथाओं का उल्लेख स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में अपवादस्वरूप ही होता है। लेकिन इतिहास सम्मत तथ्य है कि जब झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी से निकलकर शिवपुरी जिले के गोपालपुर जागीर में पड़ाव डाला था, तब उन्होंने…

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