पूर्वांचल की मातृ सत्ता

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वर्तमान पुरुष सत्ता के परिवेश में हम किसी ऐसे समाज की कल्पना नहीं कर सकते जहां परिवार एवं समाज का संचालन पूरी तरह से महिलाओं पर आश्रित हो परंतु भारत का पूर्वोत्तर भाग मातृ सत्ता के रूप में अभी तक अपनी पुरानी पहचान को बचाए रखने में सफल रहा है।…

चीन पर ऐसी राजनीति देश हित में नहीं 

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चीन पारंपरिक राजनीति फिर देश को निराश कर रही है ।  विपक्ष का काम सरकार से जवाब लेना है। क्या यह हर विषय और मुद्दे पर लागू हो सकता है? चीनी सेना ने तवांग सेक्टर में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर घुसपैठ की असभ्य कोशिश किया यह सच है।…

रानी गाईदिन्ल्यू: स्वतंत्रता संग्राम में पूर्वोत्तर की प्रतिनिधि यौद्धा 

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पूर्वोत्तर के जनजातीय क्षेत्रों में एक लोकोक्ति बड़ी ही प्रचलित है -  “सोत पो, तेरह नाती ; तेहे करीबा कूँहिंयार खेती।” अर्थात स्त्री यथेष्ट संख्या में जब बच्चों को जन्म देगी तब ही समाज में खेती सफल होगी। पूर्वोत्तर के हाड़तोड़ श्रम करने वाले समाज में यह कहावत परिस्थितिवश ही जन्मी…

‘कार्यमग्नता ही जीवन हो’- श्रीकान्त जोशी

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समय था सन् 1962 में ईशान्य भारत पर हुए चीनी आक्रमण का। अनपेक्षित रूप से हुए आक्रमण के कारण हिंदी-चीनी भाई-भाई का जाप करने वाली सरकार त्रस्त हो गई थी।

सक्षम परंतु उपेक्षित ईशान्य भारत

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नामक संस्था के द्वारा उत्तर पूर्व में भारत की एकता को कायम रखनेे के लिये किये प्रयासों के लिये नाबाम अतुम को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने उत्तर-पूर्व के विषय में चिंता दर्शाते हुए निम्न विचार व्यक्त किये।

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