जीवन में अमृत है पानी : जल है तो कल है

Continue Readingजीवन में अमृत है पानी : जल है तो कल है

मनुष्य का शरीर पंचभूत से निर्मित है। पंचभूत में पांच तत्त्व आकाश, वायु, अग्नि, जल एवं पृथ्वी सम्मिलित है।  सभी प्राणियों के लिए जल अति आवश्यक है। प्रत्येक प्राणी को जीवित रहने के लिए जल चाहिए। नि:संदेह जल ही जीवन है। जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है।…

प्राकृतिक आपदा और प्रशासन का ‘मिस मैनेजमेंट’

Continue Readingप्राकृतिक आपदा और प्रशासन का ‘मिस मैनेजमेंट’

मनुष्य होते हुए हमने नदियों, झीलों, तालाबों और जंगलों सबके साथ हर स्तर का दुराचार किया है तो प्रकृति किसी न किसी रूप में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करेगी ही। हालांकि ग्लोबल वार्मिंग के चलते प्राकृतिक आपदाएं तो आती रहेंगी लेकिन इससे निपटने के लिए शासन-प्रशासन का मिस मैनेजमेंट भी काफी हद तक जिम्मेदार है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि आपदाओं से निपटने हेतु दूरदृष्टि का परिचय देते हुए जो सुरक्षा इंतजाम किये जाने चाहिए, उसकी पूर्व तैयारियां आज भी नहीं दिखाई देती।

भारी बारिश ने मचाया कहर, लोग पलायन करने को मजबूर

Continue Readingभारी बारिश ने मचाया कहर, लोग पलायन करने को मजबूर

देश में बारिश का कहर जारी है पिछले करीब 3 दिनों से लगातार बारिश हो रही है हालांकि इस बारिश से मुंबई और दिल्ली का हाल थोड़ा खराब है। दिल्ली में जहां जल जमाव से सड़कें रुक गयी है तो वहीं मुंबई में भी भारी बारिश की वजह से लोग अपने…

बरखा की पहली सौगात ले आये

Continue Readingबरखा की पहली सौगात ले आये

पृथ्वी पर आने वाली छहों ऋतुओं में प्रकृति छह बार नूतन शृंगार करती हैं। यों तो ऋतु चक्र में प्रकृति के सभी रूप मनोहर होते हैं, किंतु झुलसते ग्रीष्म के बाद उमड़-घुमड़ कर आने वाले मेघों को देखकर मन विशेष आह्वाद व शीतलता का अनुभव करता है। वर्षा की फुहारें मनुष्य ही नहीं, जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों और वनस्पितयों तक नवजीवन का संचार कर देती हैं।

End of content

No more pages to load