शायरी का खुदा-मीर तक़ी मीर
शायर कहता है देखो जरा यह धुआं कहां से उठ रहा है। जरूर किसी प्रेमी का दिल दुख से जल रहा होगा। ये धुआं उसके दिल से उठ रहा है या दर्द उसके प्राणों तक चले जाने के कारण उसके प्राणों से उठ रहा है। कहीं वह प्रेमी जीवन-मृत्यु की सीमा पर तो नहीं है?