बदरीनाथ के माइनस 20 डिग्री में 11 साधु करेंगे तपस्या

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  विज्ञान कितनी भी तरक्की कर ले लेकिन भगवान की आस्था कभी कम नहीं होती है। आज भी दुनिया जितना विज्ञान पर भरोसा करती है उससे अधिक भगवान पर विश्वास करती है यहां तक कि खुद वैज्ञानिक भी अपने किसी काम से पहले भगवान की पूजा करते हैं। हालांकि बदलते…

हंगूल

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1970 में इस संख्या में 140 से 170 तक भारी कमी आई। उनके प्राकृतिक निवास का ध्वंस, पशु चराई, खेती के लिए जमीन पर अतिक्रमण इत्यादि कारणों से यह कमी आई। लेकिन घ्ळण्र्‍ की सफल योजना के कारण 1983 में उनकी संख्या में 482 तक वृध्दि हुई।

फुहारों के रंग : पर्यटन विशेष

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मानसून शब्द सुनते ही मन प्रफुल्लित हो उठता है। इस मौसम में मानो प्रकृति सभी सजीव और निर्जीव जगत को अपनी तरफ आने का आह्वान करने लगती है। मानव हो या पशु-पक्षी, जड़ क्या चेतन सबमें एक नये रंग और तरंग का संचार होने लगता है। किसान हो या व्यापारी, बच्चे हों या जवान या बूढे, लेखक हो या फिल्मकार सभी में कल्पना के पंख लग जाते हैं।

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