Everything About Snow Leopard In Hindi | गिरि राजा हिम तेंदुआ के बारे में हिंदी में

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Snow Leopard
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हिम तेंदुआ जिद्दी और तेजतर्रार प्राणी हैा वह 15 मीटर तक की छलांग आसानी से लगा सकता हैा वह यद्दपि निशाचर है; फिर भी कई बार दिन में भी शिकार करता हैा ऊंचे पर्वतों पर से लुकते छिपते संचार करते समय वह निचले इलाके में आहार विहार करते प्राणियोंं पर नजर रखता है। उसकी आंखोंं की पुतलियां गोल होती हैं और उनमें कोई रेखा नहीं होती।

हठयोग के साधक मेढ़को की महानिद्रा

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बरसात का मौसम समाप्त होते ही मेढ़क जमीन के भीतर से चार से सात फीट गहरे बिल में महानिद्रा में लीन होने लगते हैं। मेढ़क का फुफ्सुस आदिम स्थिति में होने के कारण श्वसन क्रिया के लिए वह पूरा नहीं पड़ता।

बारिश का संकेत देते पशु – पक्षी

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बारिश से लगभग डे़ढ-दो महीने पहले ही पशु-पक्षियों के माध्यम से हमें बारिश के संकेत मिलने लगते हैं। पक्षियों को सबसे पहले बारिश के संकेत मिलने लगते हैं।

शाखा बन्दर

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शाखा बन्दर को अंग्रेजी में ‘हूलाक गिब्बन बाइनोपाइथेकस हूलाक’ कहा जाता है। असम और बांग्लादेश में बहुत अधिक संख्या में पाये जाने वाले शखा बन्दर को असमिया में ‘होलोयू बन्दर’ और बांग्ला में ‘उलूक’ अथवा ‘उलूमन’ कहते हैं।

सिंह बन्दर

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सिंह बन्दर को अंग्रेजी में ‘लायनटेल्ड मकाक मकाका साइलेनस’ (थ्ग्दहूग्त् श्म श्म्म् एग्तहल्े) कहा जाता है। हिन्दी में सिंह बन्दर या शेर बन्दर कहते हैं।

लाजवंती वानर

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प्लवंग माने एत्दै थ्दग्े (र्‍ल्म्ूग्मंल्े ण्दहम्दहु) हिंदी में उसे ‘शर्मिली बिल्ली’ कहा जाता है। यही लाजवंती वानर कहलाता है। प्लवंग का रामायण में उल्लेख हुआ हैं। मृग पक्षीशास्त्र में प्लवंग का वर्णन हुआ है

टोफी वानर

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टोफी वानर या टोफी फर्णी वानरों को अंग्रेजी में कैपड लीड मंकी या कैपड लंगूर कहा जाता है। फक्षीशास्त्र में इसका उल्लेख मिलता है। संस्कृत में इसे शाखामृग कहा जाता है।

संगाई

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संगाई को अंग्रेजी में हूता् ई, लैटिन में णन्ल्े ात्ग्ग् तथा ब्राह्मी भाषा में शामिन व मणिपुरी में संगाई कहते हैं। संस्कृत में उसे रूरू के नाम से जाना जाता है।

हंगूल

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1970 में इस संख्या में 140 से 170 तक भारी कमी आई। उनके प्राकृतिक निवास का ध्वंस, पशु चराई, खेती के लिए जमीन पर अतिक्रमण इत्यादि कारणों से यह कमी आई। लेकिन घ्ळण्र्‍ की सफल योजना के कारण 1983 में उनकी संख्या में 482 तक वृध्दि हुई।

बारहसिंगा

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कैलाश सांखला नामक वन्यप्राणी वैज्ञानिक ने बारहसिंगा की गणना की थी। तब 1977 में कान्हा में उनकी संख्या 130‡140 थी। 1930 में यह संख्या 3 हजार थी। काजीरंगा में लगभग 250 व दुधवा में 3 हजार बारहसिंगा थे।

भोजन के लिए भटकते वन्य जीव

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पिछले कुछ सालों से हम पढ़ रहे हैं और सुन रहे हैं कि कर्नाटक राज्य के दण्डेली क्षेत्र के जंगलों से जंगली हाथियों के कुछ झुण्ड गोवा मार्ग से महाराष्ट्र के कोकण व कोल्हापुर जिले के जंगलों में प्रवेश कर रहे हैं।

कस्तूरी मृग

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भारत में कश्मीर से अरुणाचल तक उत्तरी भाग में ऊंचाई के स्थान वे होते हैं। शैवाली वनस्पतियों, फूल‡पत्तों पर वे जीते हैं। कस्तूरी के लिए इस मृग की निर्मम हत्या की जाती है। उसके प्राकृतिक निवास का ध्वंस हो रहा है। फलस्वरूप उनकी संख्या कम होती जा रही है।

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