हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
सुखी और समृद्धशाली गोवा का स्वप्न देखने वाला लोक नेता……मनोहर पर्रिकर

सुखी और समृद्धशाली गोवा का स्वप्न देखने वाला लोक नेता……मनोहर पर्रिकर

by अमोल पेडणेकर
in राजनीति, विशेष, व्यक्तित्व
3
गोवा के साथ ही पूरे भारत की जनता मनोहर पर्रिकर  की ओर कौतूहल और सम्मान की दृष्टि से देखती थे। वे चाहे सत्ता में रहें या सत्ता से बाहर रहें, जनता के मन पर उनका प्रभाव हमेशा रहा है। स्वच्छ चरित्र और जनकल्याणकारी राजनीति के कारण ही वे हमेशा चर्चा का विषय रहे हैं।ऐसे सबके चहेते पर्रिकर आज हमारे बीच नही रहे,इस बात पर मन विश्वास नही कर रहा पर नियती ने अपना काम बड़ी निर्दयता से किया है।
आज राजनेता जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं, उनमें मनोहर पर्रिकर जैसे स्वच्छ चरित्र और नैतिकता वाले नेता बिरले ही मिलेंगे। मनोहर पर्रिकर का व्यक्तित्व राजनीति की लीक से हटकर ही था।
आईआईटी के अभियंता, अपने तत्वों से किसी भी प्रकार से पीछे न हटनेवाले मुख्यमंत्री और भारत केेे समर्थ  रक्षामंत्री केेे रुप उनकी पहचान थी।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सांचे में ढले इस कार्यकर्ता को संघ की सीख और अपने व्यक्तित्व को बनाने में संघ का योगदान महत्वपूर्ण लगता था।
गोवा में भाजपा की सरकार के वापस आने के कारण वहां के जानकार बताते हैं कि भाजपा को सत्ता में लाने के लिए यहां के कैथलिक लोगों ने पर्रिकर को भरपूर मतदान किया था। पर्रिकर संघ के स्वयंसेवक हैं पर यहां की ईसाई जनता मानती थी कि वे ही संघ और चर्च के मध्य उत्तम संतुलन रख सकते थे।
गोवा में केवल हिंदू मतदाताओं का ही नहीं वरन ईसाई और मुस्लिम मतदाताओं का रूख भी भाजपा की ओर मोड़ने में पर्रिकर सफल रहे थे। मनोहर पर्रिकर ने यह जाना कि भाजपा को केवल हिंदुओं के मत प्राप्त करने जैसा दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिए। उन्होंने यह मानकर कि, चुनाव अन्य धर्म के लोगों को भाजपा के पास लाने की रचना की। ईसाई और मुस्लिम बन्धुओं ने पर्रिकर की नियोजनबद्ध शैली को देखकर भाजपा को सत्ता दिलाने मे हमेशा सहयोग दिया था। आज जब कोई भी राजनेता आह्वान करता है तो वह राजनैतिक स्वार्थ के साथ ही स्वहित प्रेरित भी होता है। इस तरह का अनुभव होने के बाद भी गोवा के लोगों ने मनोहर पर्रिकर के आह्वान को क्यों स्वीकारा? इसका उत्तर मनोहर पर्रिकर के व्यक्तित्व में ही छिपा था। राजनीति में होने के बाद भी जिसने अपना चरित्र ऊंचा रखा है, ऐसा अलग किस्म का राजनेता चाहे सत्ता में हो या विपक्ष में, अपने पारदर्शी और साफ व्यवहार के कारण दबदबा कायम करने वाला, अपने चरित्र सम्पन्न कामों के कारण मिसाल कायम करने वाला गोवा की राजनीति का एक भरोसेमंद व्यक्तित्व एक आशा स्थान। उनके कार्यों का अनुभव भी यही रहा है।
‘सुखी और समृद्धशाली गोवा ही मेरा स्वप्न है’ इस एक वाक्य में अपने काम की प्रेरणा बताने वाले पर्रिकर एक अत्यन्त साधारण रहन-सहन अपनाने वाले व्यक्ति थे। उनका यह साधारण रहन-सहन सर्वसामान्य आदमी को भी अचम्भित कर देता था। सभी को हमेशा ही यह देखकर आश्चर्य होता था कि किसी राज्य का मुख्यमंत्री इतना साधारण कैसे हो सकता है।
उन्हें लगता था कि हवाई यात्रा करना उनके काम की आवश्यकता है, परन्तु वह ‘एक्सीक्युटिव क्लास’ में यात्रा करना विलास मानते थे, आवश्यकता नहीं। अत: वे हमेशा ही ‘इकॉनामी क्लास’ में सफर करते थे।
हम अक्सर राजनेताओं को सूटबूट, इस्त्री किये हुए कड़क कपड़ों में देखते हैं, परन्तु मनोहर पर्रिकर को अत्यंत साधारण पोषाक में घूमते देखा जाता था। पैरों में साधारण चप्पल, आधे बांह की बुशर्ट और काली पैंट ही उनका पोषाक था। बाल करीने से बने होते ही हैं, ऐसा आवश्यक नहीं था। इसी स्थिति में पर्रिकर दिल्ली से गोवा का आवागमन करते रहते थे। चाहे गोवा में कोई सभा हो या मुंबई के किसी पंच तारांकित होटल में व्यापारियों की बैठक मनोहर पर्रिकर का वेश यही होता था। उसमें स्थल, समय, कालानुरूप बदलाव नहीं होता था, वरना भारत ने ऐसे भी नेता देखे हैं जो आतंकवादियों के हमले और बम विस्फोट के बाद मीडिया को दिये जाने वाले साक्षात्कारों के लिए दिन में तीन बार सूट बदलते हैं। किसी राज्य के मुख्यमंत्री के साथ सुरक्षाकर्मियों का घेेेरा होता ही है परन्तु मनोहर पर्रिकर के साथ केवल दो ही सुरक्षाकर्मी होते थे। उनका मत है कि सुरक्षाकर्मियों का जमावड़ा रखना राज्य के खजाने पर बेवजह भार बढ़ाना है।
उन्होंने किसी भी सरकारी वस्तु का उपयोग अपने व्यक्तिगत जीवन में नहीं किया।
पत्नी की गम्भीर बीमारी का इलाज भी उन्होंने बिना किसी से कुछ बोले मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में करवाया। इस दौरान उनके साथ न नौकर न चाकर थे, न लोगों का जमावड़ा। इलाज के दौरान कई दिनों तक उन्होंने अस्पताल के सामान्य कमरे में ही निवास किया। वहां के कर्मचारियों को आश्चर्य होता था कि उनके अस्पताल के एक सामान्य कमरे में एक मुख्यमंत्री रहता है। मुख्यमंत्री होने के बावजूद उनके बच्चे कभी सरकारी वाहनों में सफर नहीं करते।
जब मनोहर पर्रिकर अपने बेटे की पढ़ाई के लिए बैंक में कर्ज के लिए आवेदन करते हैं तो बैंक के मैनेजर को आश्चर्य होता है कि किसी राज्य के मुख्यमंत्री को कर्ज की आवश्यकता है, परन्तु पर्रिकर तब एक मुख्यमंत्री नहीं पिता की भूमिका में होते हैं और उनकी सोच होती है कि जब पिता कर्ज लेकर अपने बच्चों की पढ़ाई करवाते हैं तो बच्चों को सही मायने में पढ़ाई का अर्थ समझ में आता है।
वे अपने तत्वों को अत्यन्त सहजता से और बिना किसी से बोले अपने आचरण में लाते थे। इसी स्वभाव को जनता अचरज से देखती थी। इस तरह के सादे और चरित्रवान लोग राजनीति में कम दिखायी देने के कारण ही उनकी साधारण जीवनशैली को ‘न्यूज वैल्यू’ प्राप्त होती है। इस साधारण जीवनशैली के अलावा उनकी जीवनशैली का एक और पहलू था जो ध्यान आकर्षित करता था और वह हैं काम के प्रति उनका उत्साह और लगन। उन्हें काम करने की मानो लत लगी हो। पार्टी का काम हो जनता के हितो का मुद्दा हो, राज्य के विकास की बाते हो या अन्य कोई भी समस्या हो, मनोहर पर्रिकर का उत्साह, लगन और निष्ठा को गोवा के नागरिकों ने नजदीक से जाना है। ‘गति’ उनके कार्य का अविभाज्य अंग था। पांच साल में आम आदमी के लिए 60 महिने होते हैं, परंतु उन्हें तो जैसे आने वाले 6 महीनों में ही सारे काम खत्म करने की जल्दी होती थी। इसी गती से पर्रिकर कार्य करते थे। रोज 15-16 घंटे और हफ्ते के सातों दिन कार्य करने की उनकी आदत थी। अगर उनके शरीर और बुद्धि का गुणनफल निकाला जाए तो उत्तर आता ‘गोवा का विकास’। प्रशासन में होने वाले अच्छे परिवर्तन और भ्रष्टाचार के विरोध में चलायी जाने वाली योजनाओं के कारण जनता को राहत मिली थी! उनके कार्य के कारण उनकी छवि जनता के मन में एक पारदर्शी नेता के रूप में उभर रही थी! व्यक्तिगत और राजनैतिक,दोनों स्तरों पर भ्रष्टाचार विरोधी और चरित्रयान व्यक्ति के रुप में वे जनता के मन में अपनी प्रतिमा बनी थी!
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शिक्षा का उनके जीवन में बहुत बडा योगदान थाख वे मानते हैं कि उनका जन्म देश की सेवा और समाज सेवा करने के लिए ही हुआ है!अबःजब कभी उन्हें अवसर मिला उन्होंने सम्बन्धित व्यक्तियों के मन में स्वयं के प्रति विश्र्वास निर्माण किया है, फिर वह चाहे उनहे मिला नगर संघचालक का दायित्व हो या भाजपा  कार्यकर्ता का हो या गोवा के मुख्यमंत्री पद का हो! उनके काम का उचित अनुभव हर बार मिलता रहा! 26-27 वर्ष की  आयु में ही वे म्हापसा शहर संघचालक का दायित्व निभाने के लिए जुट गये थे! 1985 से 1991 का वह कालखण्ड था, जिसे उन्होंने गंगा यात्रा, शिला पूजन, राम जन्मभूमि आन्दोलन में गोवा का नेतृत्व किया!
1991 में जब प्रमोद महाजन लोकसभा के लिए उम्मीदवार खोज रहे  थे तभी संघ ने पर्रिकर को आदेश दिया कि वे गोवा की राजनीति में उतरों पर्रिकर को लोकसभा का टिकट मिला परन्तु वे चुनाव हार गये और बाद में विधायक के रुप में जीतकर आये! मिली हुई जिम्मेदारी को तन-मन से निभाना ही उनका स्वभाव है!
जनहित के कार्य में स्वतः को झोंक देने की वजह से आम आदमी के मन में ’अपने काम का आदमी’ होने की छवि उन्होंने निर्माण कर ली थी! उसी समय से गोवा विधान सभा में केवल चार विधायक होने के बावजूद भी भाजपा का अस्तित्व दिखायी देने लगा था! भाजपा अपनी पहचान प्रमुख पार्टी के रुप में बना चुकी थी!
मनोहर पर्रिकर संघ के कट्टर स्वयंसेवक थे! गोवा में अनेक जाति और धर्म के लोग रहते हैं! ईसाई लोग बडी संख्या में हैं! पर्रिकर कहते हैं कि ,”यहा कोई भेद नहीं है! प्रशासन सम्भालते समय मैं धर्म निरपेक्ष हूं! हिंदू,मुस्लिम, ईसाई सभी को समान अधिकार है! मतदान को ध्यान में रखकर किसी एक को अधिक तवज्जो देना सही नहीं है! मैं किसी भी धर्म का तिरस्कार नहीं करता! मुझे संघ से ही शिक्षा मिली है! रामराज्य का क्या अर्थ है? सही मायने में रामराज्य भरत ने किया !राम की पादुकाओं को रखकर उनके प्रतिनिधि के रुप में कार्य किया! उसी तरह जनता के प्रतिनिधि के रुप में मैं गोवा का कार्यभार सम्भालता हूं!
जब-जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरोधियों की ओर से संघ के बारे में गलत विचार फैलाये जाते थे,तब-तब मनोहर पर्रिकर जैसे व्यक्तित्व वाला इंसान एक दीपस्तम्भ के रुपमें दिखायी देता था!

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: hindi vivekhindi vivek magazineselectivespecialsubjective

अमोल पेडणेकर

Next Post
मौत पर कांग्रेसी राजनीति

मौत पर कांग्रेसी राजनीति

Comments 3

  1. Anonymous says:
    6 years ago

    om shanti shanti shantihi

    Reply
  2. Ashok Malik says:
    6 years ago

    मैं गोवा के पर्रा गाँव का रहने वाला हूँ इसलिए हमको पर्रिकर बुलाया जाता है. मेरा गाँव तरबूज के लिए बड़ा प्रचलित है. जब मैं छोटा था तो वहाँ के किसान तरबूज खाने की प्रतियोगिता करवाते थे.

    गाँव के सभी बच्चों को वहाँ बुलाया जाता था और जितना मन चाहे उतने तरबूज खाने की छूट थी. तरबूज का आकार बहुत बड़ा हुआ करता था.

    कुछ साल बाद मैं IIT मुम्बई में इंजीनियरिंग करने आ गया और पूरे साढ़े 6 साल बाद अपने गाँव पंहुचा. सबसे पहले मैं उस तरबूज के मार्केट की खोज में निकला मगर मुझे निराशा हाथ लगी. अब वहां ऐसा कुछ नहीं था और जो कुछ तरबूज थे भी वो बहुत छोटे थे.

    फिर मेरा मन किया कि क्यों न उस किसान के घर चला जाये जो वह प्रतियोगिता करवाते थे. अब किसान के बेटे ने खेती अपने हाथ में ले ली थी और वो भी प्रतियोगिता करवाते थे मगर उसमें एक अंतर था.

    पुराने किसान ने प्रतियोगिता कराते समय हमसे ये कहा था कि जब भी तरबूज खाओ उसके बीज एक जगह इकठ्ठा करो, और एक भी बीज को दांत से दबाने के लिए मना किया और यही बीज वो अगली बार फसल बोने के लिए इस्तेमाल करते थे.

    असल में हमें तो पता ही नहीं था कि हम बिना वेतन उनके बाल श्रमिक बन गए थे जिसमे दोनों का फायदा था. वह किसान अपने सबसे अच्छे तरबूजों को ही प्रतियोगिता में इस्तेमाल करते थे जिससे अगली बार और भी बड़े तरबूज उगाये जा सके.

    लेकिन जब किसान के बेटे ने अपने हाथ में बागडोर ले ली तो उन्होंने ज्यादा पैसा कमाने के लिए सबसे बड़े और अच्छे तरबूजों को बेचना शुरू कर दिया और छोटे तरबूज प्रतियोगिता में रखे जाने लगे.

    धीरे धीरे तरबूज का आकार छोटा होता गया और 6 साल में पर्रा के सबसे अच्छे तरबूज ख़त्म हो गए.”

    “मनुष्यों में नई पीढ़ी 25 साल में बदल जाती है और शायद हमें 200 साल लग जायें यह समझने में कि हमने अपने बच्चो को शिक्षा देने में कहा गलती कर दी.”
    श्रद्धांजलि, मनोहर पर्रिकर !!

    Reply
  3. योगेश says:
    6 years ago

    मनोहर भाई की अमिट यादों, उनके सत्कर्मों, उनकी लोकनेता की छवि से जुड़ा लेख लिखने हेतु आभार

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0