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मौत पर कांग्रेसी राजनीति

मौत पर कांग्रेसी राजनीति

by मुकेश गुप्ता
in राजनीति
4

ये उसी काँग्रेस के पोषक है जिस काँग्रेस का एक मसीहा काँग्रेस कार्यकारणी समिति में स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री बनने के लिए हुए चुनाव में स्वर्गीय सरदार बल्लभ भाई पटेल जी के मुकाबले में 14 वोट से हार गया था और जबकि कुल सदस्यों की संख्या ही 15 थी । लेकिन इसके बाद नेहरू गांधी पर बिफर गए, क्या मैने इस दिन के लिए लाखों रुपया काँग्रेस को दान दिया , क्या इस दिन के लिए मैंने आंदोलन किये, यदि मुझे आज़ाद भारत का प्रधानमंत्री नही बनाया गया तो मैं पूरी काँग्रेस खत्म कर दूंगा फिर अंग्रेज भारत से यह सोचकर नही जाएंगे कि उनके जाने के बाद देश की बागडोर कौन संभालेगा!
कल पूर्व रक्षामंत्री एवं 4 बार गोवा के बेदाग मुख्यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर जी का देवलोक गमन हो गया , पिछले कुछ दिनों से गोवा में सत्ता पर काबिज़ होने की जुगत बिठा रहे नेहरू के काँग्रेसी वंसज कल रात में ही राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा पेश करने पहुंच गए ।
यहां तक भी ठीक था लेकिन काँग्रेस ने जो सरकार बनाने के लिए राज्यपाल को पत्र दिया उसमे लिखा कारण मानवता को शर्मसार करने के लिए काफी था ।

( हम मनोहर पर्रिकर की असमय मृत्यु से दुखी है, गोवा में दूसरी पार्टियों ने भाजपा को इस शर्त पर समर्थन दिया था कि मनोहर पर्रिकर गोवा के मुख्यमंत्री बने, लेकिन अब वह शर्त लागू नही होती और काँग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए हमें सरकार बनाने का मौका दिया जाए )  कैसे न अपनाते नेहरू के कृत्यों को , ये दुष्ट काँग्रेसी भी तो उसी परंपरा के पोषक है जिसके दूत नेहरू थे!

कांग्रेसियों को गिद्ध यूँ ही नहीं कहा जाता।
१) मृत्यु से बस एक महीने पूर्व मनोहर पैरिकर को अस्पताल में देखने गए राहुल गांधी ने बाहर आकर बोला कि मनोहर पैरिकर ने उनसे राफ़ेल पर चर्चा की। जब मनोहर पैरिकर ने लिखित में बयान भेजा कि राहुल महज़ उनसे बीमारी वस मिलने आए मीटिंग में राफ़ेल दूर किसी विषय पर बात ना हुई, तो गिद्ध कोंग्रेसी उन्हें ही झूठ ठहरने लगे।
२) मृत्यु वाले दिन सुबह सुबह कांग्रेसी राज्यपाल के पास पहुँच गए कि पैरिकर जी की मृत्यु होने ही वाली है, अब उन्हें सत्ता दे दी जाए।
३) परिकर जी की मृत्यु होते ही, दो घंटे के अंदर कांग्रेसी पूरी चिट्ठी लिख कर राज्यपाल के पास पहुँच गए कि अब तो देखो एक विधायक और कम हो गया, अब उन्हें बना दिया जाए। शायद यह पत्र आदि उन्होंने पहले ही टाइप करके रखे थे, बस इंतज़ार था कि इधर जैसे ही मृत्यु हो यह पहुँच जाएँ राज्यपाल के पास।

एक गिद्ध भी लाश देख इतना नीचे नहीं गिरता जितना नींचे  सत्ता देख कांग्रेसी गिर जाते हैं। कल्पना कीजिए किसी की मृत्यु हुई हो, और दो घंटे के अंदर कांग्रेसी पहुँच जाए कि अब हमें सत्ता दे दो, जाने वाला चला गया।
इसे ही कहा जाता है मौत पर राजनीति करना।

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Tags: hindi vivekhindi vivek magazinepolitics as usualpolitics dailypolitics lifepolitics nationpolitics newspolitics nowpolitics today

मुकेश गुप्ता

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Comments 4

  1. Chander Shekhar Nag says:
    6 years ago

    Disgusting.

    Reply
  2. Anil RATANLALA Kotecha says:
    6 years ago

    So sad

    Reply
  3. Anil RATANLALA Kotecha says:
    6 years ago

    So sad

    Reply
  4. Bharat B Sharma says:
    6 years ago

    Thuuuu nichta ki ati hai ye

    Reply

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