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उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण

by प्रेरणा चतुर्वेदी
in गौरवान्वित उत्तर प्रदेश विशेषांक - सितम्बर २०१७, महिला
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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार आधी आबादी के विकास के लिए दृढ़ संकल्पित है। राज्य में महिला बाल एवं विकास हेतु अनेक कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। महिलाओं के आत्मसम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए भी नई सरकार ने कई कदम उठाए हैं।

देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश है। यह जनसंख्या की दृष्टि से पहले और क्षेत्रफल की दृष्टि से पांचवें स्थान पर है। २ जनवरी सन १९५० से वर्तमान उत्तर प्रदेश अस्तित्व में आया तथा संविधान लागू होने के बाद २६ जनवरी१९५० को उत्तर प्रदेश एक पूर्ण राज्य बन गया।

उत्तर प्रदेश में लिंगानुपात पुरुष एवं स्त्री कमश: १००० पर ८९८ है। २०११ की जनगणनानुसार यहां ४७.३३ प्रतिशत महिलाएं हैं। देश के समग्र विकास के लिए इस आधी आबादी को नकारा या नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। महिलाओं की स्वतंत्रता, समानता, शिक्षा तथा स्वास्थ्य किसी राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। भारतीय समाज में स्त्री का स्थान सदैव दोयम दर्जे का रहा है। इसीलिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद-१५ के अंतर्गत महिलाओं को सभी क्षेत्रों में समानता का अधिकार दिया गया। हालांकि इसके बाद भी महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षिक विषमता समाज में चतुर्दिक व्याप्त है।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में पहल के उद्देश्य से वर्ष १९८९ में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग की स्थापना की गई।
उत्तर प्रदेश राज्य स्तर पर भी इसी प्रकार महिला बाल एवं विकास हेतु अनेक कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिनमें प्रमुख हैं- आपकी सखी-आशा ज्योति केन्द्र, रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम, निराश्रित महिला पेंशन योजना, विधवा निराश्रित महिला हेतु सहायक अनुदान योजना, विधवा विवाह पुरस्कार योजना, दहेज पीड़ित महिलाओं हेतु आर्थिक सहायता, दहेज पीड़ित महिला हेतु कानूनी सहायता, स्वाधार योजना, उज्ज्वला योजना, महिला संघ, नारी अदालत, नारी शिक्षा, संजीवनी केन्द्र, महिला स्वयं सहायता समूह योजना आदि।

पति मृत्यु उपरांत निर्बल निराश्रित असहाय महिलाओं को आर्थिक लाभांश देने हेतु ३०० रु. प्रति माह दिया जाता है। विधवा, निराश्रित महिला की पुत्री विवाह हेतु एकमुश्त १०,००० रु. की सहायता अनुदान राशि दी जाती है। विधवा पुनर्विवाह जिनकी आयु ३५ वर्ष से कम हो तथा दम्पति आयकर दाता न हों ऐसे दम्पति को ११,००० रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। कानून उल्लंघन करने वाली ७ से १८ वर्ष की बालिकाओं को बाराबंकी, मुरादाबाद, मिर्जापुर, सीतापुर एवं गाजियाबाद की ५ संस्थाओं में संरक्षण प्रदान किया जाता है।

अभी हाल ही में वाराणसी में अनाथ, तथा कानून उल्लंघन आरोपित १० से १८ वर्ष की बालिकाओं हेतु गृह बनाने हेतु ८.६५ करोड़ का बजट पास किया गया है। इस बालिकागृह में रहने वाली बालिकाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार एवं मनोरंजन की भी सुविधा रहेगी।

केन्द्र सरकार द्वारा चलाए गए कौशल प्रशिक्षण कार्यकम से भी उत्तर प्रदेश की महिलाओं को इलेक्ट्रीशियन, टेलीकम्यूनिकेशन, ब्यूटीशियन, फैशन डिजाइनिंग, फूड वेंडर आदि संगठित, असंगठित क्षेत्रों के रोजगार के विषय में जानकारी एवं लाभ मिल रहा है।

विवाह पंजीकरण नियमावली-२०१७ के तहत उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण का फैसला होने से हिन्दू, मुस्लिम सहित सभी धर्मों की महिलाओं विशेषकर जिनका विवाह समाज द्वारा स्वीकृत नहीं माना जाता जैसे- प्रेम विवाह और महिला को पति की संपत्ति से या ससुराल की संपत्ति से आसानी से बेदखल कर दिया जाता था उन्हें अब वैधानिक सुरक्षा मिल सकेगी।

महिला आर्थिक सुरक्षा हेतु जो महिलाएं रात में काम करना चाहती हैं, उन्हें रात नौ बजे से सुबह छह बजे तक कार्य करने की अनुमति योगी आदित्यनाथ सरकार ने श्रम कानून में परिवर्तन द्वारा दी है। इसके अलावा वर्ष १९६१ के अधिनियम के तहत महिला कर्मी को प्रसूति अवकाश, महिलाओं हेतु शुद्ध पेयजल, पृथक शौचालय, महिलाओं के शिशुओं हेतु शिशु सदन, कैंटीन आदि की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है।

गरीब परिवारों की बेटियों को विवाह हेतु बीस हजार रुपया देने के साथ ही उनका सामूहिक विवाह अब प्रतिष्ठित लोगों, सांसदों, विधायकों के बीच होने के साथ ही स्मार्टफोन भी देने की योजना उत्तर प्रदेश सरकार मे बनाई है। घरेलू वस्तुओं, बर्तन, कपड़े, देने के साथ ही ७१,४०० लोगों को प्रथम चरण में इस योजना का लाभ दिया जाएगा। पूर्व सरकार ने इसकी राशि २०,००० रुपये की थी, योगी सरकार ने इसमें १५,००० रुपये की वृद्धि की है जिसमें स्मार्टफोन, वर्तन, साड़ी, पेटीकोट, ब्लाउज, चप्पल तथा अन्य सामग्रियां हैं। इसके कारण अब गरीब भाई भी अपनी बेटी की शादी खुशी-खुशी कर सकेंगे।

इस बार महिलाओं के त्योहार रक्षाबंधन पर पहली बार प्रदेश सरकार ने महिला यात्रियों कोे इस दिन मुफ्त परिवहन सेवा देने की घोषणा की। प्रदेश के परिवहन निगम की १२,५०० बसों में यात्रा करने वाले १५ लाख लोगों में एक तिहाई संख्या महिलाओं की होती है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं अशिक्षा, कुपोषण, अस्वस्थता, अज्ञानता व हिंसात्मक वातावरण में रहने को विवश होती हैं। अतः महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के साथ ही उनके अधिकार कानूनी सहायता दिलाने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार कृत संकल्पित है।

प्रदेश सरकार ने एसिड अटैक विषय को लिया है जिसमें अब पीडिता को १,००,००० रुपये दिए जाते हैं। इसके साथ ही सरकार आवश्यक कानूनी सहायता भी देती है। आगरा की पीड़िता को देखने महामहिम राज्यपाल राम नाईक जी गए थे। उन्होंने पीड़िता के जीवट को सराहा।

आधी आबादी के विकास के बिना उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश नहीं बनाया जा सकता है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में योगी सरकार ने गंभीरता से लिया है। पिछली सरकार ने बजट सत्र १६-१७ के लिए ५९५६.६४ करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जबकि योगी सरकार ने बजट सत्र १७-१८ हेतु ६३५३.५६ करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। सरकार ने कुपोषण पर विशेष ध्यान देते हुए शबरी संकल्प योजना पर विशेष ध्यान दिया है जिसमें गर्भवती महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य भी एजेंडे में है। इसके लिए बजट में २६२ करोड़ रुपये रखे गए हैं। अखिलेश सरकार ने निराश्रित महिलाओं के भरण पोषण के लिए बजट सन २०१६-१७ में ६३७ करोड़ रुपये रखे थे लेकिन भाजपानीत योगी सरकार ने इसे बढ़ा कर ११२९ करोड़ रुपये किया है।

भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में यह वादा किया था कि वह महिलाओं विशेषकर युवतियों के आत्मसम्मान की रक्षा करेगी। अखिलेश यादव सरकार में मनचलों की तादाद बढ़ गई थी जिसके कारण प्रदेश में युवतियां भयभीत थीं। वे विद्यालय, महाविद्यालय एवं अन्य स्थानों पर जाने से डरती थीं। चुनाव केे तीन माह पूर्व अलीगढ़ में सपा समर्थित मनचलों ने तो इतना परेशान किया कि विवश होकर वहां की छात्राओं ने मुख्य मंत्री को १०,००० से अधिक पत्र लिखे। लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। भाजपा ने पूरे उत्तर प्रदेश में इस विषय को उठाया कि जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आएगी तो वे मनचले जेल में होंगे। सरकार ने कदम उठाया। अब युवतियां निर्भय होकर स्कूल, कॉलेजों में जाकर पढ़-लिख रहीं हैं।

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