कष्टों से कैसा घबराना ?

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कष्टों का स्वरूप अप्रिय है । उनका तात्कालिक अनुभव कड़वा होता है । अंततः वे जीव के लिए कल्याणकारी और आनंददायक सिद्ध होते हैं । उनसे दुर्गुणों के शोधन और सद्गुणों की वृद्धि में असाधारण सहायता मिलती है । आनंद स्वरूप, आत्मप्रकाशमय जीवन और सुखमय संसार में कष्टों का थोड़ा…

काश, मैं भी रेखा पार कर लेती!

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बहुत सारी महिलाओं के साथ यह समस्या रही कि यदि समय पर समाज की बेड़ियों को तोड़ने का प्रयास किया होता तो उन्होंने स्वयं के लिए, समाज के लिए और राष्ट्र के लिए बहुत कुछ किया होता। तब शायद इस विश्व की तस्वीर कुछ अत्यधिक उज्ज्वल होती। वे समाज द्वारा…

‘100’ तक पहुंचने का सफर ‘0’ से ही शुरू होता है

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आज की कहानी पुणे के निवासी रामभाऊ की है। अंगूठा छाप रामभाऊ पढ़े लिखे तो नहीं थे पर "हुनरमंद" ज़रूर थे। वह पेशे से एक माली हैं और बंजर धरा को हरीभरी करने की कला में माहिर हैं। रामभाऊ घर-घर जा कर लोगों के बगीचे संभालते थे। गुज़र बसर लायक…

दूसरों पर दोषारोपण करने से पहले स्वयं को जाँचें

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  बहुधा हम सब यह अभियोग करते रहते हैं कि संसार बहुत खराब हो गया है। जिसे देखो वह वैसे ही कार्य करने में लगा हुआ है, जो संसार की दु:ख-वृद्धि करते हैं, पर क्या कभी हम यह भी सोच पाते हैं कि संसार में दु:ख और कष्ट बढाने में…

“वासना” को नियंत्रित कीजिये

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"वासना" में कामुकता मुख्य है । इसमें बरती गई ज्यादती जिंदगी की जड़ों पर कुल्हाड़े से किए जाने वाले वार की तरह घातक सिद्ध होती है । "वासना" की ललक में मनुष्य इससे जुड़ी सारी मान - मर्यादा को भूल जाते हैं । जीवनी शक्ति के इस खजाने का नाश…

दुनिया प्रवचन से नहीं आचरण से बदलेगी

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हम दुनिया को बदलने की सोचते रहते हैं, चाहते हैं कि संसार से में से बुराई घटे और अच्छाई फैले। इस कार्य की पूर्ति के लिए आमतौर से सभा-सम्मेलन करने की, प्रवचन-व्याख्यान करने की, लेख लिखने और अखबार छापने की बात सोची जाती है, कुछ प्रचारात्मक, प्रदर्शनात्मक कार्यक्रम भी बनते…

व्यापक बुराइयों की चर्चा नहीं समाधान पर कार्य करें

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व्यापक बुराइयों की अधिक चर्चा करने से कुछ लाभ नहीं नहीं । वस्तुस्थिति को हम सब जानते ही हैं । इस चर्चा से चित्त में क्षोभ और संताप ही उत्पन्न होता है । यों भले मनुष्यों का भी अभाव नहीं है वे प्रत्येक क्षेत्र में, बदनाम क्षेत्रों में भी मौजूद…

लोकमानस में श्रेष्ठता वाणी से नहीं आचरण से आती है

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लोकमानस में "सद्ज्ञान" की प्रतिष्ठापना करने का कार्य हमें अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार एवं परिवर्तन करके ही संपन्न करना होगा । प्रवचन और लेख इस कार्य में सहायक तो हो सकते हैं, पर केवल उन्हीं के आधार पर अभीष्ट उद्देश्य की प्राप्ति संभव नहीं । दूसरों पर वास्तविक प्रभाव…

अपने को जानें, भव बंधनों से छूटें

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संसार में जानने को बहुत कुछ है, पर सबसे महत्वपूर्ण जानकारी अपने आप के संबंध की है। उसे जान लेने पर बाकी जानकारियाँ प्राप्त कर लेना सरल हो जाता है । ज्ञान का आरंभ आत्मज्ञान से होता है । "जो अपने को नहीं जानता वह दूसरों को क्या जानेगा ?…

अंतरात्मा की पुकार अनसुनी न करें

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मनुष्य में जहाँ तक शारीरिक - मानसिक स्तर की अनेक विशेषताएँ हैं, वहीं उसकी वरिष्ठता इस आधार पर भी है कि उसमें "अंतरात्मा" कहा जाने वाला एक विशेष तत्व पाया जाता है। उसमें "उत्कृष्टता" का समर्थन और "निकृष्टता का विरोध करने की ऐसी क्षमता है जो अन्य किसी प्राणी में…

भारत की भूमिका के विस्तार का समय

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वर्ष 2022 कैसा था, उसे हम भुगत चुके है। परंतु नया साल भारत और शेष विश्व के लिए कैसा होगा? कुछ माह पहले तक विश्व कोविड-19 के प्रकोप से लगभग मुक्ति पा चुका था, किंतु इस महामारी के उद्गमस्थल चीन में पुन: कोरोना विस्फोट ने नववर्ष में दुनिया को फिर…

जरा सा ध्यान, प्यार और स्नेह नया जीवन दे सकता है

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हरियाणा के एक प्राथमिक स्कूल मे अंजलि नाम की एक शिक्षिका थीं वह कक्षा 5 की क्लास टीचर थी उसकी एक आदत थी कि वह कक्षा मे आते ही हमेशा "LOVE YOU ALL" बोला करतीं थी। मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं बोल रही । वह कक्षा के…

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