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जादुई कछुआ

जादुई कछुआ

by हिंदी विवेक
in कहानी
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सर्दियों की दोपहर में एक छोटा लड़का नदी के पास नीम के पेड़ के नीचे बैठा था | वह स्कूल से वापिस आया था और उसकी कमर में बड़ा बैग था | वह लड़का बहुत उदास था | वह लड़का पानी को देखता रहा और पानी को देखते देखते उसकी आँखों में से मोटे मोटे आंसू आने लगे | उसके आंसू तालाब में गिरते हुए बुलुबुलो की तरह उछले | पर वहा पर वह थोड़ी देर से बैठा था | उसने देखा कि एक कछुआ तैरता हुआ उसके पास आ रहा था | वह कछुआ बड़ा नही था इसलिए वह धीरे धीरे तैर रहा था |

जब वह कछुआ तालाब के किनारे पहुचा , तब तक छोटे लडके ने रोना बंद कर दिया था | लेकिन वह अब भी उदास था | लडके को पता था कि कछुआ बोल नही सकता और ना ही मनुष्य के भाव को समझ सकता है लेकिन फिर भी वह किसी से बात करना चाहता था और उस समय कछुआ उसके पास अकेला जिन्दा प्राणी था |

हल्की आवाज में लडके ने कहा “कछुआ ,तुम कैसे हो ? आज मेरी अध्यापिका में मुझे मेरी रिपोर्ट कार्ड दी | मैंने अच्छी पढाई नही की और मेरा रिजल्ट भी बहुत गंदा आया है  मेरी माँ मेरे रिजल्ट को देखकर बहुत दुखी होगी | मै अपनी माँ से बहुत प्यार करता हु और मै उन्हें उदास नही करना चाहता | लेकिन अब मेरा परिणाम देखकर वह उदास हो जायेगी |शायद वह मुझसे गुस्सा भी हो जायेगी | मेरी माँ चाहती है कि मै स्कूल में अच्छी पढाई करू | मै भी यही चाहता हु लेकिन क्या करू मेरी परीक्षा पर्चे बहुत मुश्किल थे | मुझे पता है कि मुझे पहले पढाई करनी चाहिए थी लेकिन अब मै क्या करू ”

कछुए ने कुछ नही कहा |बस आराम से लडके की बात सुनता रहा | कछुआ लडके की बात ऐसे सुनने लगा जैसे उसे सब कुछ समझ आ रहा हो |  “शायद मै अच्छा कर सकता था |मुझे पता है शायद डर के मारे मै अपने नम्बर ना बताऊ तो मेरी माँ उदास नही होगी | हां मै यही करूंगा ” |लड़का अपनी समस्या का हल सोचकर संतुष्ट हुआ और उसके चेहरे पर थोड़ी हंसी आ गयी | वह खड़ा हुआ और घर जाने के लिए तैयार हो गया | तभी उसे किसी की आवाज आयी “जो तुम कर रहे हो ,क्या वह करना ठीक होगा ?”|

लड़का रुक गया और देखने लगा कि उससे कौन बाते कर रहा है | वहा कछुए के अलावा कोई नही था | लडके ने कछुए की तरफ ध्यान से देखा | कछुआ हंसा और हंसने से उसका चेहरा चमकने लगा | फिर कछुए ने कहा “मुझे लगता है कि तुम्हे अपनी माँ को सब सच बताना चाहिए और उनसे कहना चाहिए कि अगली बार तुम मेहनत करके अच्छे नम्बर लाओगे “|

कछुए को बात करता देख लड़का हैरान रह गया | उसे समझ नही आ रहा था कि वह क्या बोले | कछुआ धीरे से लडके के पास गया और हंसते बोला “मुझे पता है कि तुम  अगली बार अच्छा करोगे क्योंकि तुम करना चाहते हो  ” | वैसे तो कछुए को बोलता देखकर लडके को अजीब लग रहा था लेकिन उसकी बातो पर विश्वास था | उसे यकीन हो गया कि कछुआ उसकी मदद जरुर करेगा क्योंकि जब कछुआ मनुष्य की तरह बोल सकता है सोच सकता है तो वह बहुत अच्छे काम भी कर सकता है |

लड़का कछुए की बातो के बारे में सोचने लगा | अचानक उसके दिमाग में एक विचार आया | उसने कछुए से पूछा “क्या तुम पढ़ सकते हो “| कछुए ने जवाब दिया “नही ! लेकिन इसका मतलब यह नही है कि मै तुम्हारी मदद नही कर सकता | कल स्कूल से वापिस आते समय तुम तालाब के पास रुकना और तुम मुझे अपनी किताब जोर से पढकर सुनाना | अगर तुम्हे कुछ समझ नही आएगा तो मै तुम्हे वह चीज समझा दूंगा उसके बाद तुम अपनी बांसुरी में मेरे लिए गाना बजा देना मुझे बांसुरी सुनना बहुत पसंद है और तुम बहुत अच्छी बांसुरी बजाते हो “|

लडके को फिर हैरानी हुयी कि कछुआ कैसे जानता है कि कि उसे बांसुरी बजानी आती है | कछुए में कुछ ना कुछ जादुई बात थी | कछुए जैसे दोस्त को पाकर लड़का उदास नही था | उसने कछुए को शुक्रिया कहा और उससे वादा किआ कि वह अपनी माँ को सब कुछ सच सच बतायेगा और उन्हें अपनी रिपोर्ट कार्ड भी दिखायेगा  और आगे से मेहनत करके अगली बार अच्छे नम्बर जरुर लाएगा | इस तरह कछुए ने लडके को सही रास्ता दिखाया | जैसे ही लड़का अपने घर जाने लगा कछुए ने पीछे से कहा “वैसे मेरा नाम कदम है “| लड़का हंसा और उसने कहा मेरा नाम गणेश है | कछुए ने फिर हसंते हुए कहा कि “मुझे मालुम है “

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