मसखरा जादूगर

अब एक किस्सा पढ़िए। हातिम कई दिनों तक बस चलता ही रहा और एक भयानक जंगल में पहुंचा। वहां उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। हातिम उस ओर चल पड़ा जिधर से आवाज आ रही थी। वहां पहुंचकर उसने देखा कि एक जवान सिपाही फूट-फूटकर रो रहा है। हातिम ने कहा – ‘तू मुझे अपनी पूरी कहानी कह सुना।’
वह जवान कहने लगा – मैं एक सिपाही हूं। रोजगार के वास्ते अपने शहर से निकला था। राह भूलकर इस शहर में आ पहुंचा और बस्ती वालों से पूछने लगा कि इस बस्ती के हाकिम का क्या नाम है? किसी ने बताया कि इस शहर का मालिक मसखरा जादूगर है। इस डर से मैं वहां से भागकर जंगल में आ गया लेकिन मुझे क्या पता था कि मुसीबतें यहां भी मेरा पीछा छोड़ने वाली नहीं हैं।
इत्तफाक से राह में एक बाग मिला जो बड़ा ही खूबसूरत और दिलचस्प था। मैं बाग के अंदर घूमने चला गया। अभी बाग के अंदर में चार कदम चला ही था कि इतने में सुंदर लड़कियों का एक समूह आया। उन सबने जरी के चमचमाते कपड़े पहन रखे थे। उन लड़कियों ने दौड़कर मेरे बारे में जादूगर की बेटी बताया और फिर मुझे एक मकान में ले गईं।
जादूगर की बेटी ने मुझे अपने पास बिठाया। इतने में ही उसका बाप मसखरा जादूगर बाग में दाखिल हुआ। वह पहले तो मेरे घोड़े को देखकर पूछने लगा कि यह घोड़ा किसका है? किसी ने डर के मारे उसे जवाब न दिया। इतने में दाई ने आकर कहा कि ऐ खुदाबंद करीम, शहजादी अब जवान हो चुकी है। यह मुसाफिर बहुत ही अक्लमंद है और किसी बड़े आदमी का बेटा मालूम होता है। बेहतर यही है कि तुम इसके साथ अपनी बेटी की शादी कर दो। तब उसने अपनी बेटी से पूछा कि तेरी मर्जी क्या है? उसने कहा कि मैंने इसे अपना पति स्वीकार किया।
जादूगर बोला – ठीक है मगर मेरी एक शर्त है। अगर यह मेरे तीन काम पूरा करदे तभी मैं इसकी शादी अपनी बेटी से करूंगा। मैंने पूछा कि वे तीन चीजें क्या हैं ? जादूगर ने कहा – ‘जलपरी का एक जोड़ा, लाल सांप की मणि लाकर दो और खौलते घी के कड़ाह में कूदकर सही सलामत निकल आओ।’ उसके इन तीन कामों को सुनकर मैं बहुत घबराया और तब से इस बियावान जंगल में पड़ा हूं।
हातिम ने कहा – ‘ऐ जवान ! मैं खुदा की राह चलकर तेरी माशूका से तुझे मिला दूंगा।’ फिर हातिम उससे विदा लेकर चला गया। थोड़ी दूर जाकर क्या देखता है कि एक किले में लोग बहुत सी लकड़ियां जमा करके उन्हें जला रहे हैं। पूछने पर लोगों ने बताया कि यहां एक जानवर बहुत आफत मचाने आता है और रोज दो-तीन आदमी खाता है। हातिम ने उस रात पहली बार वह जानवर देखा। उसके आठ पांव और सात सिर हैं। और वह हाथी, जैसा दिखता है। उसको तीन आंखें हैं। यह देखकर हातिम को ख्याल आया कि अगर बीच की आंख किसी भी तरह फूट जाए तो वह भाग जाएगा। और अगली रात ऐसा ही हुआ। हातिम ने एक तीर चलाकर उसकी बीच वाली आंख घायल कर दी। वह तड़पता हुआ भाग गया।
फिर एक दिन हातिम ने देखा कि एक सांप नेवले में लड़ाई हो रही है। दरअसल, वे दोनों जिन्न थे। उनमें से एक की बेटी से दूसरा आदमी शादी करना चाहता था, पर वह नहीं कर रहा था। हातिम ने उन्हें समझाकर शांत किया। उस बेटी का बाप एक बादशाह था। इस सुलह से खुश होकर उसने हातिम को सुर्ख सांप की मणि दी।

अब हातिम जलपरी ढूंढ़ने निकला। वह एक दरिया किनारे पहुंचा। रात को वह वहीं सो गया। तभी अचानक वह जागा। उसने सुना दो जलपरियां (एक मादा और एक पुरुष) आपस में बात कर रहे हैं कि आज की रात हातिम नाम का एक आदमी आया है। वह हमसे मिलना चाहता है। इसके बाद वे दोनों हातिम के नजदीक आए। उन्होंने हातिम की दरियादिली की तारीफ की। फिर जलपरी ने बच्चों का एक जोड़ा हातिम को दिया। हातिम ने जलपरी का जोड़ा और मणि उस जवान को दे दिया।
अब तीसरी शर्त पूरी करने की बारी थी। मसखरे जादूगर ने अपने लोगों को बुला कर कहा कि एक लोहे के कड़ाह में घी भर कर भट्टी पर रखो और उसे तेज आंच में गर्म करके खौलावो। यह सुनकर जवान डरा और हातिम से कहने लगा कि इस कड़ाह के गर्म घी से मैं जीवित नहीं बचूंगा।

तब हातिम ने उसे दिलासा देकर कहा, तुम यह ताबीज अपने मुंह में रख लो और बेधड़क इस खौलते घी में कूद जाओ। उस जवान ने यही किया। तो उसे गर्म घी ठंडे पानी जैसा लगा। मसखरे जादूगर ने जब देखा कि जवान खौलते घी में नहीं जला तो बहुत खुश हुआ, और अपने शर्त और अपने रस्म के मुताबिक अपनी बेटी का निकाह उसके साथ कर दिया। मसखरा जादूगर जवान से बोला कि यह सारा मुल्क और धन-दौलत मैं तुझे अपनी बेटी के साथ के साथ देता हूं। इसके बाद हातिम अगली यात्रा पर चल पड़ा।

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