हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
भारत भी ‘इस्लामिक स्टेट’ की रडार पर

भारत भी ‘इस्लामिक स्टेट’ की रडार पर

by ब्रिगेडियर (नि) हेमंत महाजन
in जून २०१९, देश-विदेश, सामाजिक
0

श्रीलंका में हुए शृंखलाबद्ध विस्फोट स्थानीय आतंकवादी गुटों की सहायता से ‘इसिस’ ने करवाए थे, यह बात साफ हो चुकी है। मध्यपूर्व में पराजित होते ‘इस्लामिक स्टेट’ ने अब एशिया पर नजर रखी है। उनकी राडार पर भारत भी है। इसलिए हमें बेहद सतर्क रहना होगा।

श्रीलंका में शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों की संभावना की सूचना भारत ने श्रीलंका को पहले ही दे दी थी। परंतु, सूचना मिलने पर भी गाफिल रहने की सजा श्रीलंकाई नागरिकों को मिली। सूचना के संदर्भ में श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानील विक्रमसिंघे ने मोदी सरकार का आभार मानते हुए उनसे हुई गलती भी मानी है। भारत के केरल राज्य में एन.आई.ए. ने कुछ संदिग्ध व्यक्तियों की गिरफ्तारी भी की है। उनके अड्डों पर छापे डाले गए हैं। छापों में फरार ज़ाकिर नाईक के संदर्भ में भी कुछ कागजात प्राप्त हुए हैं।

कुछ वर्षों पूर्व बांग्लादेश में भी ऐसी ही विस्फोट की घटनाएं हुई थीं। उन घातक कार्रवाइयों को करने वाले गुनहगारों को खोजते समय डॉ ज़ाकिर नाईक का उनके साथ संबधों का खुलासा हुआ था। भारत सरकार ने जब से उसके विरूद्ध कार्रवाई प्रारंभ की है तब से वह भारत वापस आया ही नहीं है। इसीलिए उसकी संस्था ‘इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन’ पर प्रतिबंध लगा दिया गया है एवं उसकी संपत्ति जब्त कर ली गई है। उसके बाद अन्य अनेक संस्थानों द्वारा ज़ाकिर नाईक के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इसमें श्रीलंका विस्फोट के तार केरल से जुड़ते नजर आ रहे हैं।

केरल में प्रोग्रसिव फ्रंट ऑफ इंडिया (पी.एफ.आई) नामक एक संस्था है जिसका सूत्रधार ज़ाकिर नाईक ही है ऐसा पता चला है। इसी कार्रवाई के दौरान यह भी ज्ञात हुआ है कि दो-तीन साल पूर्व केरल के पलक्कड नामक स्थान में स्थित इस्लामिक संशोधन केंद्र की ओर से आगे के प्रशिक्षण हेतु कई लोगों को श्रीलंका भेजा जाता रहा है। नेशनल तौहीद जमात (एन टी जे) नामक छोटे से आतंकवादी गुट ने संपूर्ण श्रीलंका को हिलाकर रख दिया है। इस संगठन ने स्वत: घोषित किया है कि वे ‘इस्लामिक स्टेट’ (इसिस) के समर्थक हैं। संदेह है कि ‘इस्लामिक स्टेट’ के 140 से अधिक आतंकवादी श्रीलंका में हैं।

यद्यपि इसिस ने कोलंबो बम विस्फोटों की जिम्मेदारी ली है, फिर भी उसमें प्रत्यक्ष हाथ श्रीलंकाई नागरिकों का ही है। सीरिया से कोई भी नहीं आया। इसिस की केवल प्रेरणा एवं मदद है। श्रीलंका सरकार ने भी यही निष्कर्ष निकाला है। एन.टी.जे. नाम की एक संस्था भारत में भी सक्रिय होने के कारण हमारे लिए भी यह चिंता का विषय है। श्रीलंका तौहीद जमात एवं सिलोन तौहीद जमात नामक दो संस्थाएं श्रीलंका में कार्यरत हैं। उसी नाम से एक संगठन भारत के तमिलनाडु राज्य में कार्यरत है।

अधिक सतर्कता आवश्यक

भारत को इसलिए भी अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि इसिस के सर्वोच्च नेता अबू बकर अल बगदादी का एक नया वीडियो पांच साल बाद सामने आया है। इसका मतलब यह हुआ कि इसिस के कब्जे से जमीन भले ही वापस ले ली गई हो परंतु यह विष बेल अभी तक नष्ट नहीं हुई है। बगदादी के पुनः प्रकट होने से इसिस समर्थकों को नया बल प्राप्त होगा।

भारत भी राडार पर

भारत भी ‘इस्लामिक स्टेट’ के राडार पर है। जुलाई 2014 से जुलाई 2016 की अवधि में ‘इस्लामिक स्टेट’ ने रक्का नामक स्थान से ‘दबिक’ नामक एक पत्रिका निकाली थी। उसके पहले अंक में ही ‘इस्लामिक स्टेट’ ने अपने बंगाल प्रांत की घोषणा की थी और उसके लिए एक खलीफा भी नियुक्त किया था। उसके इस बंगाल प्रांत में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, म्यांमार, थायलैण्ड समेत अनेक देशों का समावेश था। उसके बाद उन्होंने अपना घोषणापत्र भी जारी किया था। उसमें भारत में जिहाद छेड़ने का स्पष्ट उल्लेख था। घोषणापत्र को ‘ब्लैक फ्लैग ऑफ आईएस’ कहा गया था।

कश्मीर घाटी में ‘इस्लामिक स्टेट’ के झंड़े लहराए गए। भारतीय सेना की आतंकवाद के विरूद्ध आक्रामक कार्रवाई के कारण इसिस के आतंकवादी भारत में घुसने मे बहुत ज्यादा सफल नहीं हो सके। आने वाले समय में भी कश्मीर घाटी में उनका प्रभाव ज्यादा नहीं रहनेवाला है। परंतु वे अब दक्षिण भारत के केरल एवं तमिलनाडु में अपने पांव जमाने का प्रयत्न कर रहे हैं। यहां सेना की तैनाती न होने के कारण हमें ज्यादा चिंता करनी होगी एवं गुप्तचरों से प्राप्त सूचना के आधार पर स्थानीय पुलिस को कार्रवाई करनी होगी। सन् 2016 में ‘इस्लामिक स्टेट’ से संबंध रखने के संदेह पर केरल में छह जनों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उस समय केरल से 21 युवक लापता हो गए थे एवं एन आई ए उनकी खोज कर ही थी। इस जांच पड़ताल में यह बात सामने आई कि, युवकों का ब्रेन वाशिंग करने वाला साजीर मंगलाचारी अब्दुल्ला नामक व्यक्ति मूलत: केरल का है, परंतु वर्तमान में वह अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में रह रहा है। इस प्रांत में ‘इस्लामिक स्टेट’ का वर्चस्व है।

केरल से गायब हुए 21 युवकों को वहां ले जाकर प्रशिक्षण दिया गया एवं उसके बाद ये युवक कहा गए इसकी कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई। ‘इस्लामिक स्टेट’ भारत में अपने पैर न पसार सके इसके लिए केरल के अतिरिक्त तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार, प.बंगाल एवं उत्तर प्रदेश पर गुप्तचर संस्थाओं की कड़ी नजर आवश्यक है। उच्च शिक्षित परिवारों के युवक भी उनकी ब्रेन वाशिंग से बहक जाते हैं। केरल में उनके जाल में फंसे हुए कुछ युवकों में कोई शोधकर्ता था, कोई ग्राफिक डिजाइनर तो कोई चार्टर्ड एकाउंटेंट था। ‘इस्लामिक स्टेट’ की वेबसाइट नियमित देखने वालों में पहला नंबर कश्मीर का तो दूसरा उत्तर प्रदेश का है। महाराष्ट्र इसमें तीसरे स्थान पर है।

इस परिस्थिति का मुकाबला किस तरह किया जाए एवं ‘इस्लामिक स्टेट’ के खतरे से किस तरह दूर रहा जाए यह महत्वपूर्ण प्रश्न है। इसके लिए युवकों में विश्वास का वातावरण तयार करना एवं यह समझाना अति आवश्यक कि ‘इस्लामिक स्टेट’ किसी का भी साथ नहीं देती है। ‘इस्लामिक स्टेट’ ने इराक का विनाश कर दिया एवं सीरिया को भी उजाड़ दिया।

एक कदम आगे रहे

आतंकवाद से संबद्ध बुद्धिजीवियों एवं संस्थाओं के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई करना आवश्यक है। सभी राज्य सरकारों को उनके विरूद्ध कदम उठाने चाहिए। राजनीतिक दलों को यह समझाना होगा कि आतंकवादियों का लक्ष्य देश में केवल अराजकता निर्माण करना है। इसके विरूद्ध सभी राजनीतिक दलों को कठोर भूमिका का निर्वाह करना होगा। इन्हें विदेश से मिलने वाली सहायता पर रोक लगाना अति आवश्यक है। छात्रावासों, विश्वविद्यालयों, शैक्षक्षिक संस्थाओं, महाविद्यालयों मे युवकों को अपने जाल में फंसाने हेतु वे विशेष ध्यान देते हैं। इन घटनाओं से युवकों को दूर रखने हेतु उनका उद्बोधन आवश्यक है। शहरी आतंकवाद के समर्थकों को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा।

युवकों में देशभक्ति और राष्ट्रीय शिक्षा पर जोर तथा लोकतंत्र के बीज उनके हृदय में पनपाने की आवश्यकता है। बेरोजगारी दूर करने के उपाय करने होंगे जिससे युवा वर्ग आतंकवाद की ओर अग्रसर नहीं होगा। आतंकवादी देशों से मिलने के निमित्त आने वाले व्यक्तियों एवं संगठनों पर कड़ी नजर रखना आवश्यक है। सभी संदिग्ध व्यक्तियों का संपूर्ण डाटा सरकार एवं सुरक्षा एजेन्सियों के पास होना चाहिए। समाज में जागृति निर्माण हेतु नुक्कड नाटक, बैनर, नोटिस बोर्ड तथा अन्य साधनों का उपयोग करना चाहिए।

समाज में सर्वधर्म समभाव के निर्माण की आवश्यकता है। आतंकवाद के रास्ते पर चलने वाले युवकों को उक्त रास्ते पर चलने के पहले योग्य मार्गदर्शन द्वारा रोकना होगा। आतंकवादी कार्रवाई करने वाले एवं उन्हें सहायता देने वालों के विरुध्द कठोर कार्रवाई आवश्यक है। आतंकवादी कार्रवाइयों पर नजर रखने हेतु गुप्तचार संगठनों का उपयोग, आतंकवादी कार्रवाई की सूचना देने वाले नागरिकों को योग्य पुरस्कार, सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रख कर उनके माध्यम से आतंकवाद की राह अपनाने वाले युवकों को उस राह पर चलने से पहले ही रोकने जैसे उपायों पर चर्चा कर और भी नए उपाय खोजने होंगे।

आतंकवादी समाज में अपना प्रभाव बढ़ाने हेतु लगातार अलग-अलग प्रकार की कार्रवाइयां करते रहते हैं। उन पर नजर रख कर उन्हें योग्य प्रत्युत्तर देने की आवश्यकता है। हमें आतंकवाद से एक कदम आगे चलना होगा तभी हम उनका प्रभाव रोक सकेंगे।

क्या करना चाहिए?

श्रीलंका एक द्वीप है फिर इतने विस्फोट करने हेतु सामग्री वहां लाई कैसे गई? निश्चित ही यह समुद्र के रास्ते लाई गई होंगी। यदि ऐसा है तो समुद्र किनारे पर तैनात सभी सुरक्षा बलों की जिम्मेदारी है कि वे स्वतः के आपरेशन के योग्य गुप्त जानकारी प्राप्त करें। सभी राज्यों द्वारा मछलीमार समाज एवं किनारे रहने वाले लोंगो के सहयोग सें होम गार्ड्स और गुप्त सूचना बटालियन्स का निर्माण करना चाहिए। उनके सहयोग से गुप्त सूचनाए एकत्रित कर समुद्री सुरक्षा की उत्तम व्यवस्था करना चाहिए।

गत पांच वर्षों में केन्द्र एवं राज्य सरकारों ने समुद्री सुरक्षा के उपायों की एक शृंखला ही घोषित की। पहले का खेदजनक अनुभव कहता है कि रक्षा उपायों को अमल में लाने की कार्यप्रणाली बहुत सुस्त होती है एवं उसमें कई गलतियां भी रह जाती हैं। इनका  उपयोग आतंकवादी/देशद्रोही करते हैं। आशा करें कि अब इन उपायों को अमल में लाने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी । समय की मांग है कि नौसेना, तटरक्षक बल, पुलिस, गुप्तचर संस्थाओं और संबंधित अलग-अलग मंत्रालयों में अच्छा समन्वय और तालमेल हो जिससे समुद्री सुरक्षा सशक्त होगी।

 

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: abroadeducationabroadlifeaustraliaeuropehindi vivekhindi vivek magazineindiainternationalmbbsmiddle eaststudyabroadusa

ब्रिगेडियर (नि) हेमंत महाजन

Next Post
परिवार संस्था का पुनर्वास

परिवार संस्था का पुनर्वास

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

- Select Visibility -

    No Result
    View All Result
    • परिचय
    • संपादकीय
    • पूर्वांक
    • ग्रंथ
    • पुस्तक
    • संघ
    • देश-विदेश
    • पर्यावरण
    • संपर्क
    • पंजीकरण

    © 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

    0