हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
राष्ट्रीय स्तर पर हो चीनी सामानों के बहिष्कार

राष्ट्रीय स्तर पर हो चीनी सामानों के बहिष्कार

by ब्रिगेडियर (नि) हेमंत महाजन
in राजनीति, सामाजिक
0

देश के अनेक व्यापार मंडलों ने चीनी सामानों का बहिष्कार करने का ऐलान किया है लेकिन केवल इतना ही काफी नहीं है. इसमें जनता को शामिल कर देशव्यापी आन्दोलन चलाया जाना चाहिए. धारा ३७० हटाए जाने के बाद कश्मीर मुद्दे पर चीन पाकिस्तान का साथ दे रहा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मामले को उठाने में चीन ने पाकिस्तान की सहायता की. चीन ने भारत को सलाह दी कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए सहयोग करें. भारत ने भी चीन को स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि दोनों देशों के बिच जो मतभेद है उसका रूपांतरण वाद – विवाद में न हो यह ज्यादा महत्वपूर्ण है. लद्दाख को केन्द्रशासित प्रदेश बनाने का चीन ने विरोध किया है. भारत चीन की पश्चिमी सीमा का कुछ भूभाग भारत का है, यह भारत का कहना चीन को मान्य नहीं है.

वर्तमान समय में एकमात्र चीन ही पाकिस्तान का सबसे बड़ा समर्थक है. यह एक बार फिर सिद्ध हो गया है. पाकिस्तान की मदद से भारत को आतंकवाद के जाल में फंसाकर भारत की आर्थिक प्रगति को रोकना चीन का उद्देश्य है. इसलिए पाकिस्तान का समर्थन करनेवाले चीन को सबक सिखाना आवश्यक है. इसके लिए हमारे हाथ में जो एक हुकुम का एक्का है वह याने चीन का भारत के साथ होने वाला बहुत बड़ा व्यापार, इस ‘बहिष्कार’ अस्त्र का उपयोग कर हम चीन पर दबाव बना सकते है. बीते ५ वर्षों से हम चीन के साथ व्यापार संतुलन बनाने का प्रयास कर रहे है. परन्तु चीन चालाकी कर भारत से आयात के ५ गुणा माल हमको निर्यात करता है. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संधि के कारण हम चीन के आयात पर पाबंदी नहीं लगा सकते. इसलिए आम नागरिकों द्वारा चीनी सामान का बहिष्कार चीन से होने वाले आयात को कम करेगा. इससे देश को मजबूती मिलेगी और चीन को भी सबक मिलेगा.

  • भारतीय बाजार पर चीनी आक्रमण

बीते कुछ दशकों से चीन की घुसपैठ सिर्फ सीमा पर ही नहीं, भारत के बाजार पर भी हो रही है. त्योहारों व चुनाओं के बाद पटाखों की बड़ी मांगों को देखते हुए चीनी पटाखे भारतीय बाजारों में बड़ी मात्रा में विक्री के लिए आ रहे है. भारतीय पटाखों की तुलना में चीनी पटाखे सुरक्षा व पर्यावरण की दृष्टी से अधिक खतरनाक है.

भारत उत्सव – त्योहारों का देश है. बीते वर्ष रक्षाबंधन के समय ७५ फीसदी राखियां चीन निर्मित थी. गणेश मूर्तियों के बाजार में चीन पहले ही घुसपैठ कर चूका है. दीपावली के दौरान दिये, जगमग लाईट, झालर, कंदील एवं अन्य आकर्षक सजावटी चीनी वस्तुओं से देश का बाजार पटा पड़ा रहता है. गत वर्ष चीनी कंपनियों ने भारतीय बाजार से १८०० करोड़ का लाभ कमाया.

दीवाली की मिठाइयों को छोड़कर शेष सभी में चीन ने घुसपैठ कर ली है. देशप्रेमी नागरिकों को चाहिए कि वे देश में निर्मित स्वदेशी वस्तुओं को ही खरीद में प्रधानता दें.

  • अवैध आयात के चलते भारतीय उद्योग खतरे में

चीनी पटाखे सस्ते होने के कारण भारतीय बाजार में उनकी मांग ज्यादा रहती है. केंद्र सरकार ने चीनी पटाखों पर रोक लगाई है. बावजूद इसके समुद्री मार्ग से होने वाले अवैध आयात के कारण भारतीय पटाखा उद्योग खतरे में है.

हमारे पटाखे गुणवत्ता एवं सुरक्षा की दृष्टी से चीनी पटाखों से निश्चित ही अच्छे है. चीनी पटाखों में क्लोरेट और पर – क्लोरेट जैसे जहरीले रसायनों का उपयोग होता है. हलके दर्जे व हानिकारक कच्चे माल के उपयोग के कारण चीनी पटाखे हमारे यहां के पटाखों की तुलना में सस्ते है. चीनी पटाखे बहुत समय तक टिक नहीं पाते, जबकि भारतीय पटाखे एक वर्ष तक आसानी से टिकते है. हमारे पटाखा उद्योग को आधुनिक बनाने की जरूरत है, जिससे वे वैश्विक उत्पादनों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें. हमें चीनी पटाखों को नहीं खरीदना चाहिए क्योंकि इससे हमारे पटाखा उद्योग को करोड़ो का नुकसान होता है.

विदेशों में आयातित पटाखों की बाजार में विक्री गैरकानूनी है. यदि कोई इसका उल्लंघन करते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही होती है. अपेक्षा है कि इसका कड़ाई से पालन किया जाएगा.

  • तस्करी रोकने में विफलता

कस्टम विभाग की हमेशा ही शिकायत रहती है कि आने वाले कंटेनरों की पूरी जांच हेतु स्टाफ की बहुत कमी है. बंदरगाह पर आने वाले ५ से १० फीसदी कंटेनरों की ही जांच हो पाती है. पिछली बार शिवकाशी में चीनी पटाखे बरामद कर जब्त किए गए थे. ये पटाखे तूतीकोरिन से मुंबई ले जाए जा रहे थे. दो वर्ष पूर्व नेपाल से भारत आये ६०० कंटेनर पकड़े गए थे. पटाखों का अधिकतर माल नेपाल के मार्ग या समुद्री मार्ग से भारत में आता है.

वर्तमान में इलेक्ट्रोनिक मार्केट पूरी तरह से चीन के कब्जे में है. बड़े शहर से लेकर छोटे गांव तक में भारी मात्रा में चीनी सामानों की मांग है. चीनी सामान भारतीय सामान से बहुत सस्ते मिलते है. इसके साथ ही चीनी माल में नवीनता भी दिखाई देती है. भारतीय ग्राहक की अपेक्षाओं को चीन ने अच्छे तरह से पहचान लिया है. २०१९ के चुनाव के दौरान कई जगहों पर चीनी बनावट के प्रचार साहित्य को वरीयता दी गई थी.

  • स्वदेशी वस्तुएं ही ख़रीदे

चीन के ‘मेड इन चाइना’ वस्तुओं ने भारतीय बाजार में अच्छी खासी पैठ बना ली है. कम कीमत होने के कारण भारतीय लोगों को चीनी सामान ज्यादा आकर्षित करती है. आलम यह है कि हमारे देश के बाजार का २० से २५ फीसदी हिस्सा चीन के कब्जे में है. भारतीय बाजार में मोबाईल, इलेक्ट्रोनिक वस्तुओं से लेकर भगवान के फोटो व पूजा सामग्री तक चीन की पैठ है. आलपिन से लेकर छोटे बच्चो के खिलौनों, वोटर प्यूरीफायर, गैस गीजर, आदि अनेकानेक सामान आज हमारे बाजार में कम कीमत पर सहजता से उपलब्ध है. हमारे ध्यान में यह क्यों नहीं आ रहा है कि चीन भारत के बाजारों की मांग के अनुरूप विशेषकर भारत के लिए सामान युद्ध स्तर पर बनाकर हमारे लघु व माध्यम उद्योगों को योजनाबद्ध तरीके से बर्बाद कर रहा है ?

इसी तरह खिलौनों का बाजार भी लगभग ८० फीसदी चीनी माल से भरा पड़ा है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के अनुसार चीनी बनावट के ५७ फीसदी खिलौनों में तय मानक से अधिक जहरीले रसायन पाए गये है. छोटे बच्चो की ज्वेलरी में सीसे का उपयोग किया जाता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक व खतरनाक है. ऐसे खिलौनों पर नियंत्रण के लिए कोई स्वतंत्र संस्था हमारे देश में नहीं है. ऐसे हालात में अब नागरिकों को आगे आकर और एकजुट होकर इन चीनी खिलौनों पर पाबंदी लगाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना चाहिए.

  • लघु उद्योग उत्पादनों को बढ़ावा देना आवश्यक

चीनी वस्तुएं लघु उद्योग के माध्यम से बनाई जाती है. चीनी महिलाएं ये वस्तुएं अपने घरों में बनाती है. इसके कारण इनकी कीमत बहुत कम होती है. दुर्भाग्यवश हमारे उद्यमियों की मानसिकता ही बदल गई है कि जब चीनी सामान सस्ते में मिल रही है तो हम वे वस्तुएं क्यों बनाये ? इस विचार से हम चीनी कंटेनर खरीदते है या तस्करी से प्राप्त करते है और फिर उस पर अपना लेबल लगा कर बाजार में बेचते है. इससे हम अधिक पैसा कमाते है. लेकिन इससे हम एक बात भूल जाते है कि चीनी अर्थ व्यवस्था बढ़ाने में हम कितना योगदान करते है. हमारे यहां बेरोजगारी बढ़ रहीं है और सामाजिक सुरक्षा खतरे में है. चीन से यदि हमें मुकाबला करना है तो हमें भी उनके तर्ज पर ही लघु उद्योगों का निर्माण करना होगा. उसके लिए सस्ती जमीन, आसानी से पूंजी और कच्चा माल उपलब्ध कराना होगा. टैक्स कम करने होंगे. जिससे हम भी चीन के सामानों को चुनौती दे सके. अब इसके लिए सरकार को आगे आना होगा और हमारे लघु व मध्यम उद्योगों तथा उनके उत्पादों को बढ़ावा देना होगा.

  • मेक इन इंडिया बनाम स्वदेशी

भारत की इसके पहले की चायनीज नीति चीन के अनुकूल ही थी. इसी के कारण चीनी कंपनियों के लिए भारत एक बड़ा बाजार बन गया. ऐसा लगता है कि हमारी स्वदेशी की भावना ही खत्म हो गई है. फिर से स्वदेशी की भावना जगाने के लिए सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ का उद्घोष किया है. जिसे बढ़ावा देना बहुत आवश्यक है.

देश के नागरिकों से मेरा आह्वान है कि स्वदेशी सामान ही ख़रीदे, चीनी नहीं. जो हमारे देश में बनता है या उत्पन्न होता है उसे ही ख़रीदे. सरकार से भी अपेक्षा है कि रक्षाबंधन, दीवाली, होली सहित अन्य त्योहारों के दौरान अवैध रूप से आने वाले चीनी सामानों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने हेतु उचित कदम उठाये.

२०१७ में डोकलाम मुद्दे पर भारत – चीन के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे. उस समय पुरे देश में चीनी सामानों का बहिष्कार किया गया था और देशव्यापी मुहीम चलाई गई थी. उस मुहीम को जनता ने अपना पूरा समर्थन दिया था, जिसके चलते चीन के निर्यात में ३० से ४० फीसदी की कमी आई थी.

जब चीन को पता चला कि भारतीय जनता चीन के विरोध में है और उसका व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है तो चीन ने डोकलाम से पीछे हटने का फैसला लिया था. यानि कि डोकलाम से चीन के पीछे हटने का एक अहम कारण था चीनी सामानों का बहिष्कार. चालबाज चीन को सबक सिखाने के लिए इस अस्त्र का हमें एक बार पुन: इस्तेमाल करना चाहिए.

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: hindi vivekhindi vivek magazinepolitics as usualpolitics dailypolitics lifepolitics nationpolitics newspolitics nowpolitics today

ब्रिगेडियर (नि) हेमंत महाजन

Next Post
ईमानदार लकडहारा

ईमानदार लकडहारा

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0