कोरोना वायरस चीन में कहर बरपा रहा है। इसका कोई टीका अभी उपलब्ध नहीं है। बार-बार साबुन से हाथ धोना और घर-परिसर को स्वच्छ व प्रदूषण रहित रखना इससे बचने के उपाय हैं।
पिछले दो वर्ष के भीतर जंतुओं से घातक रोगों के संक्रमण का यह दूसरा बड़ा उदाहरण है। इससे पहले निपाह वायरस के प्रकोप ने आस्ट्रेलिया, थाइलैण्ड, कंबोडिया, चीन, ताइवान, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, घाना और फिलीपिंस सहित दक्षिण भारत को अपनी चपेट में लिया था और संयोगवश उसमें भी चमगादड़ से ही संक्रमण हुआ था। जंतुओं के संक्रमण द्वारा पुन: एक विकट रोग प्रकोप की चपेट में है दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश चीन। इस रोग की विकरालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीन ने इसके जिम्मेदार कोरोना वायरस को और फैलने से रोकने के लिए अपने न्यायालय से 20 हजार संक्रमित लोगों को मारने की अनुमति मांगी है। चीन सरकार ने न्यायालय को इस तथ्य से अवगत कराया है कि इस वायरस से चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट के साथ भारी संख्या में अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों और हेल्थ वर्करों को खो रहा है। हर रोज पीड़ित मरीजों की देखभाल में जुटे करीब 20 हेल्थ वर्कर्स इस वायरस की चपेट में आ रहे हैं। सरकार न्यायालय को यह तर्क दे रही है कि जो लोग इस वायरस के चंगुल में आ गए हैं, उनकी मौत को केवल लम्बा खींचा जा रहा है क्योंकि उनकी मौत निश्चित है। इसलिए अस्पताल में उनकी सेवा के दौरान स्वस्थ स्वास्थ्य कर्मी और दूसरे मरीज इस खामख्वाह इस वायरस की चपेट में आ रहे हैं। इस मसले पर चीन मानवाधिकार हनन के लिए कई सामाजिक संगठनों के निशाने पर आ गया है।
उक्त पंक्तियां चीन में कोरोना वायरस से उत्पन्न संकट को दर्शाने के लिए पर्याप्त है। चीन में कोरोना वायरस के कहर से मरने वालों की संख्या 1000 को पार कर गई है। अब तक चीन से बाहर 24 देशों में कोरोना वायरस के कई मामलों की पुष्टि हुई है। इन देशों में थाईलैण्ड, जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। भारत में भी अब तक इसके तीन मामले सामने आ चुके हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए इसे फैलने से रोकना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। हालांकि, चीन इसे रोकने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है। दुनिया भर में कोरोना वायरस के मामले लगातार सामने आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ ने कोरोना वायरस को अंतरराष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया है।
है क्या, यह कोरोना वायरस?
कोरोना वायरस (सीओवी) का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है, जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसे आम लक्षण उत्पन्न होते हैं। इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया है। इसका संक्रमण दिसंबर में चीन के वुहान में आरंभ हुआ था। डब्लूएचओ के मुताबिक, बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ इसके प्रमुख लक्षण हैं। अभी तक इस वायरस को फैलने से रोकने वाला कोई टीका ईजाद नहीं हुआ है। चीन में इस वायरस के कारण पर्यटकों की संख्या घटने लगी है जिसका सीधा प्रभाव चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला है। दुनिया के अनेक देशों ने अपने नागरिकों से चीन नहीं जाने की हिदायत दी है। कुछ देशों ने वुहान से आने वाले लोगों के अपने देश में आने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। रूस ने चीन के साथ लगी अपनी पूर्वी सीमा को सील कर दिया है।
क्या हैं इस बीमारी के लक्षण?
इसके संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसलिए इसे लेकर बहुत सावधानी बरती जा रही है। यह वायरस दिसंबर में सबसे पहले चीन में पकड़ में आया था। उसके बाद जाकर इसके दूसरे देशों में पहुंच जाने की आशंका जताई जा रही है।
चमगादड़ ही अनेक वायरस के वाहक क्यों?
शोधकर्ताओं ने इस तथ्य को उजागर किया है कि स्तनधारी जंतुओं में चमगादड़ सर्वाधिक संख्या में जन्तुजनित (जुनोटिक) रोगों का वाहक बनता है अर्थात जंतुओं में होने वाले रोगों को एक से दूसरे में पहुंचाने का जरिया बनता है। इस जंतु की रोग प्रतिरोध क्षमता अनोखी है जिस वजह से असंख्य वायरस के संक्रमण से ये बीमार नहीं होते, उनसे बेअसर रहते हैं। चमगादड़ अपने शरीर में मौजूद वायरस को लेकर प्रतिक्रिया किए बगैर इन्हें सहते रहने की नैसर्गिक क्षमता रखता है। पृथ्वी पर समूचे स्तनधारी जंतुओं का एक चौथाई अकेले यह चमगादड़ होते हैं। ये अंटार्कटिका को छोड़ कर दुनिया के सभी महाद्वीपों पर पाए जाते हैं। ये उड़नशील हैं और इनकी जीवन अवधि लंबी (20-40 वर्ष) होती है। इन कारणों से यह दूसरे स्तनधारी जंतुओं की तुलना में ज्यादा व्यापक ढंग से किसी वायरस को प्रसारित करता है। यह जीव दुनिया के अनेक देशों में खाया जाता है जिनमें से एक देश चीन भी है जो आज कल कोरोना वायरस की गिरफ्त में है।
कोरोना वायरस को अंतरराष्ट्रीय आपातकाल घोषित
चीन कोरोना वायरस के भीषण प्रकोप से दो चार हो रहा है। पूरे विश्व से कोरोना वायरस के मामले लगातार सामने आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस वायरस को अंतरराष्ट्रीय आपातकाल के रूप में घोषित कर दिया है। डब्ल्यूएचओ की अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमन आपात समिति की बैठक में इस चिंताजनक स्थिति पर विमर्श किया गया। साल 2003 में चीन सीवियर एक्यूट रेस्पाइरेटरी सिंड्रोम (सार्स) की चपेट में आया था जिसमें 774 लोगों की मृत्यु हुई थी और 8000 लोग इससे संक्रमित हुए थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार चीन में कोरोना वायरस से करीब 40235 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। चीन में कोरोना वायरस से अब तक 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। डब्ल्यूएचओ की इस रिपोर्ट के अनुसार चीन से बाहर दुनिया के 24 अन्य देशों में कोरोना वायरस के 393 मामलों की पुष्टि हुई है। अमेरिका में इसके 13 मामले की पुष्टि हुई हैं। कोरोना वायरस के खतरे को मद्देनजर रखते हुए कई देशों ने अपने नागरिकों से कोरोना प्रभावित चीन के वुहान नहीं जाने के लिए कहा है। दुनिया के कई देशों ने तो वुहान से आने वाले लोगों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
केरल में कोरोना वायरस का पहला कन्फर्म मरीज
वुहान यूनिवर्सिटी में केरल का एक विद्यार्थी कोरोना वायरस से प्रभावित पाया गया है। दरअसल भारत में कोरोना वायरस का यह पहला कन्फर्म मामला है। इस छात्र को फिलहाल डॉक्टरों की निगरानी में अस्पताल में रखा गया है। छात्र की हालत स्थिर है और डॉक्टर उस पर नजर रखे हुए हैं। केरल के अलावा, गाजियाबाद और गुड़गांव में भी कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीज सामने आए हैं। ये हाल ही में चीन से लौटे हैं। हालांकि इनमें कोरोना वायरस की पुष्टि अभी नहीं हुई है। इससे पहले जयपुर, मुंबई, बिहार राज्यों में कोरोना के संदिग्ध मरीज होने के मामले सामने आए थे। दिल्ली के अस्पतालों और एयरपोर्ट पर कोरोना वायरस की मेडिकल जांच के पूरे प्रबंध किए गए हैं। एक मीडिया सूत्र के अनुसार, दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल की प्रवक्ता ने जानकारी दी कि कोरोना वायरस के 3 संदिग्ध मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इनमें से कोई भी पॉजिटिव नहीं मिला था।
कोरोना वायरस का वैक्सीन कब तक होगा उपलब्ध?
वर्तमान समय में कोरोना वायरस से बचाव के लिए कोई वैक्सीन मौजूद नहीं है। दुनिया के कई देशों के वैज्ञानिक इसके वैक्सीन को बनाने की जुगत में लगे हुए हैं। इम्पीरियल कॉलेज, लंदन के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि साल 2020 के अंत तक कोरोना वायरस से लड़ने के लिए उपयुक्त, असरदार और सुरक्षित वैक्सीन का निर्माण करने में जरुर कामयाबी हासिल कर लेंगे। उन्होंने फिलहाल कोरोना वायरस, जीवाणु और चूहों को लेकर एक प्रयोग किया है। वे चूहे के रक्त में कोरोना वायरस की प्रतिक्रिया वाले एंटीबॉडीज की जांच कर रहे हैं। चीन में संघाई यूनिवर्सिटी भी एक परीक्षण वैक्सीन की प्रभावशीलता को जांच रहा है। लेकिन इस खबर की पूरी तरह से पुष्टि नहीं हुई है। इस जानलेवा वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए एहतियात के तौर पर कुछ खास सावधानियों को अपनाने का सुझाव दिया जा रहा है। इसमें सबसे पहले दिन में कई बार हाथों को साबुन से धोना चाहिए। इसके अलावा बीमार या संदिग्ध व्यक्ति के संपर्क से दूर रहें। अपने चेहरे और आंखों को बार-बार स्पर्श न करें। अपने घर और कार्यालय को स्वच्छ और प्रदूषण रहित रखें।
क्या हैं इससे बचाव के उपाय?
कोरोना वायरस से बचाव के लिए स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ सावधानियों को अपनाया जाना अहम है। इनके मुताबिक, दिन में कई बार हाथों को साबुन से धोना चाहिए। खांसते और छींकते समय नाक और मुंह रूमाल या टिश्यू पेपर से ढंक कर रखें। जिन व्यक्तियों में कोल्ड और लू के लक्षण हों, उनसे दूरी बना कर रखना उचित है। मांसाहार (अंडे और मांस) से परहेज रखें। जंगली जंतुओं के संपर्क में आने से अपने को बचाएं।