कोरोना की दहशत के कारण पूरी दुनिया की सांस रुक सी गई है। ऐसे में एक बहुत बड़ी खबर सुर्खियों में बनी हुई है कि विश्व की महान शक्तियां छुपा जैविक युद्ध कर रहे है। कोरोना जैसी आपदा सिर्फ वायरस है या फिर जैविक हथियार है? या कोई जैविक आतंकवाद? क्या  दुनिया के विस्तारवादी,  साम्राज्यवादी देश भविष्य के बायोलॉजिकल युद्ध की तैयारियां कर रहे हैं? क्या यह कोरोना वायरस उसी का खेल है?
 इस खेल में अब तक किसी तीसरे देश का नाम सामने नहीं आ रहा है सिर्फ चीन और अमेरिका का ही नाम आ रहा है। यह दोनों देश कोरोना को लेकर एक दूसरे पर इल्जाम लगा रहे हैं। इस वायरस को जानबूझकर तैयार किया गया है, यह आरोप अमेरिका पर चीन ने और अमेरिका ने चीन पर लगाया हैं। क्या किसी भविष्य की जंग का ट्रेलर है?
 चीन के वुहान शहर से कोरोना वायरस निकलता है और विश्व में हजारों  किलोमीटर का सफर तय करता है। लेकिन चीन की राजधानी बीजिंग और शंघाई जैसे शहर तक कोरोना नहीं पहुंचता है। यह बड़ी ताज्जुब की बात है। सारी दुनिया मे चीन के विरोधी देश इस वायरस के शिकार होते हैं। चीन का शत्रु देश दक्षिण कोरिया इस वायरस के शिकंजे मे आता है। जर्मनी, ब्रिटेन , फ्रांस ,स्पेन जैसे यूरोप के सारे देश इस वायरस के शिकंजे में आ जाते हैं।  चीन का पड़ोसी  शत्रु देश भारत भी कोरोना  वायरस का शिकार होता है। मगर चीन के पड़ोसी और मित्र देश उत्तर कोरिया का बाल भी बांका नहीं होता है। यह सब बातें कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। मिडिल ईस्ट में इजरायल और ईरान भी पकड़ मे आते है। दुनिया के नक्शे पर अमेरिका ,कनाडा, भारत और जापान  से लेकर  सभी चीन विरोधी  देश कोरोना की चपेट में आये है।  लेकिन चीन के मित्र राष्ट्र उत्तर कोरिया में कोरोना वायरस का असर ना के बराबर है। भयंकर तबाही  मचाने वाले इस वायरस के कारण  दुनिया भर में 30,000 से ज्यादा जाने गई है। चीन के वुहान शहर में  कोरोना वायरस का जन्म हुआ ऐसा कहा जाता है. चीन के वुहान शहर में तबाही मचाने वाले इस वायरस  ने संपूर्ण विश्व में तबाही मचाई हुई है। लेकिन जिन देशों में इस कोरोना वायरस ने  तबाही मचाई हुई है,  उन देशों का हम थोड़ा आकलन करें तो कुछ बात हमारे समझ में आ सकती है। चीन के योहान  शहर से सबसे कम दूरी पर दक्षिण कोरिया और सबसे ज्यादा दूर है अमेरिका की है। दुनिया के प्रमुख आर्थिक और राजनीतिक केंद्र  रहने वाले सभी देश आज अपना काम-धाम छोड़ कर इंसानियत के नाते  अपने अपने लोगों की जान बचाने में जुट गए हैं।  लेकिन एक प्रश्न मन में उपस्थित होता है कोरोना वायरस का यह  भयंकर असर वुहान शहर से नजदीक  चीन की आर्थिक  शहर बीजिंग और शंघाई मे क्यों नहीं दिखा? रशिया में क्यों नहीं है?  सारी दुनिया में लॉक डाउन है, सारी दुनिया के देशों ने अपनी अपनी सीमाएं बंद की है।  ऐसे में  चीन रशिया उत्तर कोरिया की सीमाएं एक दूसरे से खुलकर व्यवहार कर रही है?  कैसे संभव  हो रहा है?
दबी जुबान में दुनिया के जानकार  कह रहे हैं , दुनिया के सभी  प्रमुख आर्थिक और राजनीतिक  देश जो चीन के विरोध में है। सभी के नाम कोरोना वायरस की महाभयंकर प्रकोप के लिस्ट में है। जो दुनिया के पावरफुल सेंटर है या भविष्य में पावरफुल बनने के मार्ग पर है, ऐसे  सभी देश कोरो ना वायरस की चपेट में आकर स्वास्थ्य,  आर्थिक, मानसिक विपदा से जूझ रहे हैं। जबकी चीन के बीजिंग और शंघाई , रशिया , उत्तर कोरिया इससे दूर है। उत्तर कोरिया का तो बॉर्डर ही चीन से लगकर है। तो सवाल  यह निकलता है कि चीन के वुहान शहर से निकलकर कोरोना  वायरस 12000  किलोमीटर की दूरी तय करके अमेरिका तक पहुंचता है। वुहान से नजदीक दक्षिणकोरिया तक पहुंचता है। लेकिन चीन के वुहान से नजदीक बीजिंग  सिंघाई शहरों तक नहीं पहुंचता। उत्तर कोरिया, रशिया को बक्श देता है यह कैसे संभव है?  जो कोरोना वायरस चीन के वुहान से निकलकर  संपूर्ण विश्व की सफर करके विश्व में तबाही मचाता है। लेकिन चीन के राजनीतिक और आर्थिक हितों से जुड़े हुए शहरों, देशों  को सुरक्षित रखता है। यह बात समझ से बाहर है ऐसी कोई बात नहीं है। लेकिन संपूर्ण दुनिया को समझने में देरी हो गयी , यह सही वास्तव है। चीन के वुहान शहर  से  निकाल कर दुनिया भर में  तबाही  मचाने वाले कोरोना वायरस के कारण  दुनिया भर के शेयर मार्केट क्रैश होने लगे है।  दुनिया के सभी देशों में तमाम आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार धीमी पड़ गई है।  वायरस की तबाही की वजह से  दुनिया भर के शेयर मार्केट में  निर्माण हुई  फिसलन के कारण  विश्व के आर्थिक जगत में उथल-पुथल आई है। लेकिन चीन की आर्थिक स्थिति ऐसे हालात में भी मजबूत होती जा रही है। डॉलर के मुकाबले चीनी युआन अचानक मजबूत होने लगा है। यूरोपियन कंपनी के शेअर 40 फ़ीसदी तक गिर गए हैं। जानकारों का मानना है कि यह महामारी नहीं, जंग का एक अघोरी तरीका है जो अमेरिका और उसके सहयोगियों  को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए चीन ने अपनाया है। आनेवाले भविष्य में  चीन की विस्तारवाद,  साम्राज्यवाद की लालसा विश्व को एक भयानक संकट की ओर ले जा रही है।
ना वायरस की चपेट में आकर स्वास्थ्य,  आर्थिक, मानसिक विपदा से जूझ रहे हैं। जबकी चीन के बीजिंग और शंघाई , रशिया , उत्तर कोरिया इससे दूर है। उत्तर कोरिया का तो बॉर्डर ही चीन से लगकर है। तो सवाल  यह निकलता है कि चीन के वुहान शहर से निकलकर कोरोना  वायरस 12000  किलोमीटर की दूरी तय करके अमेरिका तक पहुंचता है। वुहान से नजदीक दक्षिणकोरिया तक पहुंचता है। लेकिन चीन के वुहान से नजदीक बीजिंग  सिंघाई शहरों तक नहीं पहुंचता। उत्तर कोरिया, रशिया को बक्श देता है यह कैसे संभव है?  जो कोरोना वायरस चीन के वुहान से निकलकर  संपूर्ण विश्व की सफर करके विश्व में तबाही मचाता है। लेकिन चीन के राजनीतिक और आर्थिक हितों से जुड़े हुए शहरों, देशों  को सुरक्षित रखता है। यह बात समझ से बाहर है ऐसी कोई बात नहीं है। लेकिन संपूर्ण दुनिया को समझने में देरी हो गयी , यह सही वास्तव है। चीन के वुहान शहर  से  निकाल कर दुनिया भर में  तबाही  मचाने वाले कोरोना वायरस के कारण  दुनिया भर के शेयर मार्केट क्रैश होने लगे है।  दुनिया के सभी देशों में तमाम आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार धीमी पड़ गई है।  वायरस की तबाही की वजह से  दुनिया भर के शेयर मार्केट में  निर्माण हुई  फिसलन के कारण  विश्व के आर्थिक जगत में उथल-पुथल आई है। लेकिन चीन की आर्थिक स्थिति ऐसे हालात में भी मजबूत होती जा रही है। डॉलर के मुकाबले चीनी युआन अचानक मजबूत होने लगा है। यूरोपियन कंपनी के शेअर 40 फ़ीसदी तक गिर गए हैं। जानकारों का मानना है कि यह महामारी नहीं, जंग का एक अघोरी तरीका है जो अमेरिका और उसके सहयोगियों  को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए चीन ने अपनाया है। आनेवाले भविष्य में  चीन की विस्तारवाद,  साम्राज्यवाद की लालसा विश्व को एक भयानक संकट की ओर ले जा रही है।
								
								
																	
															 ना वायरस की चपेट में आकर स्वास्थ्य,  आर्थिक, मानसिक विपदा से जूझ रहे हैं। जबकी चीन के बीजिंग और शंघाई , रशिया , उत्तर कोरिया इससे दूर है। उत्तर कोरिया का तो बॉर्डर ही चीन से लगकर है। तो सवाल  यह निकलता है कि चीन के वुहान शहर से निकलकर कोरोना  वायरस 12000  किलोमीटर की दूरी तय करके अमेरिका तक पहुंचता है। वुहान से नजदीक दक्षिणकोरिया तक पहुंचता है। लेकिन चीन के वुहान से नजदीक बीजिंग  सिंघाई शहरों तक नहीं पहुंचता। उत्तर कोरिया, रशिया को बक्श देता है यह कैसे संभव है?  जो कोरोना वायरस चीन के वुहान से निकलकर  संपूर्ण विश्व की सफर करके विश्व में तबाही मचाता है। लेकिन चीन के राजनीतिक और आर्थिक हितों से जुड़े हुए शहरों, देशों  को सुरक्षित रखता है। यह बात समझ से बाहर है ऐसी कोई बात नहीं है। लेकिन संपूर्ण दुनिया को समझने में देरी हो गयी , यह सही वास्तव है। चीन के वुहान शहर  से  निकाल कर दुनिया भर में  तबाही  मचाने वाले कोरोना वायरस के कारण  दुनिया भर के शेयर मार्केट क्रैश होने लगे है।  दुनिया के सभी देशों में तमाम आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार धीमी पड़ गई है।  वायरस की तबाही की वजह से  दुनिया भर के शेयर मार्केट में  निर्माण हुई  फिसलन के कारण  विश्व के आर्थिक जगत में उथल-पुथल आई है। लेकिन चीन की आर्थिक स्थिति ऐसे हालात में भी मजबूत होती जा रही है। डॉलर के मुकाबले चीनी युआन अचानक मजबूत होने लगा है। यूरोपियन कंपनी के शेअर 40 फ़ीसदी तक गिर गए हैं। जानकारों का मानना है कि यह महामारी नहीं, जंग का एक अघोरी तरीका है जो अमेरिका और उसके सहयोगियों  को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए चीन ने अपनाया है। आनेवाले भविष्य में  चीन की विस्तारवाद,  साम्राज्यवाद की लालसा विश्व को एक भयानक संकट की ओर ले जा रही है।
ना वायरस की चपेट में आकर स्वास्थ्य,  आर्थिक, मानसिक विपदा से जूझ रहे हैं। जबकी चीन के बीजिंग और शंघाई , रशिया , उत्तर कोरिया इससे दूर है। उत्तर कोरिया का तो बॉर्डर ही चीन से लगकर है। तो सवाल  यह निकलता है कि चीन के वुहान शहर से निकलकर कोरोना  वायरस 12000  किलोमीटर की दूरी तय करके अमेरिका तक पहुंचता है। वुहान से नजदीक दक्षिणकोरिया तक पहुंचता है। लेकिन चीन के वुहान से नजदीक बीजिंग  सिंघाई शहरों तक नहीं पहुंचता। उत्तर कोरिया, रशिया को बक्श देता है यह कैसे संभव है?  जो कोरोना वायरस चीन के वुहान से निकलकर  संपूर्ण विश्व की सफर करके विश्व में तबाही मचाता है। लेकिन चीन के राजनीतिक और आर्थिक हितों से जुड़े हुए शहरों, देशों  को सुरक्षित रखता है। यह बात समझ से बाहर है ऐसी कोई बात नहीं है। लेकिन संपूर्ण दुनिया को समझने में देरी हो गयी , यह सही वास्तव है। चीन के वुहान शहर  से  निकाल कर दुनिया भर में  तबाही  मचाने वाले कोरोना वायरस के कारण  दुनिया भर के शेयर मार्केट क्रैश होने लगे है।  दुनिया के सभी देशों में तमाम आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार धीमी पड़ गई है।  वायरस की तबाही की वजह से  दुनिया भर के शेयर मार्केट में  निर्माण हुई  फिसलन के कारण  विश्व के आर्थिक जगत में उथल-पुथल आई है। लेकिन चीन की आर्थिक स्थिति ऐसे हालात में भी मजबूत होती जा रही है। डॉलर के मुकाबले चीनी युआन अचानक मजबूत होने लगा है। यूरोपियन कंपनी के शेअर 40 फ़ीसदी तक गिर गए हैं। जानकारों का मानना है कि यह महामारी नहीं, जंग का एक अघोरी तरीका है जो अमेरिका और उसके सहयोगियों  को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए चीन ने अपनाया है। आनेवाले भविष्य में  चीन की विस्तारवाद,  साम्राज्यवाद की लालसा विश्व को एक भयानक संकट की ओर ले जा रही है। 
			

 
													
Hey bhagwan aapka chmatkar dhikaye aur satya ahinsa ku jeethay
चिन की सुपर पावर बनने की ए लालसा चिन को तबाही की और लेके जायेगी .