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दिल से जुडा अभिनेता…ॠषी कपूर

दिल से जुडा अभिनेता…ॠषी कपूर

by अमोल पेडणेकर
in विशेष, सामाजिक
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आज सुबह सुबह हिंदी चित्रपट जगत  के हरफनमौला , हरदम युवा लगने वाले अभिनेता ऋषि कपूर के निधन की खबर टीवी चैनल पर सुनाई दी। आजकल हम कोरोना वायरस के कारण घर पर ही बैठे हैं, माहौल ऐसा है कि कोई भी अच्छी खबर सुनाई नहीं दे रही है। ऐसे माहौल में  कल अभिनेता इरफान खान और आज ऋषि कपूर  ने हमे अलविदा कह दिया है। यह फिल्म इंडस्ट्री और हम सभी को गहरा सदमा पहुंचाने वाली घटना है। मैंने शुरू में हरदम युवा लगने वाले इस प्रकार  ॠषी कपूर का उल्लेख किया है। इसका कारण भी वैसा ही है। जब मैं युवावस्था मे आ रहा था, उस समय मुझे ॠषी कपूर जी के अभिनय का परिचय हुआ। उस समय के सभी रोमांटिक हीरो मे से ऋषि कपूर  अपने आप में एक लाजवाब कलाकार थे। मुझे याद है मेरा 10 वीं का रिजल्ट आने वाला था। उस समय रिजल्ट ऑनलाइन नहीं होता था। दोपहर को 3:00 बजे स्कूल में रिजल्ट मिलने की व्यवस्था होती थी। दसवीं का रिजल्ट होने के कारण सुबह से ही मन में बेचैनी थी।  मैं कभी भी अपने मन में बेचैनी की भावनाओं को ज्यादा पनपने नहीं देता। मैं मेरे छोटे भाई  को लेकर अंधेरी के दर्पण टॉकीज के सिनेमा घर में पहुंचा। तब वहां  ऋषि कपूर की बहुचर्चित फिल्म  “बॉबी”  चल रही थी। मैंने 12:00 से 3:00 के शो मे बॉबी  सिनेमा देखा। जिसमे रोमांस ठूंस ठूंसकर भरा हुआ था। उस सिनेमा के सदाबहार गीत और ऋषि कपूर का अभिनय….आहहा ….  ऐसी रोमांटिक फिल्म को  घरवालो से छुपकर देखने के बाद रिजल्ट का सारा टेंशन मै भूल गया था। बाद में  टेंशन फ़्री होकर हम पारले के हमारे  विद्यालय में पहुचे।  मैंने मेरा रिजल्ट लिया।  रिजल्ट आने के बाद पता चला जो होता है वह अच्छा ही होता है। लेकिन हम अपने मन मस्तिष्क में बिना कारण टेंशन बढ़ाते रहते हैं।  ” देता है दिल दे , बदले मे दिल ले ” कहने वाले ऋषि कपूर  मेरे पसंदीदा अभिनेता रहे है।
हमने ऋषि कपूर को हरदम अपनी अदाकारी में जी जान लगाते महसूस किया है। उनकी कोई भी फिल्म देखीये उस फिल्म में जब वह कोई रोमांटिक सीन करते हो ,तो सामने बैठे दर्रशकों के मन तक रोमांटिक भावना पहुंचती थी। जब वे किसी गाने के लिए कोई म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाने का अभिनय करते थे , तो उस म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट के साथ वे  ऐसे दिल से जुड़ जाते थे कि उस इंस्ट्रूमेंट से निकलने वाली धुन और गाने के बोल रसिकों के दिल को छू जाते थे। वह म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट को बजाने का अभिनय करते थे या ऋषि कपूर को सभी म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट को बजाने का बहुत ज्ञान था?  यह तो हम नहीं जानते, लेकिन वह जो भी करते थे वह सीधा लोगों  के दिल तक पहुंच जाता था।

“सरगम” सिनेमा में जब ऋषि कपूर डफली बजा रहे थे तो उनके भाव देखो, डफली बजाने की अदाकारी देखो, ऐसे लग रहा था जैसे वे सही में डफली बजा रहे हों  उनका “चेहरा है या चांद खिला है” गाना सुनिए, इस गाने में उन्होंने जब गिटार बजाने की एक्टिंग की है उसके कारण दर्शक दिल से उनसे जुड़ गए थे। यही अदाकारी  के विशेष गुण उनमे अभिनय के अन्य अंगों मे भी महसूस होते रहते थे।  किसी अभिनेत्री के

https://www.youtube.com/watch?v=_mzdkxnU4mU

साथ “तू कितने बरस की ” कहकर गाने पर जब वह नाचते थे तो दर्शकों के  मन में  रोमांस का मोर नाचने लगता था।
इसी कारण ऋषि कपूर के “बॉबी ”  ” चांदनी” से लेकर   ” प्रेम रोग” हो या अभी अभी प्रदर्शित  हुई “अग्नीपथ” फिल्म हो। सभी में ऋषि कपूर की अदाकारी मनभावन ही थी।”बॉबी ” या ” प्रेम रोग ” जैसी जादातर फिल्मों में ऋषि कपूर को हमने  रोमांटिक हिरो के रुप मे देखा  है। इसी कारण आज हमारे दिल में उन्होंने एक अलग ही जगह बना ली थी।

जब ऋषि कपूर जी की फिल्में आती थी उस समय हम  युवा अवस्था में पहुंच रहे थे। एक गीत मे  वो कहते थे “मेरी उम्र के नौजवानों,  दिल ना लगाना ओ दीवानो। मैने प्यार कर के चैन  खोया , नींद खोई ”   तो दूसरे गीतों मे वह कहते थे, “चेहरा है या चांद खिला है, जुल्फ घनेरी  शाम है क्या?  सागर जैसी आंखों वाली , ये  तो बता तेरा नाम है क्या?”  वैसे ऋषि कपूर के इसी रोमांटिक अंदाज ने हम जैसे युवाओं को  पागल कर दिया था । लेकिन अभी-अभी आई  ऋषि कपूर जी की “अग्निपथ” फिल्म देखी । उस फिल्म में उन्होने एक विलन की भूमिका अदा की है। इसमें भी कुछ अलग ही बात है । ॠषी कपूर आने वाले समय में भी अपने अभिनय के माध्यम से इस इंडस्ट्री पर छा जाएँगे ऐसा महसूस हो ही रहा था ,कि कैंसर जैसी बीमारी ने उनके जीवन मे दस्तक दे दी ।  बीमारी का ट्रीटमेंट करने के बाद जब वे ठीक होकर भारत लौटे तब वह अपने वक्तव्य मे बार-बार कहते थे “आने वाला समय बहुत अच्छा होगा “। उनका यह व्यक्तित्व यह बता रहा था की वह एक आशावादी व्यक्ति थे। जो आशावाद उनकी फिल्मों से हमें हरदम महसूस हुआ करता था। लेकिन मौत या नियति नाम की जो भी कोई चीज है , वह बहुत आगे की सोचती है।आखिर में ऋषि कपूर के आशावाद को मौत ने रोका?  या नियति कुछ अलग ही करना चाहती है? इसका जवाब हमारे पास नही है। लेकिन हम यह कह सकते हैं की ऋषि कपूर जैसे रोमांटिक ,यादगार और अपने दिलो-दिमाग पर छा जाने वाला “दिल से जुडा” हुवा अभिनेता हमसे  बहुत दूर गया है। यह बात ही सही है। हिंदी विवेक की ओर से उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि.

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Tags: hindi vivekhindi vivek magazineselectivespecialsubjective

अमोल पेडणेकर

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Comments 2

  1. Surekha Varghade says:
    5 years ago

    ॠषी कपूर जी को भावपूर्ण पूर्ण श्रध्दांजली
    🙏🙏🙏
    💐💐💐

    Reply
  2. Prashant says:
    5 years ago

    ओम शान्ति ओम, शान्ति शान्ति ओम ओम शान्ति ओम, शान्ति शान्ति ओम

    Reply

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