हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
चीनी शतरंज के नेपाली-पाकिस्तानी प्यादे

चीनी शतरंज के नेपाली-पाकिस्तानी प्यादे

by pallavi anwekar
in राजनीति, विशेष, संपादकीय
3

लद्दाख में चीनी सेना की भारतीय सीमा में प्रवेश करने की कोशिश करना, नेपाल सरकार का यह बयान देना कि भारत उनके भूभाग में निर्माण कार्य कर रहा है और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान का यह कहना कि भारत अपने पड़ौसी देशों को परेशान करने की कोशिश कर रहा है, यह सब एक ही समय पर होना क्या महज इत्तफाक है? नहीं! यह चीन की एक कूटनीतिक चाल है। चीन भारत की प्रतिमा को वैश्विक स्तर पर गिराना चाहता है, क्योंकि वर्तमान में कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया में जो कोहराम मचा है उसके लिए सभी चीन को जिम्मेदार मान रहे हैं और भारत की प्रतिमा इन दिनों विश्व में साफ-सुथरी तथा एक सहायक के रूप में उभर रही है।

राजनीति तथा कूटनीति में सत्य संभाषण आत्महत्या माना जाता है। अत: चीन एक ओर तो भारत से चल रहे विवाद को वार्ता से सुलझाने की बात करता है और दूसरी ओर नेपाल और पाकिस्तान जैसे अपने चमचों से भारत के विरुद्ध भूमिका तैयार करने का आग्रह करता है। उसके चमचे भी बिना अपने दिमाग का प्रयोग किए उसकी बातों में आ जाते हैं।

चीन की विस्तारवादी नीति और वैश्विक महासत्ता बनने की लालसा से कोई भी अपरिचित नहीं है। अपनी इस स्वप्नपूर्ति के लिए उसने कोरोना का हथियार के रूप में प्रयोग किया है या नहीं इसका पता तो भविष्य में चलेगा ही; परंतु फिलहाल चीन ने पूरी दुनिया का रोष अपने ऊपर ले लिया है। सारी दुनिया उसे आखें तरेरकर देख रही है। चीन को यह चिंता भी सता रही है कि कहीं कोविड़ के कारण भारत-अमेरिका के सम्बंध अधिक प्रगाढ़ न हो जाएं, क्योंकि यदि ऐसा हुआ तो उसे हर क्षेत्र में नुकसान होगा।

एशिया महाद्वीप में चीन को टक्कर दे सकने वाला एक ही देश है भारत। चीन भारत से सीधा युद्ध बहुत कम करता है। वह हमेशा छुपकर वार करने की नीति अपनाता है। इस बार भी वह भारत को नुकसान पहुंचाने और वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिमा खराब करने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए उसने अपने शतरंज के दो प्यादों नेपाल और पाकिस्तान को चुना है। इन देशों के माध्यम से वह ऐसे मुद्दे उठाने की कोशिश कर रहा है जिनका कभी अस्तित्व ही नहीं रहा है, चाहे वह भारत-नेपाल की विवादित भूमि का हो या इमरान खान के बयान का।

नेपाल और भारत वर्षों से ऐसे मित्र राष्ट्र रहे हैं कि दोनों देशों में जानेआने के लिए वीजा पासपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती। दोनों देशों के निवासी एक दूसरे के देश में रह सकते हैं तथा नौकरी व्यवसाय कर सकते हैं। इतने प्राचीन और प्रगाढ़ सम्बंध होने के बाद अचानक नेपाल को भारत से शिकायत कैसे हो गई, वह भी सीमा के उस हिस्से को लेकर जो कि वर्षों से भारत के अंतर्गत आता है। सन 1960 में जब भारत चीन युद्ध हुआ था उस समय से इस विवादित भूभाग पर भारत ने अपनी सेना तैनात करना शुरू किया था। उस समय के नेपाल राजघराने ने इस पर सहमति भी दर्शाई थी क्योंकि तब तक नेपाल में लोकतंत्र नहीं था। सन 1990 में नेपाल लोकतांत्रिक देश बना और इसके बाद यह भूमि विवाद शुरू हुआ था। हालांकि तनाव कभी भी अत्यधिक नहीं बढ़ा था। यहां तक कि जब भारतीय सेना ने वहां रास्ते और पुल बनाने का काम शुरू किया था तब भी नेपाल ने कुछ नहीं कहा। फिर प्रश्न यह उठता है कि उद्घाटन करने के बाद अचानक से नेपाल कैसे जाग गया? अचानक उसे यह कैसे लगने लगा कि भारत नेपाल की भूमि पर निर्माण कार्य कर रहा है? यह साफ-साफ इंगित करता है कि उसे ऐसा करने के लिए उकसाया गया है। चीन कभी नहीं चाहेगा कि यह भूभाग भारत के पास रहे। क्योंकि यह भौगोलिक और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। अभी नेपाल में जिस पार्टी की सत्ता है वह कम्युनिस्ट पार्टी है। अत: इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि उसका झुकाव चीन जो कि स्वयं भी कम्युनिस्ट देश है, की तरफ अधिक होगा ही और चीन के कहने पर ही उसने भारत पर यह आरोप लगाया है।

अब अगर पाकिस्तान की बात करें तो पाकिस्तान पहले ही खुद को चीन के पास गिरवी रख चुका है। चीन पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर का निर्माण करना हो या बलूचिस्तान में बंदरगाह का निर्माण करना हो; चीन ने इस प्रकार के कई साधनों से पाकिस्तान में निवेश किया है। दूसरी ओर पाकिस्तान भारत को अपना परम शत्रु मानता है। शत्रु का शत्रु मित्र होता है इस तर्ज पर पाकिस्तान चीन की हर उस काम में मदद करता है जो भारत के खिलाफ किया जा रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का यह कहना कि भारत अपने पड़ौसी देशों को परेशान कर रहा किसकी ओर इशारा करता है? क्या अभी तक के इतिहास में भारत ने कभी भी पाकिस्तान पर हमला किया है? जबकि पाकिस्तान अपने आतंकवादी संगठनों के द्वारा आए दिन भारत में तनाव निर्माण करता रहता है। अभी 3-4 दिन पहले ही पुलवामा जैसे हमले की साजिश को नाकाम किया गया है। ऐसे में खुद की करतूतों पर पर्दा डालकर यह रोना रोना कि भारत अपने पड़ौसी देशों को परेशान कर रहा है, मगरमच्छ के आंसू बहाने जैसा है।

कोरोना के बाद पूरे विश्व में जो परिवर्तन आया है उसमें कई बातें चीन की दृष्टि से नकारात्मक हैं। एशिया महाद्वीप में भारत को अपने से बराबरी करता देख और विश्व के अन्य राष्ट्रों को भारत के करीब आता देख चीन का तिलमिलाना स्वाभाविक है। व्यापारिक, सामरिक, कूटनीतिक सभी दृष्टि से अब चीन भारत पर निरंतर प्रहार करता रहेगा, जिसके लिए भारत को तैयार रहना होगा।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: hindi vivekhindi vivek magazineselectivespecialsubjective

pallavi anwekar

Next Post
चक्रवाती तूफान निसर्ग ने बढ़ाई महाराष्ट्र-गुजरात की चिंता, 3 जून को मचा सकता है तबाही

चक्रवाती तूफान निसर्ग ने बढ़ाई महाराष्ट्र-गुजरात की चिंता, 3 जून को मचा सकता है तबाही

Comments 3

  1. विशाखा says:
    5 years ago

    चीनी वस्तुओं का सभी ने बहिष्कार करना चाहिए

    Reply
  2. अविनाश फाटक, बीकानेर. (राजस्थान) says:
    5 years ago

    विगत छः वर्षों में नरेन्द्र मोदीजी और उनके योग्यतम राष्ट्रवादी सहयोगियों ने देश को ऐसी ऊंचाई और मजबूती पर पहुंचा दिया है,जिसके आगे देशी और विदेशी विरोधक अपने आप को बौना होता देख रहे हैं. ये सभी हरकतें अपनी झेंप मिटाने के ही असफल प्रयास हैं.ऐसे में मुझे श्रीगुरुजी का प्रसिद्ध अमृत वचन याद आता है – ” हमारा संगठन एक मजबूत अभेद्य किला है, जिसपर चंचुप्रहार करने का प्रयास करने वालों की चोंचे टूटकर गिर जाएंगी.”
    लेकिन इसी के साथ, हमारी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है.हम भी अपने छोटे-छोटे प्रयासों से विरोधी शक्तियों पर आघात करते रहें,चाहे वह चीनी वस्तुओं का पूर्ण बहिष्कार हो,अथवा भ्रमित करने वाले समाचारों व फेक वीडियो का विरोध हो.हम पूरी निष्ठा एवं विश्वास के साथ मोदीजी का सहयोग करें.चाहे वे तालियां बजवाएं,दीए जलवाएं अथवा कोरोना को हराने में अपने कर्तव्य की पालना हो.बस,इतना ही करने से सभी विरोधक,अपने मूंह के बल गिरते नजर आएंगे.
    “बलहीनों को नहीं पूजता, बलवानों को विश्र्व पूजता l”

    Reply
  3. Raghunath Deshpande says:
    5 years ago

    छोटे से लेख में बहुत बड़े मुद्दे को सिमटा है। बिल्कुल गागर में सागर! अब जरूरत है कि हर भारतवासी सरकार जा साथ दे व चीन की नामुराद मंशाओं को ध्वस्त करे। उस के चमचे खुद ही बर्बाद हो जाएंगे।

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0