हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
राजस्थान की गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए – गिरीश भाई शाह, समस्त महाजन संस्था

राजस्थान की गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए – गिरीश भाई शाह, समस्त महाजन संस्था

by हिंदी विवेक
in जून - सप्ताह चार, ट्रेंडींग, संस्था परिचय
0

राजस्थान की गोशालाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनूठे प्रयोग के तहत सभी गोशालाओं की गोचर भूमि व तालाब विकसित किए जाए और देशी वृक्षारोपण हो जाए तो कमाल हो जाएगा।

राजस्थान के अंदर 2727 गोशालाएं  हैं और यह राजस्थान का सौभाग्य है कि करीब – करीब 10 लाख गोवंश को यहां की गोशालाओं के माध्यम से संभाला जाता है। राजस्थान की तत्कालीन वसुंधरा राजे ने एक अच्छी व्यवस्था विकसित की थी, जिसके अंतर्गत स्टैम्प ड्यूटी पर 10 पैसा सेस लगा दिया गया था। इससे राजस्थान की गोशालाओं को सालाना 500 से 550 करोड़ रुपया सब्सिडी के रूप में मिलता है। कई लोग यह सवाल उठाते हैं कि जो पशु किसी काम के नहीं हैं, दूध नहीं देते हैं उनका पालन – पोषण करने तथा उन्हें सब्सिडी देने से क्या फायदा है? इसके जवाब में मैं यह कहना चाहूंगा कि यह काम का पशु नहीं है यह सोच ही इतनी गिरी हुई और गंदी है कि इसकी जितनी भर्त्सना की जाए कम है। क्या काम का नहीं है और क्या काम का है यह कुदरत को तय करने दीजिए। हम लोग तय करते हैं इसलिए सारी गड़बड़ी हुई है। जो काम का नहीं है उसे ‘फिट फॉर स्लॉटर’ का प्रमाणपत्र देकर उसे कत्लखाने भेज देते हैं। यह बहुत नुकसानदेह है।

  गोबर में है परमाणु और वायरस को रोकने की क्षमता होती है।

गोवंश दूध नहीं देता है लेकिन जीवन पर्यंत गोबर देता है। हम सब जानते हैं कि गोबर के आधार पर ही ऑर्गेनिक खेती संभव है। सिक्किम भारत का ऐसा एकमात्र राज्य है जो पूरी तरह से ऑर्गेनिक है। इसलिए पूरे विश्व में एकमात्र यह राज्य ऐसा है, जहां कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया। आज गोबर सब से कीमती चीज है। वैज्ञानिक शोध में भी यह स्पष्ट हो चुका है कि परमाणु हमला होने पर भी वही घर सुरक्षित रहेगा जो गोबर से लिपापुता हुआ होगा। दुनिया में एकमात्र गोबर ही है जो किसी भी प्रकार के परमाणु और वायरस को रोकने की ताकत रखता है।

पशु हत्या और केमिकल फर्टिलाइजर पर लगे प्रतिबंध

मैं भारत सरकार और राज्य सरकार को यही निवेदन करना चाहता हूं कि भारत में पूर्णतया केमिकल फर्टिलाइजर को प्रतिबंधित किया जाए। पेस्टीसाइड को बंद किया जाए। पशु हत्या को पूर्णत: प्रभाव से प्रतिबंधित किया जाए। मांस और जिंदा पशुओं को निर्यात करना बंद किया जाए। इसके साथ ही उसका आयात भी बंद किया जाए। ‘जीवो जीवस्य जीवनम्’ अर्थात एक जीव दूसरे जीव पर अवलंबित है। हमें किसी को मारने और बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए प्रकृति का जीवन चक्र बना हुआ है। इसमें हमें हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है।

गोचर भूमि को किया जाए पूर्ण विकसित

मेरे आकलन के अनुसार आज राजस्थान में 2 लाख 21 हजार बीघा जमीन राजस्थान की गोशालाओं के पास है। इसके अलावा सरकार द्वारा संरक्षितजो गोचरानभूमि है वह इससे अलग है। सरकार 540 करोड़ तो दे ही रही है। इसके अतिरिक्त सरकार अगले 2 साल के लिए 100 – 100 करोड़ का अतिरिक्त फंड और दे दें तथा राजस्थान की गोशालाओं की जितनी भी गोचर भूमि है उसका अच्छी तरह से विकास किया जाए। विदेशी बबूल के पेड़ को हटा कर वहां पर देशी वृक्ष लगाए जाए। पूरी जमीन पर तार फेसिंग किया जाए या आरसीसी कंक्रीट फेसिंग किया जाए; ताकि जमीन सुरक्षित हो जाए और वहां कोई अतिक्रमण ना कर पाए। फिर उस जमीन का टोपोग्राफी देखकर बारिश के पानी को संग्रहित करने के लिए तालाब और नालियां बनाई जाए ताकि वहां पर पानी की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धि हमेशा बनी रहे और विदेशी बबूल मुक्त एवं देशी वृक्षों से वह क्षेत्र आच्छादित रहे। यदि हम वहां पर अच्छी तरह के सेवण या जिन्जवा आदि चारे के बीज डालेंगे तो बहुत ही अच्छा चारा पनप जाएगा। ऐसा होने पर सभी पशुओं के लिए पर्याप्त चारा और पानी की व्यवस्था हो जाएगी। हमें बाहर से अतिरिक्त रूप से चारे की व्यवस्था करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे बड़ी संख्या में मौजूद पशुओं को संभालना संभव हो जाएगा।

गाय का वरदान है गोवर (गोबर)

कहा जाता है कि पहले गाय के गोबर को ‘गोवर’ कहा जाता था। अर्थात यह गाय का वरदान है इसलिए गोवर (गोबर)। एक गाय अपने जीवन में लगभग 4 हजार किलो गोबर देती है। यदि एक एकड़ भूमि में हम एक गाय का 4 हजार गोबर डालते हैं तो धीरे – धीरे वह जमीन प्राकृतिक रूप से उर्वरित हो जाएगी, उपजाऊ हो जाएगी। इसी तरह पूरे राजस्थान के किसानों की भूमि पर गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल होने पर वह भूमि स्वस्थ हो जाएगी। इससे राज्य का सॉइल हेल्थ कार्ड अच्छा हो जाएगा। ऑर्गेनिक खेती होने से लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार आएगा और वह निरोगी जीवन जी पाएंगे। इस दिशा में कदम उठाना बहुत ही जरूरी है।

स्वदेशी वृक्षों का महत्व और विदेशी वृक्षों से नुकसान

इसके अलावा देशी वृक्षों को बड़ी संख्या में लगाए जाने की परम आवश्यकता है। दुर्भाग्य से पिछले 60 – 70 सालों से जो भी वृक्षारोपण हुआ है वह बबूल, निलगिरी या विदेशी वृक्षों का ही हुआ है, जिसका हमें कोई लाभ नहीं मिला है। हम अभी बात तो स्वदेशी, स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर होने की कर रहे हैं, लोकल फॉर वोकल की कर रहे हैं; लेकिन हमने स्वदेशी वृक्षों का महत्व ही नहीं समझा है। जैसे नीम, बरगद, आम, इमली, पीपल, हरडे, बेहड़ा, आंवला, शमी, बेलपत्र, औदुंबर, जामुन, कदम्ब, करंज आदि 16 देशी वृक्ष प्रत्येक एक एकड़ के हिसाब से एक लाख जमीन पर लगाए जाए तो 16 लाख देशी वृक्ष लग जाएंगे। राजस्थान की गोशालाओं की जमीन पर ये 16 लाख वृक्ष लग जाए तो पूरा वातावरण सुंदर, समृद्ध, सुदृड़ हो जाएगा। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली होगी। पक्षियों के लिए भी अच्छा अधिवास उपलब्ध हो जाएगा। पक्षियों के आने से प्रकृति का एक अच्छा पर्यावरणीय संतुलन विकसित हो जाएगा। राजस्थान की गोशालाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनूठे प्रयोग के तहत सभी गोशालाओं की गोचर भूमि व तालाब विकसित किए जाए और एक एकड़ के हिसाब से देशी वृक्षारोपण हो जाए तो कमाल हो जाएगा; क्योंकि हर पशु को चारा और पानी की ही आवश्यकता होती है। इतनी सुविधा मिलने पर पशु अपना जीवन आराम से गुजार लेगा। चारा और पानी दूर – दूर से लाने में कोई बुद्धिमत्ता नहीं है। स्थानीय स्तर पर ही हमें सारे इंतजाम करने होंगे।

इजराइल की तर्ज पर करें राजस्थान का विकास

जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से इजराइल से राजस्थान बहुत बड़ा है। जिस तरह इजराइल में बेहद कम बारिश होती है उसी तरह राजस्थान में भी बारिश कम होती है। बावजूद इसके चार इंच पानी में इजराइल दुनिया भर को फ्रूट एक्सपोर्ट करता है। राजस्थान में भी औसत 4 इंच बारिश ही होती है। हम चार इंच पानी में भले ही फ्रूट एक्सपोर्ट न कर पाए लेकिन हमारे पशुओं के लिए चारे और पानी की व्यवस्था तो कर ही सकते हैं। बारिश के पानी को योग्य तरह से संग्रहित कर इजराइल पानी के मामले में जिस तरह आत्मनिर्भर है, उसी तरह राजस्थान को भी पानी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए। आज इजराइल की तर्ज पर हमें राजस्थान का विकास करने की आवश्यकता है।

हराभरा और समृद्ध राज्य बनेगा राजस्थान

मैं ‘हिंदी विवेक’ और देश भर में फैले उसके पाठकों के माध्यम से सभी नेतागण, सभी पदाधिकारी, प्रजाजन और प्रवासी राजस्थानी सभी से यही निवेदन करूंगा कि हमारी यह सोच या ग्रंथि है कि हम अपने राज्य को सूखा मानते हैं। इस सोच या ग्रंथि को दूर करें और हराभरा राजस्थान, प्यारा और बेहद सुंदर राजस्थान की दिशा में प्रयास करें तो हमारा राजस्थान जरूर एक दिन हराभरा और समृद्ध बन सकता है।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: august2021educationhindivivekinformativesansthaparichaysocial

हिंदी विवेक

Next Post
सूर्य ग्रहण एवं प्राकृतिक आपदाएं

सूर्य ग्रहण एवं प्राकृतिक आपदाएं

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0