हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
दधीचि परम्परा के संवाहक

दधीचि परम्परा के संवाहक

by डॉ. दिनेश प्रताप सिंह
in मई-२०१२, सामाजिक
0

देह दान के द्वारा महर्षि दधीचि ने समाज कल्याण का अप्रतिम कार्य किया था। उन्हीं के वंशज डॉ. दुर्गा प्रसाद दधीचि ने वर्तमान समय में रोगियों की सेवा हेतु ‘महर्षि दधीचि हास्पिटल’ को ‘संकल्प’ ट्रस्ट को दान करके उसी ऋषि परम्परा को आगे बढ़ाया है। ट्रस्ट द्वारा संचालित ‘श्रीमती पानबाई डायलेसिस सेन्टर’ किडनी के रोगियों का जीवन रक्षक बना हुआ है।

भारतीय समाज में नर सेवा को नारायण सेवा के समान महत्व दिया जाता है। रोगी, निर्धन, निर्बल, असहाय, जरुरतमन्द और निराश्रित लोगों की सहायता ईश्वरीय कार्य मानकर किया जाता है। ग्रामीण-शहरी हरेक समाज में ऐसे लोग व संस्थाएं हैं, जो निष्काम भाव से, प्रचार-प्रसार से दूर रहकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सेवा कार्य में जुटे हैं। इसी तरह से रोगियों की सेवा में मुंबई के सान्ताक्रुज (पूर्व) में स्थित ‘संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट’ लगभग तीन दशक से कार्य कर रहा है। भारत भूमि दानवीरों की यशोगाथा से परिपूर्ण है। यह ट्रस्ट ऐसे ही ख्यातिप्राप्त दानवीरों की मुक्तहस्त सहायता से संचालित किया जाता है।

महर्षि दधीचि हास्पिटल

मुंबई के ख्यातिप्राप्त सेवाभावी चिकित्सक दम्पति डॉ. दुर्गाप्रसाद एस. दधीचि और डॉ. (श्रीमती) रमादेवी दु. दधीचि द्वारा सान्ताक्रुज में महर्षि दधीचि हास्पिटल के माध्यम से रोगियों की बहुत कम खर्च पर चिकित्सा की जाती थी। लम्बे समय तक चिकित्सा सेवा करते हुए डॉ. दुर्गा प्रसाद दधीचि ने उस अस्पताल को ‘संकल्प’ चैरिटेबल ट्रस्ट को दान में दिया। सान्ताक्रुज का संकल्प ट्रस्ट वर्ष 1980 से ही समाज सेवा के कार्य में लगा हुआ है। महर्षि दधीचि हास्पिटल का उपयोग ऐसे कार्य के लिए करने का निर्णय ट्रस्टियों द्वारा लिया गया, जो रोगियों को आसानी से सुलभ न होता हो और खूब आवश्यक हो। उन दिनों किडनी के मरीजों के लिए डायलेसिस सेन्टर बहुत कम थे। जो थे भी उनमें बहुत खर्चीला डायलेसिस किया जाता था। अमूमन एक डायलेसिस के लिए 1500 रुपये लग जाते थे। आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए सप्ताह में दो-तीन बार डायलेसिस करवाना बड़ा मुश्किल था। ट्रस्ट के सदस्यों ने सस्ते दर पर अच्छी सुविधा के साथ डायलेसिस करने का निर्णय लिया और उसके साथ ही अत्याधुनिक मशीनों के सुसज्ज डायलेसिस सेन्टर की स्थापना के कार्य में जुट गये।

श्रीमती पानबाई डायलेसिस सेन्टर

महर्षि दधीचि के वंशज डॉ. दुर्गाप्रसाद दधीचि ने हास्पिटल दान में देकर जो सेवा कार्य शुरू किया था, उसे अपने उल्लेखनीय व प्रशंसनीय योगदान से श्री अशोक शाह और श्री चन्द्रेश शाह ने आगे बढ़ाया। दान की भामाशाह की परम्परा का निर्वाह करते हुए शाह बन्धुओं ने अपनी स्वर्गीय माता श्रीमती पानबाई शाह की स्मृति में डायलेसिस सेन्टर शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की। उनकी सहायता से अत्याधुनिक तकनीक से सम्पन्न मंहगी मशीनें मंगाई गयीं। मरीजों को सस्ती और सर्वोत्तम डायलेसिस की सुविधा प्रदान करने की तैयारी की गयी।

दि. 7 मई, सन् 2008 ई. को अक्षय तृतीया के दिन विश्व प्रसिद्ध सर्जन और स्वर्गीय डॉ. रमादेवी दधीचि के भाई डॉ. हरिशंकर अरोपा के करकमलों द्वारा डॉ. दुर्गा प्रसाद दधीचि व अन्य ख्यातिलब्ध लोगों की गरिमामयी उपस्थिति में ‘‘श्रीमती पानबाई डायलेसिस सेन्टर’’ का उद्घाटन किया गया। शुरू में केवल पांच डायलेसिस मशीने थीं, जिनसे दो पारियों में डायलेसिस किया जाता था। धीरे-धीरे आज वहां पर 15 मशीनें हैं, जिनके द्वारा 43 मरीजों का डायलेसिस किया जा रहा है। वर्तमान में यह कार्य तीन पारियों में किया जाता है। प्रसिद्ध नेफ्रालाजिस्ट डॉ. राजेश कुमार के नेतृत्व में कुशल पैरामेडिकल स्टाफ टीम द्वारा सेवाभाव से कार्य किया जा रहा है।

डायलेसिस क्या और क्यों?

शरीर के अनपेक्षित पदार्थों का उत्सर्जन करना किडनी (मूत्र पिण्ड) का महत्वपूर्ण कार्य है। आवश्यकता से अधिक जल शरीर में एकत्र न होने पाये, यह भी उसका प्रमुख कार्य है। इसलिए अनेक प्रकार के क्षार और जल की समुचित मात्रा शरीर में रहने पाती है। जब मानव शरीर की किडनी अकार्यक्षम या खराब हो जाती है, तो शरीर में जल व क्षार में विषमता उत्पन्न हो जाती है। उस समय किडनी का कार्य एक यन्त्र द्वारा किया जाता है। उस यन्त्र को ‘‘डायलाजर’’ कहा जाता है। डायलाजार द्वारा की जाने वाली प्रक्रिया को ‘डायलेसिस’ कहते हैं।

किडनी धीरे-धीरे कार्य करना बन्द करती है, जिसे किडनी का फेल होना कहते हैं। जब धीरे-धीरे किडनी फेल होती है, तो उसे ‘क्रानिक किडनी डिसीज’ (सी के डी) कहा जाता है। जब हमेशा के लिए एकाएक किडनी खराब होती है और 10% से भी कम कार्य करती है, तो उसे ‘इण्ड स्टेज रेनल डिसीज’ (इ एस आर डी) कहा जाता है। किडनी मुख्यत: उच्च मधुमेह (हाई डायबटीज) और हाइपर टेन्शन के कारण खराब होती है। इसके अलावा गुटका का अधिक सेवन करने व कच्ची शराब अधिक पीने से भी किडनी खराब होती है। इससे राहत पाने के लिए कभी-कभी तात्कालिक रूप से डायलेसिस कराना पड़ता है, तो किसी-किसी को जीवन भर कराना पड़ता है। डायलेसिस दो प्रकार के होते हैं- पेरीटोनिय और हिमोडायलेसिस। पेरीटोनिय डायलेसिस घर में किया जा सकता है, किन्तु हिमोडायलेसिस घर में करना सम्भव नहीं है। इसके लिए कुशल डॉक्टर की देख-रेख में संचालित मशीनरी की जरूरत होती है। इस प्रक्रिया में हाथ की नशों से रक्त बाहर निकालकर डायलेसिस करके पुन: शरीर में डाला जाता है।

‘संकल्प’ की सेवा

डायलेसिस जैसा उपचार लम्बे समय तक लेना पड़ता है, इसलिए यह खर्चीला भी बहुत होता है। सरकारी अस्पतालों में साफ-सफाई, उचित स्थान की अनुपलब्धता, मशीनों के रख-रखाव में लापरवाही, डॉक्टरों में सेवा ही भावना में अभाव और क्षमता से अधिक मरीज होने के कारण बड़ी दिक्कतें पैदा होती हैं। जबकि निजी अस्पतालों में यह बहुत मंहगा होता है। लगभग डेढ़ हजार रुपये एक बार में और महीने भर में लगभग पन्द्रह हजार रुपये लगते हैं। लोगों को सस्ता और अच्छा इलाज मिल सके, इसी उद्देश्य से ‘संकल्प’ ट्रस्ट द्वारा यह कार्य शुरू किया गया है। पिछले चार वर्षों से बिना लाभ-हानि के यह सेवा कार्य चल रहा है। प्रत्येक महीने में हरेक मरीज को औसतन तेरह बार डायलेसिस लेना पड़ता है। इस समय 600 रुपये प्रत्येक बार मरीजों से लिया जाता है। इसी के साथ खूब सस्ते दर पर दवाइयां भी दी जाती हैं। पानबाई डायलेसिस सेन्टर में उच्च दर्जे की स्वच्छता, विश्व की सबसे अच्छी मशीन, स्वच्छ जल की सुविधा, उत्तम सेवा के कारण मरीज बहुत अच्छा अनुभव करते हैं। यही सेवा ही उन्हें महर्षि दधीचि हास्पिटल की ओर खींच लाती है।

रोगियों की पहली पसंद

जब श्रीमती पानबाई डायलेसिस सेन्टर की स्थापना सन् 2008 में की गयी थी, तब बोरीवली से दादर तक कोई भी अच्छा व सस्ता डायलेसिस केन्द्र नहीं था। उस समय से आज तक इस क्षेत्र में कई केन्द्र खुल गये, फिर भी यह केन्द्र रोगियों की पहली पसन्द बना हुआ है। दिनोंदिन मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। सन् 2008 में 31 मरीज इससे जुड़े थे। यह संख्या 2009 में बढ़कर 50 हो गयी। जो 2010 में 56 तथा वर्ष 2011 में 60 के आसपास पहुंच गयी। संकल्प के ट्रस्टी श्री सतीश आर. पी. ताम्बा के अनुसार इस संस्था द्वारा वर्ष 2000 में पांच डायलेसिस, 2009 में 5608, 2010 में 6743 तथा 2011 में 6800 से अधिक डायलेसिस किए गए। उन्होंने बताया कि सबसे प्रमुख बात यह रही कि इस केन्द्र में उपचार के दौरान एक भी रोगी की मृत्यु नहीं हुयी।

अन्य गतिविधियां

पानबाई डायलेसिस सेन्टर के साथ ही महर्षि दधीचि हास्पिटल में मरीजों की सुविधा के लिए कई अन्य प्रकल्प संचालित किए जाते हैं। ‘कोल्साइट ग्रुप’ के श्री श्रीबल्लभ काबरा और श्री सत्यनारायण काबरा बन्धुओं की सहायता से ‘जयति सत्यम्-शिवम् पैथालाजी लैब’ की स्थापना की गयी है। इसमें बहुत कम लागत पर सभी प्रकार पैथालाजी जांच की जाती है। इसके प्रभारी डॉ. विपिन शहा निस्वार्थ भाव से लैब का पूरा कार्य सम्हालते हैं। इसकी स्थापना 15 अगस्त, 2008 को की गयी थी।

‘संकल्प’ के ट्रस्टी श्री सतीश तांबा ने बताया कि इसी अस्पताल के बेसमेन्ट (भूमिगत तल) में योग केन्द्र का संचालन किया जाता है। यह केन्द्र बेंगलुरू में स्थित विवेकानन्द योग अनुसंधान संस्थान की ओर से ‘आरोग्यधाम’ नामक योग केन्द्र से सम्बद्ध है। इस संस्थान के संचालक विश्वप्रसिद्ध डॉ. नगेन्द्र हैं। उनके ध्येय कथन, ‘स्टाप डायबिटीज’ को सम्मुख रखकर इसे हास्पिटल में ‘व्यास योग केन्द्र’ चलाया जाता है। इसमें 43 लोग एक साथ योग साधना करते हैं। इस योग केन्द्र की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि यहां विभिन्न रोगों- हृदयविकार, डायबिटीज, थायराइड, ब्लड प्रेशर इत्यादि के लिए अलग-अलग यौगिक क्रियाएं करायी जाती हैं। व्यास योग केन्द्र की समन्वयक वसुन्धरा माहेश्वरी की देखरेख में अब तक अनेक मरीजों को लाभ हुआ है।

आर्थिक व्यवस्था

‘दानेन तुल्यो विधिरास्ति नान्यो’ अर्थात दान के समान कोई अन्य सेवा कार्य नहीं है। इस ध्येय वाक्य के अनुरूप दान में प्राप्त धन द्वारा ही ‘संकल्प’ का कार्य चल रहा है। मुंबई सहित अन्य भागों के दानदाता समय-समय पर धन की व्यवस्था करने रहते हैं। मुख्यमंत्री कोष, महापौर फंड, सिद्धिविनायक तथा महालक्ष्मी मन्दिर द्वारा भी जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। डायलेसिस के लिए मरीजों को बहुत धन की जरूरत पड़ती हैं। उन्हें सेवाभावी संस्थाओं द्वारा मदद की जाती है। इसी तरह संकल्प के न्यासी स्वयं आर्थिक सहायता करते रहते हैं। श्री सतीश तांबा ने स्वयं कई बार परिवार के सदस्यों के जन्मदिन पर धन उपलब्ध करा करके मरीजों का मुफ्त डायलेसिस कराया है। संकल्प के सात ट्रस्टी- एस.एस.गुप्ता, सतीश अग्रवाल, अविनाश गुप्ता, डॉ. (श्रीमती) भगवती के. दधीचि, एम. डी. शर्मा, अर्जुन बाफना और सतीश आर. पी. तांबा हैं। ये सभी अपनी ओर से आर्थिक मदद करते हैं। ‘संकल्प’ के संरक्षक मण्डल की योजना बनी है। इसमें वे लोग होंगे, जो प्रतिवर्ष ट्रस्ट को एक लाख रुपये दान में देंगे। इस योजना को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।

भविष्य की योजना

महर्षि दधीचि हास्पिटल में समय-समय पर सुप्रसिद्ध चिकित्सकों, समाज सेवकों तथा प्रमुख व्यक्तियों का अवागमन होता रहता है। उनके विचार भी प्राप्त होते हैं। सुझाव तो मिलते ही हैं। इस से प्रेरित होकर संकल्प ने पानबाई डायलेसिस सेन्टर के विस्तार की योजना तैयार की है। इसके लिए मशीनों की संख्या बढ़ाई जाएगी। लगभग दस लाख रुपये की कीमत वाली अच्छी किस्म की मशीनों को मंगाया जाएगा। संकल्प का प्रयास है कि अधिक से अधिक रोगियों को अधिक सस्ती दर से डायलेसिस की सुविधा प्रदान की जाए।

संस्था की ओर से दानदाताओं से अपील भी की जाती है कि वे मरीजों की सहायता के लिए ‘संकल्प’ ट्रस्ट को दान देकर सेवा कार्य को बढ़ावा दें। समाज के अनेक लोग स्वयं आगे आते हैं। और अधिक लोगों को इस कार्य में जुड़ने की आवश्यकता है। दानदाताओं को आयकर के नियमों के अन्तर्गत छूट प्रदान की जाती है।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: dadhichiheritagehindi vivekhindi vivek magazinetraditions

डॉ. दिनेश प्रताप सिंह

Next Post
ऐतिहासिक, अद्भुत, etettable!

ऐतिहासिक, अद्भुत, etettable!

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0