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नए सपने का उदय

नए सपने का उदय

by अरविंद कुलकर्णी
in मार्च २०१३, राजनीति
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लोकसभा के चुनाव 2014 में होंगे। नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने कांग्रेस तथा कांग्रेसी विचारधारा के लोगों ने भारी विरोध दर्शाया है।भाजपा में भी सभी लोग नरेंद्र मोदी को अपने कंधे पर लेने के लिए तैयार हैं, ऐसा भी नहीं है, इसलिए मोदी ने युवकों से मिलने-जुलने, उनसे संवाद करना शुरु कर दिया है। भाषा विकास की है और सपना भारत को विश्व की महासत्ता बनाने का है। बात कर्मयोग की है।मोदी ने युवाओं को जो सपने दिखाए हैं, उन सपनों के अधार पर नए सुदृढ़ भारत का उदय होगा,यदि ऐसा कहा जाए इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं मानी जाएगी।

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत दिनों दिल्ली के श्रीराम महाविद्यालय में विद्यार्थियों के सामने लगभग एक घंटे का भाषण दिया। मोदी का यह भाषण भविष्य की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत के भावी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मादी का युवा पीढ़ी के साथ इस ह्दय से उस ह्दय पद्धति से हुए संवाद हुआ। इस संवाद में उन्होंने युवा पीढ़ीा से कहा कि मैं गुजरात की सेवा करने में मग्न हूं और मैं खुद को धन्य मानता हूं। जिस निश्चय से सबको साथ लेकर हमने गुजरात का मानसिक तथा प्राकृतिक परिवर्तन करके दिखाया है। इसी निश्चय के बल पर उस परिवर्तन को विशालता प्रदान करने के लिए मैं दिल्ली की यात्रा पर निकला हूं। देश की युवा पीढ़ी किस हद तक अपने साथ है, इस बात का अंदाज लेने के लिए मोेदी ने इस भाषण को आयोजित करने में दिलचस्पी दिखाई। श्रीराम नाम धारण करने वाले तथा गुणवत्ता में भारत में पहला स्थान प्राप्त करने वाले वाणिज्य महाविद्यालय में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच देश में परिवर्तन करने का निश्चय किया गया। सामान्य व्यक्ति को आंखों के सामने रखकर स्वामी विवेकानंद अध्यात्म सहज तथा व्यवहारिक करके बताते हैं। वैसे इस भाषण में राजनीति के नरेन्द्र ने विकास का मार्ग दूसरे राज्य के सामान्य व्यक्ति की दृष्टि में ला दिया है। मोदी ने अपना भाषण बहुत कुशलता से किया है। इस भाषण में विकास की जो बातें की जा रही हैं, वे बेमतलब की हैं, यह किसी को लगेगा भी नहीं। मोदी केवल भारत में ही नहीं, कई देशों में चर्चा का विषय बने हुए हैं। उनकी कथनी और करनी की भी चर्चा लगातार हो रही है। भ्रष्टाचार तथा घोटालों से मोदी आज तक दूर रहे हैं। पिछले साल मोदी के शासनकाल की जितनी चर्चाएं हुई, उतनी किसी दूसरे राज्य के शासन के बारे में चर्चा नहीं की गई। पाकिस्तान से सटे व्यापारी प्रवृत्ति के एक आक्रामक राज्य में पाकिस्तान जिन विषयों में अतिसंवेदनशील रहता है, ऐसी बातों पर सुस्पष्ट भूमिका लेने के कारण मोदी राष्ट्रीय विवाद का विषय बन गए, पर अपने पर लगे आरोपों से वे विचलित नहीं हुए उन्होंने कहा कि अगर हम सरदार पटेल हो सकते हैं, तो राज्य के सर्वांगीण विकास के संदर्भ में सयाजी महाराज गायकवाड जैसा नजरिया रखते हुए लोकहित के तत्पर प्रशासक भी बन सकते हैं, ऐसा मोदी ने सिद्ध कर दिखाया है। मोदी ने कहा कि हम सभी भारतीयों की सोच को मजबूत बना सकते हैं, इसके माध्यम से राष्ट्रीय ऊर्जा का जो कुंठित प्रवाह है, उन्हें मुक्त किया जा सकता है। मोदी ने इस दिशा में कदम उठाते हुए गुजरात की लॉबी को सक्रीय करना शुरु कर दिया है, अगर किसी को ऐसा लगता है तो वह गलत साबित नहीं होगा।

मोदी के अनुसार स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल होने चाहिए, ऐसा प्रस्ताव लगभग सभी प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने किया था, पर पश्चिम क्षेत्र के लोग तथा मुसलमान लोगों की मानसिकता का प्रतिउत्तर कैसे दिया जाए? यह बात के लिए पटेल से ज्यादा पंडित नेहरू कुशल थे, ऐसा कारण बताकर महात्मा गांधी ने पटेल के गले में पहनाई जाने वाली माला नेहरू के गले में डाल दी। आजादी की लड़ाई में दो गुजराती व्यक्ति शीर्ष पर थे। स्वंत्रता को सुराज में बदलने के लिए अपने लोकतांत्रिक कार्यों की तस्वीर प्रस्तुत करते हुए पिछले साल अन्य पार्टी के नेतृत्व से अपने नेतृत्व के बीच के अंतर को बड़ी मार्मिकता से प्रस्तुत किया। सर्वत्र गुजरात के विकास की चर्चा जोर-शोर से शुरु है, क्योंकि हमने लोगों में भगवान देखा है और इसीलिए सच्चे मन से उनकी सेवा करने का तात्पर्य ही सरकार चलाना है, ऐसा मोदी अप्रत्यक्ष रूप से बताया है। सब चोर हैं, इस एक वाक्य में सामान्य जनता के मन में राज्यकर्ताओं के बारे अपनी राय व्यक्त कर रहा है। मोदी का मानना है कि लोगों की पिछले कुछ वर्षों में ऐसी बनी है कि वह कहने लगा है कि भगवान ने मुझे इस देश में क्यों पैदा किया, आम नागरिक गहरी निराशा में डूब गया है। प्रजा का पालन-पोषण पिता की तरह जिम्मेदारी पूर्वक करना चाहिए। ऐसी परंपरा राजा जनक से लेकर भरत तक जिस देश में रही है, उस देश में 65 वर्ष में एक विशिष्ट संस्कृति के शासनकर्ताओं ने ऐसा भ्रष्ट शासन चलाया कि लोगों का भगवान पर विश्वास ही उठ जाएगा, ऐसी स्थिति वर्तमान में दिखाई देने लगी है। लोगों का भगवान के प्रति विश्वास बना रहे, यह कार्य नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं। मोेदी का कहना है कि हम कर सकते हैं, ऐसा विश्वास लोगों में पैदा करने के अलावा कुछ और हमने नहीं किया है।

भिंडी, टमाटर भी गुजरात की सरजमीं के

अपने भाषण में नरेंद्र मोदी ने कुछ बातें ऐसी कही हैं कि उसे गंभीरता से लेना जरूरी है। गुजरात के किसानों ने कितनी प्रगति की है, यह बताने के लिए मोदी ने कहा कि चाहे दिल्ली में बिकने वाली भिंडी हो या फिर अफगानिस्तान में बिकने वाला टमाटर ये गुजरात से ही वहां पहुंचा है। अपने भाषण में मोदी ने कहा कि हर चाय में गुजरात का योगदान है, क्योंकि चाय में डाला जाने वाला दूध भी गुजरात का ही है। दयानंद सरस्वती, श्याम जी कृष्ण वर्मा और सरदार पटेल जैसे रत्न गुजरात की सरजमीं पर पैदा हुए और इन लोगों ने अपने कंघे पर भारतीय संस्कृति का भार उठा लिया। उन्होंने गुजरात की एक और उपलब्धि का जिक्र करते हुए कहा कि दिल्ली मैट्रो रेल में जो डिब्बे लगाए जाते हैं, वे भी गुजरात में ही बनते हैं। मोदी ने कहा कि हम जिसे अछूत समझते हैं, वे तत्व अपना काम धीरे-धीरे करते रहते हैं, यह बात दिल्ली को लोगों को कभी नहीं भूलनी चाहिए।

मैंने लोगों की स्थिति बदली है, लेकिन इसके लिए नए यंत्रों को प्रयोग में नहीं लाया है। वही सरकारी सुविधाएं, वही तकनीक, वही अधिकारी तथा कर्मचारी, वही फाइलें लाकर यह बदलाव लाया है। मोदी ने कहा कि मैंने आंखें खोलकर विपरीत स्थिति का सामना किया है और आज तक प्रयोग किए मार्ग को नए सिरे से अपनाकर समस्या के समाधान का रास्ता चुना है। परिवर्तन का संकल्प लेकर उसके लिए लोगों की जागरूकता बढ़ाने की हमारी कोशिश सदैव रही। हम अपनी प्रगति कर सकते हैं, ऐसा विश्वास लोगों में काफी हद तक पैदा हुआ है।
विश्व की ओर देखने के प्रति लोगों का दृष्टिकोण हमने कैसे बदला , यह बताने वाले मोदी ने पानी से आधे भरे गिलास को उठाया और कहा कि आशावादी लोगों को यह गिलास आधा भरा हुआ दिखाई देता है, तो निराशावादी लोग इसे आधा खाली बताते हैं, पर मुझे तो यह गिलास पूरा भरा हुआ दिखाई देता है। आधा पानी से और आधा हवा से। मोदी का यही नजरिया उन्हें भीड़ में एक अलग चेहरा बनाता है। मोदी की इस विचारधारा ने लोगों के मन में यह विश्वास भर दिया है कि बंदे में दम है। मोदी ने जनता के समक्ष जो बात रखी, उससे जनता के मन में उनके प्रति जो विश्वास पैदा हुआ है, उसे उसी सूरत में कम किया जा सकेगा, जब कोई मोदी के आगे की विचारधारा को सामने लाएगा।
देश की कृषि विकास दर घटकर 2.5 प्रतिशत पर आने की जानकारी देते हुए मोदी ने कहा कि गुजरात ने कृषि विकास दर 10 प्रतिशत से ज्यादा है, क्योंकि हर साल मई और जून माह में एक लाख सरकारी कर्मचारी हर किसान से संपर्क करके उसे कृषि संबंधी आधुनिक तकनीक से अवगत कराते हैं।

गुजरात ने हर किसान की भूमि की कृषि क्षमता को बढ़ाया है। मोेदी ने स्वामी विवेकानंद के शिकागो में हुए सर्वधर्म परिषद का जिक्र करते हुए कहा कि स्वामी जी ने शिकागो में हिंदु विचारों के प्रसार के बाद स्वदेश लौटने पर कहा था कि उनका अगला कदम भूमि का स्वास्थ्य सुधारना होगा। भू्भि की उर्वरा शक्ति बढ़ाकर देश की उपज बढ़ाना संभव है, यह बात स्वामी जी ने पूरे देश में प्रसारित की। मोदी ने बताया कि गुजरात में विगत 10 वर्षों में कपास के उत्पादन में पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई है और कपास से कपड़ा बनने के बीच की प्रक्रिया तथा गुजरात में वस्त्रों के निर्यात की नीति में उत्पादकों को नुकसान न हो, इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है।

गुजरात के वनवासी फिनलैंड में केले का निर्यात करते हैं और अपने देश में खराब रास्तों के कारण 20 प्रतिशत केले बर्बाद हो जाते हैं, इसलिए मोदी ने पेवर रास्तों के निर्माण करने की मांग की। मोदी ने गुजरात में पशुधन की सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने बताया कि गाय-भैंस में रोग निर्मूलन में सफलता मिलने के कारण दूध उत्पादन में 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

गुजरात में शिक्षा के स्तर पर चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि रुपयों की हेराफेरी करने का अपराध विश्व स्तर पर बढ़ रहा है। इसे रोकने को ध्यान में रखकर गुजरात सरकार की ओर से कदम उठाए गए हैं। इसके अंतर्गत न्याय वैद्यक विश्वविद्यालय की गुजरात में स्थापना की गई है। इसी तरह रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय, सेनादल, पुलिस तथा सुरक्षा क्षेत्र में भी विभिन्न उपक्रम संचालित किए जा रहे हैं। मोदी ने कहा कि आज साधारणतः पुलिस विभाग में भर्ती करते समय युवक की ऊंचाई और वजन देखा जाता है, अगर युवक इस निकष पर खरा साबित हो रहा हो तो उसे कानून अर्थात उस पर नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। मोदी ने कहा कि हम अपने घर में रहते हैं तथा निडर होकर जीवन-यापन करते हैं, उतनी ही निडरता घर से बाहर निकलने पर भी दिलाने की व्यवस्था गुजरात सरकार ने की है। भारतीय उत्पादन को विश्व में मजबूत स्थान देने के लिए भारतीय युवकों को तैयार करने की बात मोदी ने आगे बताया कि एक व्यापारी जब विदेश जाता है तो वह अपने देश के लिए कुछ डालर अथवा पौंड प्राप्त करता है, पर जब एक शिक्षक विदेश जाता है तो वह अपने आचरण तथा विचार से एक पीढ़ी को ही आत्मसात कर लेता है। यह विवेकानंद का विचार है। शिक्षा व्यवस्था साधु के हाथों में दें, उनकी टोलिया गांव-गांव में घूमने दीजिए। हर घर में जाकर बच्चों को भौतिकशास्त्र पढ़ाने की जरूरत है।

नरेन्द्र मोदी ने 21 वीं शताब्दी के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि यह शताब्दी ज्ञानयुग की है और उसका नेतृत्व भारत करेगा। मोेदी ने अपने भाषण से एक विशाल व्यापार की संभावनाओं को तलाशा और कहा कि पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। मोदी को पूरा विश्व भारतीय उत्पादनों से भरना है। इस कार्य को करने के लिए मोदी ने युवा पीढ़ी का सहारा लिया है। मोदी ने कहा कि भारत में चिंतन का इतना भंडार है कि वह कभी न खत्म होने वाला है।

उन्होंने कहा कि गुजरात ने तीन सूत्रीय कार्यक्रम हाथ में लिया है, इसके तहत गुणवता वृद्धि, गति तथा बड़ा सपना देखने की बात को केंद्र में रखा गया है। देश में भगवान को देखकर समूचे समाज को राष्ट्र से जोड़ने की अपील करते हुए मोदी ने कहा कि एक अच्छे स्वाद की वस्तु के रूप में किसी घटना को देखना भारतीय अस्मिता में फिट नहीं बैठता। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति ईश्वर का अंश है और उसे पूरे रूप में विकसित होने देना ही ईश्वर की पूजा है। यही शासनकर्ताओं तथा विचारकों का कर्तव्य है।

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