भारत की विदूषी महिलाएं

विश्व ने इस बात को प्रखरता से स्वीकार किया है कि भारत वंदनीय तथा पवित्र देश है। भारत देश धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक दृश्यों से परिपूर्ण है। इस देश को पारंपरिक महत्व भी प्राप्त है। विश्व महिला दिवस के संदर्भ में विचार करने पर भारतीय तेजस्वी स्त्रियों के अनेक आदर्श अपनी आंखों के सामने दिखाई देते हैं और उनके कार्य भी आज के दौर में सराहनीय तथा आदर्श होते हैं।

वैदिक काल में ज्ञान के क्षेत्र में गार्गी, मैत्रेयी जैसी विदूषी महिलाएं हुई, जिन्होंने अपनी योग्यता के बल पर कई विषयों पर व्याख्यान दिए। इन विदूषी महिलाओं के व्याख्यानों से उनकी विद्वत्ता का दर्शन तो हुआ ही साथ ही समाज को इस बात भी का पता चला कि महिलाएं भी ज्ञान में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो अपने शौैर्य के लिए वीरमाता जिजाबाई, अहिल्या देवी होलकर, रानी लक्ष्मीबाई प्रसिद्ध रहीं।

छत्रपति शिवाजी महाराज का रूप तथा कीर्ती उनको दिये गये संस्कारों का प्रतिफल ही माना जाएगा । जिजाबाई ने शिवाजी को आदर्श व्यक्तित्व का स्वामी बनाया। जिजाबाई ने शिवाजी को न केवल कर्तव्यशाली बनाया अपितु लड़ाई में किन बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए, इसका भी प्रशिक्षण दिया। माता की हर सीख बेटे के लिए प्रेरणादायी रही, इस तथ्य को भुलाया नहीं जा सकता। इसी तरह अहित्या देवी तथा रानी लक्ष्मीबाई ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं को उनकी संगठन शक्ति का परिचय करवा दिया था। कार्य श्रेष्ठ, उज्ज्वल तथा प्रेरणादायी होने के कारण महिलाओं ने उनकी बात को अंगीकार किया। इन तेजस्वी महिलाओं के कारण सामान्य महिलाओं में व्यक्तिगत, सामाजिक अधिकारों के प्रति जागरूकता उत्पन्न हुई और इसी कारण महिलाओं की सामाजिक गतिविधियों में सक्रीयता बढ़ी। इन्हीं महिलाओं में भूमिगत होकर अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ आवाज बुलंद की।

सामाजिक दृष्टि से विचार किया जाए तो जिन्होंने स्त्रियों के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया, ऐसी महिलाओं में सावित्रीबाई फुले का नाम विशेष रूप से लेना पड़ेगा। स्री शिक्षा के बारे में जो कुछ किया गया, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। विपरीत परिस्थिति में अनेक संकटों को मात देकर महिलाओं ने अपने जीवन को सुखद बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।

स्त्री शिक्षा तथा उसकी सामाजिक गतिविधियों में बढ़ती सहकारिता के कारण स्री शक्ति बढ़ती जा रही है। नारी उत्थान के लिए विविध प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। इसी तरह दीन-दुखी तथा निराश्रित की सेवा करने में नारी शक्ति का योगदान सराहनीय रहा है। जीवन में राष्ट्रनिष्ठा, नैतिकता तथा संस्कृति के उत्कर्ष में नारी शक्ति का योगदान किसी से छिपा नहीं है।

वर्तमान में टेलिविजन पर प्रसारिक होने वाले रमाबाई रानडे के शैक्षणिक तथा सामाजिक कार्य करने वाली महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है। भारतीय स्थिति की उन्नति हो इसके लिए सर्वशक्ति केंद्र के रूप में पुणे में सेवासदन नामक संस्था शुरु की गई, वहां प्रारंभ में प्राथमिक शिक्षा निशुल्क दी गई। बाद में मेडिकल शिक्षा की सुविधा वहां उपलब्ध कराई गई। सेवासदन के कारण स्त्री शिक्षा के विस्तार को नई तेजी मिली। स्त्रियां स्वावलंबी तथा निर्भय बनें, इसकी शिक्षा उन्हें दी गई। स्त्रियों ने शिक्षा को प्रगति का मुख्य पाया मानकर कार्य करना शुरु किया। गांव की महिलाओं ने सभी महिलाओं को हल्दी-कुमकुम के कार्यक्रम में सार्वजनिक जीवन में उसका कितना महत्व है, यह समझाया। इस कार्यक्रम के माध्यम नई स्त्री पीढ़ी के लिए एक आदर्श का निर्माण किया गया। नए जमाने की युवतियों को अपनी बात रखने के लिए एक मंच इस माध्यम से मिला, उनके लिए नए उपक्रम शुरु करने का जो कार्य पुराने दौर की महिलाओं ने किया, उसके कारण आज की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं। महिलाओं की प्रगति का कार्य स्त्रियों की हो करना चाहिए, ऐसी बात काफी पहले ही विदूषी महिलाओं ने समाज में प्रसारित किया था।मां-बाई, रमाबाई के कार्यों की जानकारी जब जेल की सजा काट रही महिला कैदियों तक पहुंची तो वे भी उनके कार्यों से प्रभावित हुईं।

ये उदाहरण आदर्शवादी स्त्रियों के कार्य से जुड़े हैं, पर विदेश के भी कुछ उदाहरण अनुकरणीय हैं, उनके कार्यों से भी जीवन पर असर दिखाई देता है। अपने देश की गौरवशाली परंपरा किसी से कम नहीं है, इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है, ऐसा मत व्यक्त करने वाली विदेशी पर वैसे भारतीय उसका नाम समर्पिता, भगिनी निवेदिता ने भारतीय जीवन-दर्शन को विदेशी जमीन पर प्रसारित किया। सामाजिक तथा राष्ट्रीय कार्यों के माध्यम से अपना नाम रौशन करने वाली महिलाओं को स्वतंत्रता तथा स्वायत्ता प्राप्त हुई।

इसी तरह का एक अलग तरह का उदाहरण म्यानमार में लोकतंत्र के लिए लड़ी गई लड़ाई के समय वहां के ऐतिहासिक उपचुनाव में विजयी हुई ऐसी ही लोकतांत्रिक वादी महिला नेता ऑन- सांग-सू की ओर पूरे विश्व की निगाहे लगी हुई थी। उपचुनाव में 44 स्थानों में से 40 सीटों पर विजय दर्ज कर अपनी पार्टी को सत्ता दिली दी, बावजूद इसके सू की को नोबेल पुरस्कार देने के बदले पर उसे कई वर्ष तक जेल की हवा खानी पड़ी थी। उसे नजरबंद भी किया गया। सू की ने शांति पूर्ण आंदोलन कर सफलता अर्जित की थी।

विश्व महिलाओं के दृष्टिकोण से जो चर्चित नाम सामने आते हैं, वे पारिवारिक तथा सामाजिक दोनों क्षेत्रों में संघर्ष करके आगे बढ़े हैं।
राजनीतिक क्षेत्र में अपना खास स्थान बनाने वाली अमरीका की पहली महिला स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने अपने कार्यों से महिला जगत का मन जीत लिया। अपने विश्वास तथा कुशलता के बूते पर वह स्थान प्राप्त कर लिया, जिसे प्राप्त आसान नहीं था। इस महिला को जीवन को उत्कृष्टता से जीने का जुनुनू था। खुद के विश्वास को न गंवाते हुए अपने अधिकारों के लिए उसने संघर्ष किया। अपनी कार्यकुशलता के बल पर उनसे अपने जीवन की प्रगति की। अपने अनुभव के आधार पर बच्चों को सिखाने की कोशिश की। राजनीतिक क्षेत्र में विभिन्न पदों की जिम्मेदारी स्वीकार हुए उन पदों पर अच्छा कार्य किया। नैन्सी ने महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए कई कुशलतापूर्वक निर्णय लिया। विश्व की सभी महिलाओं को उचित तथा सशक्त आधार मिला।

उपरोक्त सभी विदूषी महिलाओं के उत्कृष्ट तथा आदर्श कार्य करके एक प्रभावी दिशा का सूत्रपात होता है। आज भारत में राजनीति के क्षेत्र में कई महिलाओं ने उच्च पद प्राप्त किए हैं। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सेनिया गांधी, लोकसभा में विंपक्ष की नेता तथा भारतीय जनता की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज, तमिलमनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता, पूर्व रेल मंत्री ममता बैनर्जी, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, भाजपा नेता उमा भारती ने अपना खास स्थान बनाया है।

वर्तमान में भारत में स्त्रियों के अत्याचार,आतंकवाद, जीवन को असुरक्षित करने वाले अनेक दृश्य दिखाई दे रहे हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए सभी को आगे आना होगा। स्त्री मुक्ति, स्त्री-नारी, स्री संगठन पर आधारित न रहकर तमाम महिलाएं अमृत से भी अधिक सुख अर्जित करते हुए प्रगति की ओर लगातार बढ़ा रही हैं।

अपनी समस्याओं के समाधान के लिए अगर महिलाएं सामूहिक रूप से आवाज उठाएंगी तो वह विश्व महिला दिवस के मौके पर महिलाओं का एक बहुत संकेत होगा। वस्तुतः आज देश में बचपन से वृद्धावस्था तक स्त्री का जीवन असुरक्षित तथा खतरनाक हो गया है। प्रत्येक स्री आज केवल चिंतातुर तथा भयाग्रस्त होकर दुखी हो गई है, ऐसी स्थिति में स्त्री जीवन की सुरक्षा का मार्ग सभी को मिलकर देखना होगा।
आज विश्व स्तर पर उद्योग, व्यवसाय, स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कार, सहकार, इन सभी क्षेत्रों के साथ-साथ राजनीति क्षेत्र में भी महिलाओं की सहभागिता पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है और महिलाओं के इसी बढ़ते क्षीतिज को ध्यान में रखकर भविष्य में आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए सामूहिक प्रयत्न करना जरूरी है। सह्दयी पुरुष वर्ग आफत में पड़ी नारी की रक्षा करने के लिए आगे आए तो निश्चय ही भारतीय नारी खुद को सुरक्षित महसूस करेगी।

नारी के लिए बस इतना ही कहना चाहती हूं-
हे नारी शक्ति, देश की तू जाग, अब तू जाग
हम देश की नारी है, फूल नहीं, चिनगारी भी है।

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