नरेन्द्र मोदी की भाषण कुशलता

दिल्ली में विगत 2 मार्च, 2013 को हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान नरेन्द्र मोदी का भाषण हुआ। इस भाषण को प्रिन्ट मिडिया और इलेक्ट्रॉनिक मिडिया, इन दोनों ने भरपूर महत्व दिया। नरेन्द्र मोदी के भाषण की समीक्षा भी हुई। भाषण पर कई लेख भी प्रकाशित हुए।

वैसे, अगर देखा जाये तो यह नरेन्द्र मोदी का पहला भाषण नहीं था, उनके सैकड़ों भाषणों के वीडियों इंटरनेट पर उपलब्ध हैं, फिर इसी भाषण की इतनी चर्चा किसलिए? इसके कई कारण हैं, उसे सूचीबद्ध करने की जरूरत नहीं है।

नरेन्द्र मोदी अब अपनी कार्य कुशलता के बूते पर राष्ट्रीय स्तर के नेता बन गये हैं। पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह के शब्दों में बताना हो तो- ‘‘एक ही व्यक्ति के नेतृत्व में लगातार तीन बार जीत प्राप्त करने का मौका हम लोगों को आज तक मिला, ऐसा याद नहीं आता, पर नरेन्द्र मोदी ने यह कठिन कार्य केवल अपनी कुशलता पर ही सम्भव कर दिखाया है। मोदी की केवल शाब्दिक प्रशंसा करना उचित नहीं होगा, हम सभी को खड़े होकर उनका अभिनन्दन करना चाहिए।’’

नरेन्द्र मोदी भाषण देने के लिए खड़े हुए तो पूरा सभागृह तालियों से गूंज उठा। मोदी देश के प्रधानमंत्री बने, ऐसा स्वर भी गूंजा। वहां एकत्र सभी भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा एक स्वर से नरेन्द्र मोदी को इतना महत्व देने का आखिर कारण क्या है?

राजनीतिक क्षेत्र में नेताओं को परिणाम दिखाने पड़ते हैं। परिणाम का आशय यह है कि पार्टी के उम्मीदवारों को जिता कर दिखाना पड़ता है। विरोधी दल से सत्ता छीननी पड़ती है। सत्ता का उपयोग जनता के हितों के लिए कैसे किया जाये, यह दिखाना पड़ता है। सुशासन निर्माण करना पड़ता है। नरेन्द्र मोदी ने यह सब गुजरात में करके दिखाया है। भाजपा के कार्यकर्ताओं को यह पता है, इसीलिए उनकी मांग यह है कि नरेन्द्र मोदी भाजपा का नेतृत्व करें। पार्टी नेता को पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच से ही आगे आना होता है और नरेन्द्र मोदी इस कसौटी पर पूरी तरह फिट साबित हुए हैं।

नरेन्द्र मोदी का भाषण गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नहीं, अपितु भाजपा के राष्ट्रीय नेता के रूप में हुआ। श्रेष्ठ राजनीतिक भाषण की कुछ विशेषताएं होती हैं। पहली विशेषता यह है कि भाषण में भावनात्मक स्पर्श हो, अगर ऐसा नहीं होगा तो भाषण नीरस हो जाता है। भाषण शुरू करने से पहले नरेन्द्र मोदी भाव विह्वल हो गये। राजनाथ सिंह द्वारा की गयी प्रशंसा और कार्यकर्ताओं की ओर मिले जबर्दस्त समर्थन के कारण वे भावुक हो गये। उनकी वाणी से वह स्पष्ट भी हो रहा था। उन्होंने कहा ‘‘गुजरात की विजय एक व्यक्ति की न होकर अहम भूलकर, एकनिष्ठ होकर और पुरुषार्थ से काम करने वाले कार्यकर्ताओं की विजय है। यह भाजपा की विचारधारा की जीत है। भाजपा की राजनीतिक संस्कृति की जीत है।’’ नरेन्द्र मोदी ने भाषण के अन्त में भावनात्मक आह्वान किया। उन्होंने कहा- ‘‘माना कि अंधेरा है लेकिन दिया जलाना कहां मना है?’’

श्रेष्ठ राजनीतिक भाषण की दूसरी विशेषता यह है कि श्रोताओं मेेंं भाषण सुनने की जिज्ञासा बनी रहनी चाहिए। नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में यह काम किया है। नरेन्द्र मोदी क्या बोलेंगे? इस बात की जिज्ञासा शुरू से ही थी। मोदी खुद की प्रशंसा करेंगे, वे प्रधानमंत्री बनने के लिए किस तरह योग्य हैं, इस बात को प्रखरता से सुनने वालों के समक्ष रखेंगे, मुसलमानों को आड़े हाथों लेंगे, हिंदुत्व का मुद्दा रखेंगे, पर नरेन्द्र मोदी ने इनमें से कुछ नहीं कहा। भविष्य में दिल्ली में सत्ता पाने के लिए भाजपा के कार्यकर्ताओं को क्या करना चाहिए और क्यों करना चाहिए, इसका विवरण उन्होंने दिया। जिज्ञासा जागृत होते ही श्रोताओं के मन और बुद्धि में ऐसे भाषण पहुंचते हैं।

श्रेष्ठ राजनीतिक भाषण की तीसरी विशेषता यह है कि हम कौन हैं, और हमें क्या करना है, इस बात को स्पष्टता से प्रस्तुत करना होता है। नरेन्द्र मोदी ने कहा- ‘‘आगामी चुनाव हमें आजादी की दूसरी लड़ाई की तरह लड़ना है। कांग्रेस कमीशन के लिए काम करती है और भाजपा मिशन के लिए काम करती है कांग्रेस देश को दीमक की तरह नष्ट कर रही है, हम सभी को कांग्रेस को खत्म करना है।’’

श्रेष्ठ भाषण की चौथी विशेषता यह है कि वक्ता श्रोताओं को एक श्रेष्ठ कार्य के लिए प्रेरित करे, उन्हें कार्यशील बनाना चाहिए। अंग्रेजी शब्दों का उपयोग करे तो वक्ता श्रोताओं को श्दूग्नू, घ्हेज्ग करे। कार्यशील क्यों करना चाहिए, मोदी ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि देश को आर्थिक दृष्टि से सबल बनाने के लिए, देश को आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए, हमें लड़ाई लड़नी है। उन्होंने आगे कहा कि देश को जब से स्वतंत्रता मिली है तब से इस देश में कांग्रेस की सत्ता रही है। जब अपना देश स्वतंत्र हो रहा था उसी समय कोरिया, चीन और इस्राराइल जैसे देश स्वतंत्र हो गये और अपने देश से काफी आगे निकल गये। एक परिवार के हाथों में सत्ता रहे, इसके लिए देश हित की ओर ध्यान नहीं दिया गया।

श्रेष्ठ राजनीतिक भाषण की पांचवीं विशेषता यह है कि वक्ता को अपनी बात श्रोताओं के मन और बुद्धि में बैठ सके, ऐसी भाषा में प्रस्तुत करनी चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो भाषण तर्कनिष्ठ होना चाहिए। नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर प्रहार करते समय शत-प्रतिशत तर्कनिष्ठ विचार प्रस्तुत किये। उन्होंने कहा- ‘‘कांग्रेस में सदैव परिवारवाद को महत्त्व दिया जाता रहा है। एक परिवार के हित के लिए सत्ता हासिल की गयी है। इस मुद्दे को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने कई उदाहरण भी दिये। ये उदाहरण अर्थात श्रेष्ठ राजनीतिक भाषण की सातवीं विशेषता है। अपनी बात को सिद्ध करने के लिए वक्ता की ओर से उदाहरण देना बहुत जरूरी होता है। नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वित्त मंत्री रहते समय प्रणब मुखर्जी द्वारा लिये गए कुछ निर्णय कांग्रेस के लिए अपचनीय थे। इस कारण मुखर्जी को अगर प्रधानमंत्री बनाया जाता तो वो कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकते थे, इसलिए अपनी हर बात सुनने वाले डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्ति की गयी। ‘नाइट वाचमैन’ के हाथों से देश अब मुक्त होगा, बाद में मुक्त होगा, ऐसा भारतवासी विचार कर रहे थे, लेकिन वह काली रात खत्म नहीं हो रही। परिवारवाद को अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए नरेन्द्र मोदी ने सीताराम केसरी का उदाहरण रखा। सीताराम केसरी, अल्पकाल के लिए कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे। बाद में उन्हें अपमानित करके पार्टी से निकाल दिया गया और उनके स्थान पर सोनिया गांधी को आसीन कर दिया गया। जिन्हें राजनीतिक घटनाओं की जानकारी है, उन्हें सीताराम केसरी के साथ क्या सुलूक किया गया, यह तो पता ही होगा।
श्रेष्ठ राजनीतिक भाषण की सातवीं विशेषता यह है कि वक्ता कभी दूसरों को उपदेश देने की भूमिका में न रहे। उपदेश कभी भी किसी को पसंद नहीं आता। उपदेश देने वाला खुद को दूसरों से चार अंगुल ऊपर ही रखता है। किसी साधु-संत के मुंह से ऐसी उपदेशात्मक वाणी सुशोभित होती है। राजनीतिक दलों के नेताओं के मुंह से निकली ऐसी वाणी, कुवाणी ही कही जाती है। नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में कोई भी उपदेश न देकर उन्होंने वस्तुस्थिति सबके सामने रखी। यह

वस्तु स्थिति में कांग्रेस कैसी है, यह बताने वाली बात थी और अगर यह वस्तु स्थिति बदलनी है तो हमें क्या करना चाहिए, इसका उन्होंने विस्तार से उल्लेख किया। बदलाव के लिए क्या करना है, यह बताना उनका केवल उपदेश नहीं था, क्योंकि गुजरात में मोदी ने यह सब कर दिखाया है, इसलिए उन्होंने जो कुछ कहा वह सच है। दूसरे शब्दों में कहें तो मोदी ने ‘जैसी कथनी वैसी करनी’ की कहावत को सच कर दिखाया है।

श्रेष्ठ राजनीतिक भाषण की आठवीं विशेषता यह होनी चाहिए कि वक्ता श्रोताओं के समक्ष एक निश्चित सन्देश प्रसारित करे। कई राजनेता मनोरंजक भाषण देकर लोगों को हंसाते हैं, ऐसे भाषणों से सिर्फ मनोरंजन ही होता है, देश की प्रगति नहीं होती। बसों की कतार में समय बिताने के लिए दो रुपए की मूंगफली खाना जैसे पेटभर भोजन करना नहीं होता, उसी तरह से ये मनोरंजक भाषण भी होते हैं। श्रोताओं को कल क्या करना है, इसकी दिशा बताने वाला भाषण वही कर सकता है, जिसके नेत्रों के समक्ष उद्देश्य होता है।

नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में स्वामी विवेकानंद का उल्लेख किया। उन्होंने बताया- ‘‘विवेकानंद ने स्वप्न देखा कि अपनी भारत माता उसके सर्व वैभव से विश्वगुरु के रूप में आरूढ़ हुई है। ये सपना हम सबको आगामी 25 वर्ष में साकार करके दिखाना है। नरेन्द्र मोदी का भाषण खत्म हो गया, लेकिन ऐसा श्रेष्ठ भाषण खत्म होने के बाद शुरू होता है, क्योंकि ऐसा भाषण सुनने वालों की भावना तथा बुद्धि को स्पर्श कर जाता है। नरेन्द्र मोदी के भाषण को देश के करोड़ों युवकों ने सुना। मोदी आज युवकों के गले की ताबीज बन गये हैं। स्वामी विवेकानंद ने भारतीय युवकों का आह्वान करते हुए कहा था- ‘‘उठो, जागो और लक्ष्य की प्राप्ति करो। तलवार की धार पर चलने जैसा यह मार्ग है, लेकिन डरो मत। वीर बनो और आगे चलो।’’ विवेकानंद की वाणी ने देश की आत्मा को जागृत कर दिया। स्वामी विवेकानंद नरेन्द्र मोदी के बहुत बड़े प्रेरणा स्त्रोत हैं। विवेकानंद का सपना मोदी ने अपने भाषण में देश के युवाओं के समक्ष रखा है।
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