इचलकरंजी का माहेश्‍वरी समाज

5०-6० साल पहले इचलकरंजी एक छोटासा गांव था। ३०- ४० हजार बस्ती का यह गांव साड़ी के लिए मशहूर था। हैन्डलूम तथा पावरलूम का एक मशहूर स्थान था। इचलकरंजी के अधिपति स्व. श्री नारायणरावजी घोरपडे ने इस गांव के विकास का सपना देखा और उद्योग करने वाले अनेक व्यक्तियों को प्रोत्साहित किया। हर प्रकार से सहयोग दिया। उस समय इचलकरंजी में माहेश्वरी समाज के १५-२० घर थे।

पंचगंगा नदी के किनारे यह गांव बसा हुआ है। यहां का मौसम बारह मास अच्छा रहता है। सभी लोग एक दूसरे केे साथ प्रेम से और स्नेह से रहते हुए सहयोग करते हैं। आपसी भाईचारा बहुत ही सुंदर है। धीरे-धीरे बढ़ता हुआ उद्योग एवं पावरलूम का अच्छा केंद्र बना यह शहर माहेश्वरी समाज के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया और आज १५०० के करीब माहेश्वरी परिवार इचलकरंजी में रहते हैं। पूरे भारतवर्ष में जनसंख्या के प्रतिशत माहेश्वरी समाज के घर इचलकरंजी में सबसे अधिक हैं। पांच नदियों के संगम से बनी पंचगंगा नदी के पानी का यह विशेष है कि यहां सभी समाजों का आपसी तालमेल अच्छा है। समाज में कितने भी मतभेद क्यों न हो समाज सदैव एकसाथ सहयोग एवं स्नेह से आगे बढ़ता है।

माहेश्वरी समाज के कार्य की पहली शुरुआत ‘‘महेश सेवा समिति’’ की स्थापना से हुई। समाज के कुछ प्रमुख व्यक्ति स्व.रामकुमारजी मर्दा, मदन गोपालजी दुवाणी, स्व. बाबूरावजी डाक्या, भीमकरणजी छापरवाल एवं धनराजजी झंवर के नेतृत्व में श्री शेठ स्व.श्री सीतारामजी डाक्या, स्व. श्री रामजीवनजी तोष्णीवाल, स्व.श्री दगडूलालजी मर्दा आदि व्यक्तियों एवं समाज के सहयोग से ‘महेश भवन’ का निर्माण हुआ।

इचलकरंजी माहेश्वरी समाज की विशेषता यह है कि इचलकरंजी के हर क्षेत्र में इस समाज का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है।
इचलकरंजी का व्यापार बढ़ाने में तथा उसका भारतभर में नाम करने में माहेश्वरी समाज ही महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है।
माहेश्वरी समाज की तरफ से दो माहेश्वरी बैंक का निर्माण हुआ। व्यंकटेश्वरा बैंक और लक्ष्मीविष्णु बैंक, महेश को.ऑप.क्रेडिट सोसायटी, महेश को.ऑप.हौ.सोसायटी, महेश को.ऑप. स्पिनिंग मिल आदि अनेकविध को.ऑप.संस्थाओं का निर्माण माहेश्वरी समाज की प्रेरणा से हुआ है।

शैक्षणिक क्षेत्र में भी व्यंकटेश्वरा इंग्लिश स्कूल की स्थापना करके एक महत्वपूर्ण कार्य माहेश्वरी समाज के कुछ व्यक्तियों के मार्गदर्शन में सुंदर ढंग से चल रहा है।

इचलकरंजी में माहेश्वरी समाज के प्रमुख व्यक्ति श्री हेमराजजी भराडिया एवं अन्य सभी के सहयोग से गौ शाला का निर्माण हुआ। गौ शाला का कार्य सुंदर एवं सुचारु रूप से हो रहा है। और एक गो शाला का भी निर्माण हुआ जिसका नेतृत्व श्री राजगोपालजी डाक्या ने किया है।
व्यापार के क्षेत्र में अच्छा कार्य करते हुए माहेश्वरी समाज के अनेक व्यक्ति राजनीतिक क्षेत्र में भी अपना अस्तित्व दिखाते रहे हैं। नगराध्यक्ष, नगरसेवक, को.ऑप.संस्था के प्रमुखपद एवं शहर के हर राजनीतिक क्षेत्र में समाज का कार्य अपने आप में स्पृहणीय रहा है।
इचलकरंजी में जितनी भी सामाजिक सेवाभावी कार्य करने वाली संस्थाएं हैं उनमें भी प्रमुख आर्थिक सहयोग माहेश्वरी समाज का है। टी.बी.क्लिनिक, मतिमंद बच्चों की स्कूल, मूक बधिर बच्चों की स्कूल, ब्लड बैंक, सेवा भारती हॉस्पीटल, वृध्दाश्रम, आदि सभी संस्थाएं माहेश्वरी समाज के सहयोग से और आर्थिक सहभाग से सुंदर रूप से कार्यरत हैं।

माहेश्वरी समाज के प्रौढ़ व्यक्तियों ने ‘महेश क्लब’ की स्थापना की और उसके अंतर्गत अनेकविध सेवा कार्य संपन्न होते रहते है। आध्यात्मिक प्रवचनों का सफल आयोजन भी होता है। देश के सभी बड़े बड़े संत महात्माओं का प्रवचन का अत्यंत सुंदर आयोजन इचलकरंजी में कई बार होता है और उसकी प्रमुख जिम्मेवारी माहेश्वरी समाज ही निभाता है।

‘‘आर्य चाणक्य अंत्य संस्कार’’ जैसी संस्था की ओर से अंत्यविधि की सारी व्यवस्था सभी समाज के लिए की जाती है और संस्था का प्रमुख अंग माहेश्वरी भाई ही है।

समाज के अंतर्गत अनेक नियम बने हुए हैं जैसे कि, स्वागत समारोह एवं सार्वजनिक उत्सव में भोजन में १३ पदार्थ से ज्यादा न बनाए जाए। ऐसे नियमों का पालन सुचारू रूप से करने के लिए इचलकरंजी विशेष रूप से जाना जाता है।

माहेश्वरी समाज के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की सभा का आयोजन, महाराष्ट्र प्रदेश का अधिवेशन आदि समाज के स्तर पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। शैक्षणिक ट्रस्ट, विधवाओं को सहायता करने वाला ट्रस्ट, जरूरतमंदों की सहायता करने वाला ट्रस्ट ऐसे कई ट्रस्ट बने हैं और वह गरीब, जरूरतमंद लोगों की सहायता करते रहते हैं।

माहेश्वरी समाज के कुछ बंधुओं द्वारा यहां से नगर परिषद के अस्पताल में सभी रोगियों को एक वक्त का खाना मुफ्त देने का उपक्रम भी किया जा रहा है।

इचलकरंजी माहेश्वरी समाज की विशेषता यह है कि यहां के हर व्यक्ति को इचलकरंजी माहेश्वरी समाज का सदस्य होने का गर्व महसूस होता है।

यहां के महिला माहेश्वरी संगठन ने भी अपनी विशेष पहचान बनाई है तथा अखिल भारतिय स्तर पर भी अपनी छवि बनाए रखी है। तिज त्योंहारों के साथ-साथ अनेकविध सामाजिक कार्यक्रम करके अपना अलग अस्तित्व उजागर किया है।

युवक तथा किशोरी मंडल भी सभी कार्यक्रमों में उत्साहपूर्वक सम्मिलित होने के साथ-साथ अपने अलग अलग कार्यक्रम करके समाज में अपने सामाजिक, शैक्षणिक, आध्यात्मिक और सेवाकार्य में तत्पर रहते हैं।

स्व.श्री रामकुमारजी मर्दा अखिल भारतीय स्तर पर उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष एवं संगठनमंत्री रह चुके थे। महाराष्ट्र प्रदेश माहेश्वरी महासभा के अध्यक्ष भी रह चुके थे। समाज के कई व्यक्ति आज भी महाराष्ट्र एवं अखिल भारतिय स्तर पर कार्यरत हैं।

वर्तमान में श्री नितीनजी धूत ट्रस्टी मंडल के प्रमुख एवं श्री रामकिशोरजी बांगड अध्यक्ष हैं।
माहेश्वरी समाज में पहले तो पढ़ाई की ज्यादा अहमियत नहीं थी। लेकिन आज इचलकरंजी माहेश्वरी समाज के लड़के तथा लड़कियां डॉक्टर, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटंट, आर्किटेक्ट बन रहे हैं। कोई भी क्षेत्र हो जिसमें माहेश्वरी समाज के बच्चों का सहभाग है तो वह उस क्षेत्र में सर्वोच्च स्तर पर है। बिल्डिंग कॉन्ट्रक्टर से लेकर नए नए टेक्स्टाइल क्षेत्र में आज माहेश्वरी समाज इचलकरंजी में अग्रसर उपक्रमों के हैं।
खेल प्रतियोगिता, संगीत प्रतियोगिता, भजनसंध्या प्रतियोगिता आदि का आयोजन भी इचलकरंजी माहेश्वरी समाज की ओर से भव्य रूप में शानदार ढंग से किया जाता है। भजन करने वाले २५ से ३० मंडल इचलकरंजी में हैं यह सुनकर सब को आश्चर्य होता है।

कोई भी कार्यक्रम हो उसे भव्य रूप से सुंदर ढंग से पूर्ण करना इचलकरंजी माहेश्वरी समाज की विशेषता है। किसी के भी घर में शादी-विवाह उत्सव हो या अन्य कोई व्यक्तिगत रूप में किया गया उत्सव हो समाज के सभी लोग अपने घर का कार्यक्रम समझ कर उसमें सम्मीलित होते हैं और शानदार ढ़ंग से संपन्न करने में सहभाग देते हैं। सिर्फ आवश्यकता होती है निमंत्रण मात्र की।
इचलकरंजी माहेश्वरी समाज अपने आपमें एक विशेष एवं अद्वितीय है।

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